• प्रश्न :

    केस स्टडी

    आप भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी राहुल हैं, जो एक कृषि प्रधान ज़िले में ज़िला विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं। मौसमी बेरोज़गारी और संकटपूर्ण प्रवास से प्रभावित एक कृषि प्रधान ज़िले में ज़िला विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MNREGA) इस क्षेत्र के लिये जीवनयापन का प्रमुख सहारा है, जो ग्रामीण परिवारों को मज़दूरी-आधारित रोज़गार उपलब्ध कराता है तथा साथ ही संवहनीय ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक है। हालाँकि, हाल ही में, स्थानीय कार्यकर्त्ताओं और एक व्हिसलब्लोअर समूह ने कई ग्राम पंचायतों में MNREGA के कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट तैयार किया है।

    रिपोर्ट में जिन अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है, वे हैं —

    a. मस्टर रोल पर फर्ज़ी लाभार्थी और फर्ज़ी जॉब-कार्ड।

    b. ग्रामीण विकास कार्यों (जैसे: सड़कें, जल-संचयन संरचनाएँ आदि) का मापन और बिलों की राशि वास्तविकता से कहीं अधिक दिखायी गई, जबकि ज़मीनी स्तर पर काम बहुत कम हुआ है या बिल्कुल हुआ ही नहीं है। 

    c. स्थानीय ठेकेदारों, पंचायत पदाधिकारियों और कुछ कनिष्ठ अधिकारियों के बीच मिलीभगत जो कमीशन बाँटते हैं। 

    d. वेतन भुगतान में विलंब जिसके कारण श्रमिकों को शीघ्र भुगतान के लिये रिश्वत लेने के लिये विवश होना पड़ता है। 

    e. निजी ठेकेदारों को धनराशि अंतरित करने के लिये जानबूझकर कार्य का गलत वर्गीकरण। 

    f. हाल ही में हुए एक सामाजिक अंकेक्षण से पता चला है कि कई परिसंपत्तियाँ न तो बनीं और न ही मानक के अनुरूप थीं। 

    g. राज्य ग्रामीण विकास विभाग के पिछले ऑडिट नोट्स में भी इसी तरह के मुद्दों को उठाया गया था, लेकिन उन पर नाममात्र की कार्रवाई हुई।

    MNREGA के परिणामों का आकलन करने के लिये केंद्रीय मंत्रालय की एक टीम अगले सप्ताह ज़िले का दौरा करने वाली है। आपके राजनीतिक वरिष्ठों और ज़िला के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने आपको ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है जिसमें ‘संचालन संबंधी बाधाओं’ एवं प्राकृतिक कारकों (खराब मॉनसून, प्रवासन) को कमियों के लिये उत्तरदायी बताया गया हो, तथा व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का उल्लेख न किया गया हो। आपको चेतावनी दी गई है कि सच्चाई उजागर करने पर आपका तबादला हो सकता है, आपके सेवा रिकॉर्ड में नकारात्मक प्रविष्टियाँ दर्ज हो सकती हैं तथा आपके परिवार पर राजनीतिक प्रतिशोध हो सकता है। वहीं यदि आप आज्ञा का पालन कर के सच्चाई छुपाते हैं तो लाखों श्रमिकों के अधिकारों का वंचन होता रहेगा और भ्रष्टाचार जारी रहेगा।

    स्थानीय ग्रामवासी, श्रमिक संघ और नागरिक समाज समूह एक पूर्ण, पारदर्शी सार्वजनिक रिपोर्ट, दोषियों पर मुकदमा चलाने, समय पर मज़दूरी भुगतान और वास्तविक MNREGA कार्यों की बहाली की माँग कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के मीडिया और उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) ने भी ज़िले की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

    प्रश्न:

    1. राहुल के समक्ष कौन-कौन सी नैतिक दुविधाएँ हैं?

    2. उनके समक्ष उपलब्ध विकल्पों और प्रत्येक विकल्प के संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।

    3. राहुल के लिये सर्वोत्तम कार्ययोजना का सुझाव दीजिये।

    4. नैतिक तर्क और सुशासन के सिद्धांतों के आधार पर अपनी अनुशंसा का औचित्य प्रस्तुत कीजिये।   (250 शब्द)

    19 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में संदर्भ प्रस्तुत करने के लिये स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
    • इस मामले में राहुल के समक्ष नैतिक दुविधाओं की पहचान कीजिये और उन पर चर्चा कीजिये।
    • उसके लिये उपलब्ध विकल्पों और प्रत्येक विकल्प के संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
    • राहुल के लिये सर्वोत्तम कार्यवाई का सुझाव दीजिये।
    • नैतिक तर्क और सुशासन के सिद्धांतों के साथ अपनी अनुशंसा को उचित ठहराइए।
    • आगे की राह प्रस्तुत करके निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    ज़िला विकास अधिकारी के पद पर नियुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी राहुल, मौसमी बेरोज़गारी और संकटग्रस्त प्रवास से जूझ रहे ज़िले में एक जटिल नैतिक दुविधा का सामना कर रहे हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MNREGA) मज़दूरी-आधारित रोज़गार उपलब्ध कराने और ग्रामीण परिसंपत्तियों के सृजन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ है।

    किंतु, एक व्हिसलब्लोअर डोज़ियर तथा सामाजिक अंकेक्षण यह उजागर करते हैं कि व्यापक भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिसमें फर्ज़ी लाभार्थी, बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए बिल, ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत, मज़दूरी के भुगतान में विलंब तथा निम्न-स्तरीय कार्य शामिल हैं। राजनीतिक एवं वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव राहुल को इन अनियमितताओं को छिपाने के निर्देश देता है, जिससे व्यक्तिगत सुरक्षा और लोक-कर्तव्य के बीच गंभीर नैतिक द्वंद्व उत्पन्न होता है।

    मुख्य भाग:

    1. नैतिक दुविधाएँ

    • सत्यनिष्ठा बनाम कॉरियर जोखिम: सत्य को उजागर करना स्थानांतरण, प्रतिकूल टिप्पणियाँ और राजनीतिक प्रतिघात आमंत्रित कर सकता है, जबकि भ्रष्टाचार को छिपाना व्यक्तिगत सुरक्षा बनाए रखता है।
    • लोकहित बनाम अनुपालन: ग्रामीण जनता, श्रमिक संघ, नागरिक समाज और न्यायालय पारदर्शिता की मांग करते हैं, जो कमियों को संचालनगत बाधाओं से जोड़ने के निर्देशों के विपरीत है।
    • जवाबदेही बनाम आज्ञाकारिता: MNREGA के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का राहुल का कर्तव्य, प्रणालीगत भ्रष्टाचार के साक्ष्यों को दबाने के निर्देशों से टकराता है।
    • अल्पकालिक सुविधा बनाम दीर्घकालिक सुशासन: अनियमितताओं को छिपाना तात्कालिक संघर्ष से बचा सकता है, परंतु यह भ्रष्टाचार को स्थायी बना देता है, जिससे संस्थागत विश्वसनीयता कमज़ोर होती है।
    • सुभेद्य वर्गों के प्रति नैतिक उत्तरदायित्व: करोड़ों मज़दूर आजीविका हेतु MNREGA पर निर्भर हैं; भ्रष्टाचार को छिपाना सीधे तौर पर उनके हितों को आहत करता है।

    2. विकल्पों और परिणामों का मूल्यांकन

    • निर्देशों का पालन करना: यह अस्थायी रूप से राहुल के कॉरियर और परिवार की सुरक्षा करता है, किंतु भ्रष्टाचार को स्थायी बनाता है, विधिक एवं नैतिक कर्तव्यों का उल्लंघन करता है और लोकविश्वास को कमज़ोर करता है।
    • पूर्ण सत्य की रिपोर्टिंग: यह सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और जवाबदेही को बनाए रखता है, किंतु स्थानांतरण, राजनीतिक प्रतिघात और व्यक्तिगत लक्ष्य बनने के जोखिम साथ लाता है।
    • आंशिक प्रकटीकरण/सूक्ष्म रिपोर्टिंग: यह संचालनगत चुनौतियों को रेखांकित करते हुए अनियमितताओं की ओर संकेत करता है, जिससे जोखिम और नैतिक कर्तव्य के बीच संतुलन बनता है, परंतु जवाबदेही को कम कर सकता है।
    • वैकल्पिक तंत्र: सामाजिक अंकेक्षण, नागरिक समाज, मीडिया और विधिक ढाँचे का सहारा लेना पारदर्शिता को बढ़ाता है और व्यक्तिगत जोखिम को न्यूनतम करता है, यद्यपि इसका प्रभाव अपेक्षाकृत धीमा हो सकता है।

    3. अनुशंसित कार्यवाई का मार्ग:

    • राहुल को सभी अनियमितताओं के साक्ष्यों का सुव्यवस्थित दस्तावेज़ीकरण करना चाहिये, एक आधिकारिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिये जिसमें संचालनगत बाधाओं के साथ-साथ सत्यापित भ्रष्टाचार को भी रेखांकित किया जाए तथा केंद्रीय मंत्रालय की टीम द्वारा स्वतंत्र पर्यवेक्षण को सुगम बनाना चाहिये।
    • नागरिक समाज, श्रमिक संघों के साथ सहभागिता और सामाजिक अंकेक्षण का उपयोग जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
    • विधिक उपाय, जैसे जनहित याचिका (PIL) या व्हिसलब्लोअर संरक्षण, अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
    • यह दृष्टिकोण सत्यनिष्ठा को बनाए रखता है, पारदर्शिता को प्रोत्साहित करता है और व्यक्तिगत जोखिम को न्यूनतम करता है।

    4. नैतिक औचित्य:

    • सत्यनिष्ठा: दबाव की स्थिति में भी रिपोर्टिंग में सत्यनिष्ठा बनाए रखना।
    • जवाबदेही: यह सुनिश्चित करना कि लोकधन अपने नियत उद्देश्य की पूर्ति करे।
    • लोकहित: व्यक्तिगत या राजनीतिक सुविधा से ऊपर MNREGA श्रमिकों के कल्याण को प्राथमिकता देना।
    • कानून का शासन: MNREGA के प्रावधानों, सामाजिक अंकेक्षण तथा भ्रष्टाचार-निरोधक विधानों के अनुरूप कार्य करना।
    • उपयोगितावादी दृष्टिकोण: सर्वाधिक संख्या में लोगों—अर्थात् करोड़ों श्रमिकों के लिये अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना।
    • कर्तव्यनिष्ठ नैतिकता: परिणामों की उपेक्षा करते हुए, गलत कार्यों की रिपोर्ट करने के एक लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करना।

    निष्कर्ष:

    राहुल का निर्णय रॉल्स के “न्याय को समानता के रूप में” (Justice as Fairness) के सिद्धांत को परिलक्षित करना चाहिये। MNREGA का उद्देश्य सबसे अधिक वंचित वर्गों को लाभ पहुँचाना है, और भ्रष्टाचार उनके अधिकारों को कमज़ोर करता है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने से “सबसे कम लाभान्वित” (ग्रामीण श्रमिक, प्रवासी) अपना न्यायसंगत हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे शासन को समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप बनाया जा सके।