• प्रश्न :

    क्या कारण है कि भारत का पूर्वी तट उसके पश्चिमी तट की अपेक्षा चक्रवात से अधिक प्रभावित रहता है? ऐसे चक्रवातों के जनन में हिन्द महासागर की तटीय संरचना की क्या भूमिका होती है?

    02 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • चक्रवात का संक्षिप्त परिचय।
    • पश्चिमी तट की अपेक्षा पूर्वी तट पर चक्रवात की घटनाओं की अधिकता के कारण।
    • चक्रवातों की उत्पत्ति में हिन्द महासागर की भूमिका।

    भारत प्राकृतिक आपदाओं विशेषकर भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवातों तथा भू-स्खलन के लिये सुभेद्य है। अध्ययन से पता चलता है कि प्राकृतिक आपदाओं से भारत तथा राज्य सरकार के कुल राजस्व के 12 प्रतिशत तक की क्षति होती है। 

    यद्यपि भारत का संपूर्ण तटीय क्षेत्र उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से प्रभावित है, परंतु पश्चिमी तट की तुलना में पूर्वी तट अधिक सुभेद्य है। बंगाल की खाड़ी में अक्तूबर-नवंबर में विकसित कुल चक्रवातों का 58 प्रतिशत पूर्वी तट को पार करता है तथा इसी समय में अरब सागर में विकसित चक्रवातों का 25 प्रतिशत पश्चिमी तट को पार करता है। 

    इसके प्रमुख कारण हैं:

    सागरीय सतह का तापमानः उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये 25°C से 27°C आदर्श तापमान है। यह तापमान आर्द्रता की सतत् आपूर्ति सुनिश्चित करता है तथा चक्रवात को पर्याप्त बल प्रदान करता है। चूँकि बंगाल की खाड़ी का औसत सागरीय सतह तापमान अरब सागर की अपेक्षा अधिक है, अतः चक्रवातों की उत्पत्ति अधिक होती है। 

    वायु अपप्रपणता: वायु अपप्रपणता वायु की गति में परिवर्तन को कहते हैं। यह दो प्रकार का होती है, क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर। क्षैतिज वायु अपप्रपण अक्षांशों के साथ वायु की गति में परिवर्तन तथा ऊध्वार्धर ऊँचाई के साथ वायु की गति में परिवर्तन से संबंधित है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति के लिये ऊध्वार्धर पवनों की गति में अंतर कम होना चाहिये। यह अरब सागर की अपेक्षा बंगाल की खाड़ी के क्षेत्र में निम्न होता है। 

    क्षारताः बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की अपेक्षा अधिक नदियाँ अपना जल प्रदान करती हैं, जिसके कारण बंगाल की खाड़ी की क्षारता, अरब सागर की क्षारता से कम है। अतः यहाँ वाष्पीकरण की दर तीव्र है जो कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। 

    दक्षिणी चीन सागर द्वारा अतिरिक्त आर्द्रता की आपूर्तिः दक्षिणी चीन सागर में उत्पन्न टाइफून बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों को प्रभावित करता है, जबकि अरब सागर के संदर्भ में ऐसा नहीं है। 

    चक्रवातों की दिशाः भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर में उत्पन्न चक्रवातों की दिशा प्रायः उत्तर-पश्चिम होती है, अतः वास्तव में वे भारत की मुख्य भूमि से दूर जा रहे होते हैं। 

    इन चक्रवातों की उत्पत्ति में हिंद महासागर की तटीय संरचना की भूमिकाः

    • बंगाल की खाड़ी अरब सागर के मुकाबले अधिक स्तरीकृत है। पूर्वी तट पर पश्चिमी घाट की तरह ऊँची तथा सतत् पर्वत शृंखला का अभाव है, अतः अवरोध की अनुपस्थिति में चक्रवात की उग्रता अधिक होती है। 
    • बंगाल की खाड़ी में लवणता की मात्रा कम होने के कारण सतह का जल आसानी से ऊपर उठ जाता है। 
    • पूर्वी अफ्रीका में पर्वतों की उपस्थिति के कारण अरब सागर में पवन की गति तेज़ होती है तथा सतह से प्राप्त ऊष्मा को यह शीघ्रता से दक्षिण की ओर गहरे समुद्र में पहुँचा देती है, जबकि बंगाल की खाड़ी के ऊपर पवन धीमी गति से चलती है और सतह से प्राप्त ऊष्मा को आसानी से हटा नहीं पाती है। 
    • परंतु ऐसा नहीं है कि अरब सागर में चक्रवात की घटना होती ही नहीं है। वास्तव में जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवातों की बारंबारता अधिक अनिश्चित हो गई है तथा चक्रवातों से होने वाले नुकसान में भी वृद्धि हुई है।