• प्रश्न :

    अनुबंध कृषि से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व एवं इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें।

    08 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • अनुबंध कृषि का अर्थ।
    • अनुबंध कृषि का महत्त्व।
    • अनुबंध कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ।
    • निष्कर्ष।

    अनुबंध कृषि में किसानों और फर्मों के बीच फसल-पूर्व एक समझौते के आधार पर कृषि उत्पादन किया जाता है। इसके तहत कई छोटे-छोटे किसान मिलकर आपस में संगठन बनाते हैं और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यातकों के साथ अनुबंध के अनुसार फसलों का उत्पादन करते हैं।

    अनुबंध कृषि का महत्त्व

    • भारत में 80% किसान छोटे व सीमांत हैं अर्थात् उनके पास एक एकड़ से भी कम भूमि है। लिहाजा जोत का आकार छोटा होने के कारण उत्पादन लागत बढ़ जाती है और उन्हें फसल का समुचित मूल्य नहीं मिल पाता है। अनुबंध कृषि में छोटे-छोटे किसान मिलकर काम करते हैं, जिससे जोत का आकार काफी बढ़ जाता है।
    • अनुबंध कृषि में किसानों और निजी खरीदारों के बीच उत्पादन की खरीद, प्राप्ति और शर्तें पहले से ही सुनिश्चित होती हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का समुचित मूल्य प्राप्त होता है।
    • कृषि के क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ती है। इससे कृषि में निवेश बढ़ता है, अवसरंचना विकास को गति मिलती है और नवीन तकनीकों का प्रयोग बढ़ता है।
    • किसानों की आय बढ़ने से ग्रामीण बेरोजगारी की दर में भी कमी आएगी। खासकर मौसमी बेरोजगारी दूर होगी क्योंकि अनुबंध कृषि में वैज्ञानिक तरीकों से किसानों को साल भर फसल उत्पादन करने को प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • अनुबंध कृषि कृषकों को निर्यात के माध्यम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ती है।
    • अनुबंध कृषि में उत्पादकों व क्रेताओं के बीच में बिचौलियों का उन्मूलन हो जाता है, विनियमन ढीला हो जाता है और विनियमन दक्षता में वृद्धि हो जाती है। इसका सम्मिलित परिणाम उपभोक्ता को लाभ के रूप में प्राप्त होता है।

    चुनौतियाँ:

    • अनुबंध कृषि में किसानों के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं। मसलन समय पर भुगतान की समस्या कंपनियों और किसानों के बीच विवाद, किसानों का शोषण आदि। 
    • अनुबंध कृषि से प्राकृतिक संसाधनों के अतिदोहन की आशंका बढ़ी है। अनुबंध कृषि समवर्ती सूची का विषय है, जबकि कृषि राज्य सूची का विषय। ऐसी स्थिति में राजस्व की हानि के भय से राज्य इसके प्रति अनिच्छुक दिख रहे हैं।

    निष्कर्षतः किसानों को उनकी पैदावार का न्यायसंगत मूल्य दिलाने व कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये जहाँ सरकार को अनुबंध कृषि जैसे तरीकों का सधे हुए कदमों से प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है तो वहीं ऐसी  समुचित निगरानी व्यवस्था स्थापित करनी चाहिये जिससे किसानों के शोषण को रोका जा सके।