• प्रश्न :

    प्रश्न. “कल्याणकारी नीतियों के माध्यम से सामाजिक पुनर्निर्माण के लिये न केवल प्रशासनिक दक्षता, बल्कि सिविल सेवकों द्वारा नैतिक तर्क और आलोचनात्मक विश्लेषण की भी आवश्यकता होती है।” उपयुक्त उदाहरणों के साथ विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    18 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सामाजिक पुनर्निर्माण के संबंध में संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर लिखिये।
    • प्रशासनिक दक्षता की अपरिहार्य भूमिका पर गहराई से विचार कीजिये।
    • नैतिक तर्क की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
    • समालोचनात्मक विश्लेषण के महत्त्व पर गहराई से विचार कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    सामाजिक पुनर्निर्माण का तात्पर्य राज्य के जानबूझकर प्रयासों से है, जिसमें नीति हस्तक्षेपों के माध्यम से समाज की संरचनाओं, मूल्यों और व्यवहारों को बदलकर समानता, न्याय और विकास जैसे व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करना शामिल है। कल्याण नीतियाँ इस परिवर्तन के मुख्य साधन हैं।

    मुख्य भाग:

    प्रशासनिक दक्षता की अपरिहार्य भूमिका:

    प्रशासनिक दक्षता किसी भी कल्याण नीति की प्रक्रियात्मक रीढ़ का निर्माण करती है। यह सुनिश्चित करती है कि लक्षित लाभ सही समय पर सही लोगों तक पहुँचें। इसमें शामिल हैं:

    • लक्ष्य निर्धारण और पहचान: लाभार्थियों की सटीक पहचान करना ताकि शामिल करने या अपवर्जित/बहिष्कार करने की गलतियों से बचा जा सके।
    • लॉजिस्टिक्स और वितरण: सेवाओं या वस्तुओं का समय पर और निर्बाध वितरण सुनिश्चित करना।
    • संसाधन प्रबंधन: धन और मानव संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना।

    उदाहरण: सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से लक्षित PDS में संक्रमण और अब इसे 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के माध्यम से और अधिक परिष्कृत किया जाना, प्रशासनिक दक्षता की खोज का प्रमाण है।

    नैतिक तर्क की आवश्यकता:

    कल्याणकारी नीतियाँ जटिल मानवीय परिवेश में कार्य करती हैं, जिसमें अक्सर संवेदनशील जनसंख्या और नैतिक दुविधाएँ शामिल होती हैं, जिन्हें केवल नियम और प्रक्रियाएँ ही संबोधित नहीं कर सकतीं। नैतिक तर्क एक लोक सेवक को इन जटिल/ग्रे क्षेत्रों में करुणा, सत्यनिष्ठा और न्याय की भावना के साथ मार्गदर्शन करने में सक्षम बनाता है।

    • समानुभूति और करुणा: नौकरशाही नियम कठोर हो सकते हैं। एक नैतिक लोक सेवक उन्हें मानवतावादी दृष्टिकोण से लागू करने के लिये समानुभूति का उपयोग करता है।
      • उदाहरण: एक ज़िला कलेक्टर जो वर्ष 2006 के वन अधिकार अधिनियम को लागू कर रहा है। केवल दक्षता पर आधारित दृष्टिकोण में दस्तावेज़ों की यांत्रिक जाँच करना और मामूली प्रक्रिया संबंधी त्रुटियों वाले दावों को अस्वीकार करना शामिल हो सकता है।
        • हालाँकि, नैतिक तर्क द्वारा मार्गदर्शित एक लोक सेवक आदिवासी समुदायों द्वारा सहन किये गए ऐतिहासिक अन्याय को समझेगा।
    • सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता: कल्याणकारी योजनाओं में अक्सर सीमित संसाधनों का वितरण शामिल होता है, जिससे वे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
      • उदाहरण: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास आवंटित करते समय, एक प्रशासक को स्थानीय राजनीतिक नेताओं की ओर से कुछ व्यक्तियों के पक्ष में निर्णय लेने का भारी दबाव महसूस होता है।
        • नैतिक तर्क सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता की मांग करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि आवंटन पूरी तरह पारदर्शी और आवश्यकता-आधारित सर्वेक्षण के आधार पर किया जाए, जिससे न्याय के सिद्धांत की रक्षा हो और सबसे गरीब लोगों की सेवा हो सके।

    समालोचनात्मक विश्लेषण का महत्त्व:

    • संदर्भानुकूल अनुकूलन: राष्ट्रीय स्तर पर डिज़ाइन की गई नीतियाँ हर स्थानीय संदर्भ के लिये उपयुक्त नहीं हो सकतीं। समालोचनात्मक विश्लेषण आवश्यक अनुकूलन करने की अनुमति देता है।
      • उदाहरण: MGNREGA योजना रोज़गार सृजन की मांग करती है। एक दक्ष अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि काम उपलब्ध कराया जाए और मज़दूरी समय पर भुगतान की जाए।
      • हालाँकि, बुंदेलखंड जैसी सूखाग्रस्त क्षेत्रों में समालोचनात्मक विश्लेषण क्षमता वाले एक लोक सेवक जल संरक्षण (जैसे चेक डैम और तालाब गहराई बढ़ाना) पर केंद्रित परियोजनाओं को प्राथमिकता देंगे और उन्हें अनुमोदित करेंगे, भले ही इन्हें लागू करना अधिक जटिल हो।
        • यह सुनिश्चित करता है कि योजना केवल रोज़गार ही प्रदान न करे, बल्कि जलवायु-सहनशील सामुदायिक संसाधन भी बनाए, जिससे स्थानीय संकट के मूल कारण का समाधान हो सके।
    • अनपेक्षित परिणामों का मूल्यांकन: प्रत्येक नीति के अप्रत्याशित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। समालोचनात्मक विश्लेषण इन्हें पहचानने और कम करने में सहायता करता है।
      • उदाहरण: लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये नकद हस्तांतरण प्रदान करने वाली एक योजना को दक्षतापूर्वक लागू किया जा सकता है।
        • हालाँकि, एक समालोचनात्मक विश्लेषण से पता चल सकता है कि कुछ पितृसत्तात्मक परिवारों में यह धन पुरुष सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है और लड़की के लाभ के लिये उपयोग नहीं हो रहा है।
        • एक लोक सेवक जो इस परिणाम का समालोचनात्मक विश्लेषण करता है, वह नीति निर्धारकों को महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया दे सकता है और नकद हस्तांतरण को सीधे स्कूल से संबंधित व्ययों से जोड़ने जैसे संशोधनों का सुझाव दे सकता है।

    निष्कर्ष:

    कल्याणकारी नीतियों के माध्यम से सामाजिक पुनर्निर्माण केवल इनपुट और आउटपुट की यांत्रिक प्रक्रिया नहीं है। यह एक गहन मानवीय प्रयास है। जहाँ प्रशासनिक दक्षता नीति के कार्यान्वयन के लिये मार्ग तैयार करती है, वहीं नैतिक तर्क नैतिक दिशासूचक (कम्पास) प्रदान करता है और समालोचनात्मक विश्लेषण उस वाहन को मार्गदर्शन देता है, जिससे यह जटिल परिदृश्यों में नेविगेट कर सके और अप्रत्याशित चुनौतियों के अनुकूल ढल सके।