• प्रश्न :

    हाल के कुछ समय में देखा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्थाकि वृद्धि दर सकारात्मक दर से बढ़ रही है। क्या अर्थव्यवस्था की यह वृद्धि धारणीय है? वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न जो पक्षों पर विचार करते हुए इस प्रश्न का विश्लेषण करें।

    20 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    •  भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक रुझानो का उल्लेख करते हुए प्रस्तावना लिखें।
    •  प्राप्त आकड़ो के अधर पर अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करें।
    •  निष्कर्ष लिखें।

    अन्तर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग में सुधार, विश्व बैंक के ईज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस की अद्यतन सूची में 30 स्थानों की उछाल तथा चार लगातार तिमाहियों के बाद वृद्धि दर में सकरात्मक रुझान, भारतीय अर्थव्यस्था की सुदृढ़ स्थिति को दिखाता है। किन्तु, भारती अर्थव्यवस्था की यह वृद्धि दर धारणीय है अथवा नहीं, इस प्रश्न पर विचार करने के लिये अर्थव्यवस्था की आंतरिक स्थिति को विश्लेषित करना आवश्यक है। इसे निम्न रूप में देखा जा सकता है। 

    1. भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण में वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों  को अर्थव्यवस्था कि वृद्धि का निर्धारक बताया गया है। किन्तु, हाल के समय में  तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही  है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था कि वृद्धि को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है ।
    2. पिछले दो महीने में लगातार 4% से अधिक की वृद्धि के बाद औधोगिक क्षेत्र की वृद्धि में कमी आना इसकी धारणीयता पर सवाल उठाते हैं। 
    3. नवीनतम आँकड़ो के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में केवल 2.2 % की वृद्धि देखी गई है जो एक चिंता  का विषय है। 
    4. इसके अलावा उत्सव का समय होने के बाद भी अक्टूबर महीने में टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादन में 7% की कमी, खनन क्षेत्र की वृद्धि में स्थिरता तथा पिछले वर्ष की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि का 3.8% से घट कर 2.5% होना भी भारतीय अर्थव्यवस्था की धारणीयता पर सवाल उठाते हैं।
    5. एक चिंता भारत में बढ़ती महँगाई से भी संबंधित है। नवंबर में उपभोक्ता  मूल्यों में 4.88% की वृद्धि देखी गयी है, जो जून के 1.5% की तुलना में काफी अधिक है। खाद्यवस्तुओं, जैसे टमाटर, प्याज़, अंडे आदि की मूल्यों में भी तीव्र वृद्धि देखी गई है।
    6. बढ़ती वैश्विक कीमतों के कारण कोर मुद्रास्फीति ( तेल और खाद्यवस्तुओं को छोड़ कर) का बढ़ना भी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में बाधक हो सकते हैं।

    उपरोक्त विश्लेषण से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धारणीय प्रतीत नहीं होती। औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिये तेल पर कर को कम किया जाना एक तात्कालिक उपाय हो सकता है, किन्तु इससे राजकोषीय संग्रहण प्रभावित हो सकता है। नवीकरणीय ऊर्जा के विकास से तेल पर निर्भरता कम करना एक धारणीय उपाय होगा। साथ ही आतंरिक स्तर पर खाद्य वस्तुओं के उत्पादन और वितरण को सुनिश्चित कर महँगाई को नियंत्रित किया जा सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की धारणीय वृद्धि के लिये इस पर अमल करना आवश्यक है।