• प्रश्न :

    प्रश्न. क्या सच्ची निष्पक्षता समानुभूति के साथ सह-अस्तित्व में रह सकती है या क्या समानुभूति अनिवार्य रूप से पूर्वाग्रह को जन्म देती है? लोक सेवा के संदर्भ में समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    11 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • निष्पक्षता और समानुभूति के संबंध में संक्षेप में परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • लोक सेवा में निष्पक्षता और समानुभूति के लिये प्रमुख तर्क प्रस्तुत कीजिये।
    • पक्ष और विपक्ष में तर्कों पर प्रकाश डालिये। क्या समानुभूति पक्षपात को जन्म देती है?
    • संक्षेप में समालोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिये और उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    निष्पक्षता और समानुभूति लोक सेवा में दो अनिवार्य लेकिन प्रतीत होने में विरोधाभासी मूल्य हैं। निष्पक्षता तटस्थता, न्याय और नियमों के पालन की माँग करती है, जबकि समानुभूति नागरिकों की भावनाओं और आवश्यकताओं को समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने की क्षमता की मांग करती है।

    मुख्य भाग:

    लोक सेवा में निष्पक्षता

    • नागरिकों के प्रति न्याय और समान व्यवहार सुनिश्चित करती है।
    • अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और शासन के नियमों जैसे संवैधानिक सिद्धांतों में आधारित है।
    • प्रशासनिक न्याय को बनाए रखती है, जिससे पक्षपात, भाई-भतीजावाद या मनमानी को रोका जा सके।

    लोक सेवा में समानुभूति

    • इसे नोलन समिति के सिद्धांत (निःस्वार्थता, वस्तुनिष्ठता) और द्वितीय ARC की अनुशंसाओं में एक मूलभूत मूल्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।
    • यह नागरिक-केंद्रित शासन को सुदृढ़ बनाती है, जिससे नीतियाँ अप्रभावी और संवेदनशील समूहों के प्रति उत्तरदायी होती हैं।
      • उदाहरण: आपदाओं के दौरान, समानुभूतिशील अधिकारी कड़े नियमों से परे जाकर ज़रूरतमंदों को राहत प्रदान करते हैं।

    क्या समानुभूति पक्षपात को जन्म देती है?

    • समानुभूति से पक्षपात होने के तर्क:
      • तरजीही व्यवहार (Preferential Treatment) हो सकता है (उदा. भावनात्मक अपील के आधार पर किसी व्यक्ति को प्राथमिकता देना)।
      • निर्णय लेने में व्यक्तिपरकता का खतरा, जो शासन के नियमों की उपेक्षा कर सकता है।
      • असंगत निर्णय और अन्याय के आरोपों का जोखिम बढ़ सकता है।
    • तर्क कि समानुभूति निष्पक्षता को दृढ़ करती है:
      • समानुभूति यह सुनिश्चित करती है कि नीतियाँ यांत्रिक (Mechanical) या अपवर्जित (Exclusionary) न बनें।
      • यह प्रशासनिक अधिकारियों को संरचनात्मक असमानताओं (जैसे: लिंग, जाति, विकलांगता) को समझने और नियमों को अधिक समान रूप से लागू करने में सक्षम बनाती है।
      • उदाहरण: लक्षित कल्याण योजनाएँ (जैसे SC/ST के लिये छात्रवृत्ति, दिव्यांगजन पहल) समानुभूतिशील हैं और न्याय सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत रूप से लागू की गई हैं।

    समालोचनात्मक विश्लेषण

    • संस्थागत सुरक्षा के बिना अत्यधिक समानुभूति पक्षपात और असमानता उत्पन्न कर सकती है।
    • समानुभूति के बिना कठोर निष्पक्षता अलगाव की भावना उत्पन्न कर सकती है।
    • आदर्श दृष्टिकोण समानुभूतिशील निष्पक्षता है, जहाँ समानुभूति विविध आवश्यकताओं को समझने में मार्गदर्शक हो, लेकिन निर्णय न्याय और संवैधानिक नैतिकता के ढाँचे में ही रहें।

    निष्कर्ष

    सच्ची निष्पक्षता वास्तव में समानुभूति के साथ सह-अस्तित्व में हो सकती है, यदि समानुभूति को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में संस्थागत रूप से लागू किया जाए, न कि मनमानी व्यक्तिगत भावना के रूप में। एक सिविल सेवक को “कठोर प्रशासक, परंतु मानवीय हृदय वाला” होना चाहिये, जो नियमों के आधार पर निष्पक्षता सुनिश्चित करे और कानूनों की न्यायपूर्ण व्याख्या और क्रियान्वयन में समानुभूति का प्रयोग करे।