• प्रश्न :

    प्रश्न. विश्लेषण कीजिये कि डेटा भारत की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार ‘उत्पादन का नया तत्त्व’ बनकर उभरा है। इसके नियमन, स्वामित्व और गोपनीयता के संदर्भ में कौन-कौन सी चुनौतियाँ सामने आती हैं? (250 शब्द)

    10 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • रिपोर्टों/सूचकांकों में आँकड़ों (Data) की भूमिका का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • उत्पादन के नए कारक के रूप में डेटा का विश्लेषण कीजिये।
    • डेटा के नियमन, स्वामित्व और निजता के संदर्भ में चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • एक विश्वसनीय डेटा अर्थव्यवस्था के निर्माण की विवेचना कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    पारंपरिक अर्थव्यवस्था भूमि, श्रम और पूँजी जैसे उत्पादन के कारकों पर आधारित थी। किंतु डिजिटल युग में ‘डेटा’ नये उत्पादन कारक के रूप में उभरा है, जिसकी तुलना आर्थिक महत्त्व में तेल से की जा रही है। उदाहरणस्वरूप, भारत का डेटा सेंटर बाज़ार वर्ष 2030 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

    मुख्य भाग:

    ‘उत्पादन के नए कारक’ के रूप में डेटा:

    • वित्तीय समावेशन और नए बाज़ारों को सक्षम बनाना: डेटा जोखिम आकलन और नयी सेवाओं की संभावनाएँ खोलता है, जिससे वे लोग भी औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनते हैं जिनके पास पारंपरिक परिसंपत्तियाँ नहीं हैं तथा यह उन लोगों के लिये ‘डिजिटल कैपिटल’ के रूप में कार्य करता है।
      • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) भारी मात्रा में लेन-देन संबंधी डेटा उत्पन्न करता है।
      • पेटीएम और बजाज फिनसर्व जैसी फिनटेक कंपनियाँ इस डेटा का विश्लेषण करके व्यक्तियों, यहाँ तक कि बिना औपचारिक क्रेडिट इतिहास वाले व्यक्तियों का भी विस्तृत वित्तीय विवरण तैयार करती हैं।
    • ई-कॉमर्स में अति-वैयक्तिकरण: ऑनलाइन खुदरा विक्रेता ग्राहक डेटा के ब्राउज़िंग हिस्ट्री, पूर्व खरीद और सर्च क्वेरी से व्यक्तिगत खरीदारी का अनुभव प्रदान करते हैं, जिससे बिक्री और ग्राहक निष्ठा बढ़ती है।
      • फ्लिपकार्ट और मिंत्रा उपयोगकर्त्ता डेटा का विश्लेषण करने के लिये परिष्कृत AI एवं मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करते हैं।
      • इससे उन्हें अपने अनुशंसा इंजन (“Customers also bought…”) को सशक्त बनाने, उपयोगकर्त्ता के होमपेज को प्रासंगिक उत्पादों के साथ अनुकूलित करने और लक्षित प्रचार ऑफर भेजने में सहायता मिलती है।
    • सार्वजनिक नीति और शासन को सूचित करना: सरकारें अब अधिक प्रभावी नीतियाँ बनाने, कुशलतापूर्वक सेवाएँ प्रदान करने तथा सार्वजनिक धन के उपयोग को अनुकूलित करने के लिये बड़े पैमाने पर डेटा का उपयोग कर सकती हैं।
      • वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) व्यावसायिक लेन-देन डेटा के विश्व के सबसे बड़े भंडारों में से एक है।
      • भारत सरकार इस डेटा से आर्थिक प्रवृत्तियों का रियल-टाइम आकलन करती है, राजस्व पूर्वानुमान अधिक सटीक बनाती है और कर अपवंचन पर नज़र रखती है।
    • प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: कई आधुनिक डिजिटल व्यवसायों के लिये, डेटा केवल एक सहायक संपत्ति नहीं है, बल्कि यह एक मुख्य संपत्ति है।
      • ये प्लेटफॉर्म विभिन्न उपयोगकर्त्ता समूहों को जोड़कर और उनके इंटरैक्शन से उत्पन्न डेटा का लाभ उठाकर मूल्य सृजन करते हैं।
      • डेल्हीवरी जैसी लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ और ज़ोमैटो व स्विगी जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म का पूरा बिज़नेस मॉडल डेटा पर आधारित है।

    विनियमन, स्वामित्व और निजता से जुड़ी चुनौतियाँ

    • नियामक ओवरलैप और अनुपालन संबंधी मुद्दे: IT अधिनियम, RBI मानदंडों और नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) में नियामक ओवरलैप अनुपालन को जटिल बनाता है।
    • डेटा स्वामित्व पर अस्पष्टता: डेटा का स्वामित्व व्यक्ति, प्लेटफॉर्म या राज्य किसके पास हो? इस असमंजस से विदेशी कंपनियों द्वारा ‘डेटा उपनिवेशीकरण’ का खतरा बढ़ता है।
    • निजता संबंधी चिंताएँ: निजता संबंधी चिंताएँ बनी रहती हैं, जैसे: Consent Fatigue – यह वह थकान व उदासीनता है जो उपयोगकर्त्ता बार-बार डेटा संग्रह और उपयोग के लिये सहमति देने के कारण महसूस करते हैं तथा इसके परिणामस्वरूप वे बिना पूरी तरह समझे केवल सहमति दे देते हैं।
      • प्रोफाइलिंग और राज्य निगरानी। इसके अलावा, बड़ी तकनीकी कंपनियों के बीच डेटा के संकेंद्रण से डिजिटल डिवाइड में वृद्धि का खतरा है।
      • कई अध्ययनों के अनुसार, AI एल्गोरिदम व्यसनकारी व्यवहार और ADHD जैसी मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बनते हैं।

    एक विश्वसनीय डेटा अर्थव्यवस्था का निर्माण:

    • नियमन को सुदृढ़ करना: बिग टेक कंपनियों के प्रभुत्व पर नियंत्रण हेतु सख्त प्रतिस्पर्द्धा कानून लागू किये जाने चाहिये।
      • राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील डेटा का स्थानीयकरण किया जाना चाहिये।
    • नागरिक-केंद्रित डेटा स्वामित्व: व्यक्तियों को व्यक्तिगत डेटा के वास्तविक स्वामी के रूप में मान्यता की आवश्यकता है, साथ ही प्लेटफॉर्म को केवल प्रत्ययी के रूप में भूमिका निभानी चाहिये।
      • सहमति-आधारित, पोर्टेबल और सुरक्षित डेटा साझाकरण को सक्षम करने के लिये अकाउंट एग्रीगेटर जैसे ढाँचों का विस्तार किया जाना चाहिये।
    • मज़बूत गोपनीयता और नियामक सुरक्षा उपाय: एक स्वतंत्र नियामक के साथ डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 का कड़ाई से प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
      • उच्चतम न्यायालय के पुट्टस्वामी (2017) निर्णय के अनुसार निजता गरिमा और स्वतंत्रता का मूल है, इसलिये इसे संरक्षित करना अनिवार्य है।

    निष्कर्ष:

    विश्व बैंक की वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट- 2021: डेटा फॉर बेटर लइव्स में कहा गया है कि डेटा केवल गतिविधियों का उप-उत्पाद नहीं है, बल्कि पूँजी का नया रूप है। भारत के सामने चुनौती यह है कि इस पूँजी को सार्वजनिक हित में बदला जाये, साथ ही गरिमा की रक्षा हो, समानता बनी रहे और संप्रभुता सुरक्षित रहे। तभी डेटा क्रांति (डेटा को नई ज़मीन या आधार मानते हुए) वास्तव में समावेशी और सतत् विकास की नींव बन सकती है।