• प्रश्न :

    केस स्टडी

    आप एक महानगर के ज़िलाधिकारी हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रेडिक्टिव पुलिसिंग प्रणाली लागू की है, जिसका उद्देश्य अपराध की पूर्वानुमानित रोकथाम है। इसके लिये नागरिकों से संबंधित बिग डाटा, जैसे: CCTV फुटेज, मोबाइल रिकॉर्ड, ऑनलाइन गतिविधियों के पैटर्न आदि का विश्लेषण किया जा रहा है।

    हालाँकि इस प्रणाली ने सड़क अपराधों को कम करने और प्रतिक्रिया समय में सुधार करने में प्रारंभिक सफलता तो दिखाई है, फिर भी कई चिंताएँ सामने आई हैं। नागरिक समाज समूहों और डिजिटल अधिकार कार्यकर्त्ताओं का आरोप है कि यह तकनीक सीमांत समुदायों को असमान रूप से निशाना बनाती है, जिससे भेदभाव और प्रोफाइलिंग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। आम नागरिकों ने बिना सहमति लिये डाटा संग्रहण और सामूहिक निगरानी (Mass Surveillance) की संभावना पर आपत्ति जताई है।

    इसी बीच गृह विभाग आप पर दबाव डाल रहा है कि सभी थानों में इस प्रणाली का विस्तार किया जाये, क्योंकि यह दक्ष, कम लागत वाली और विधि-व्यवस्था के लिये लाभकारी बताई जा रही है। दूसरी ओर, कुछ पुलिस अधिकारी अनौपचारिक रूप से यह चिंता जता रहे हैं कि AI पर अंध-निर्भरता के कारण उनकी व्यावसायिक समझ और विवेक (Discretion) कमज़ोर हो सकता है।

    आपसे अपेक्षा की गई है कि आप राज्य सरकार के लिये एक रिपोर्ट तैयार करें जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा तथा मूल अधिकारों के संरक्षण की दोहरी अनिवार्यताओं को संतुलित किया गया हो।

    प्रश्न:

    (a) प्रेडिक्टिव पुलिसिंग को लेकर उठी चिंताओं पर आपकी तत्काल प्रतिक्रिया क्या होगी?

    (b) इस मामले में निहित नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कर उनकी विवेचना कीजिये।

    (c) यदि आपसे सार्वजनिक सुरक्षा हेतु AI के उपयोग को उचित ठहराने के लिये कहा जाये, तो आप कौन-से तार्किक और नैतिक तर्क प्रस्तुत करेंगे?

    (d) एक लोकसेवक के रूप में आप कौन-से ठोस उपाय सुझाएँगे ताकि शासन में AI का प्रयोग करते समय उत्तरदायित्व, निष्पक्षता तथा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके?

    05 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल कटने का दृष्टिकोण:

    • विषय का परिचय दीजिये।
    • स्थिति पर तत्काल प्रतिक्रिया लिखिये।
    • इसमें शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कर और उनकी विवेचना कीजिये।
    • जन सुरक्षा के लिये AI के पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिये।
    • नागरिकों के उत्तरदायित्व, निष्पक्षता और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों को प्रस्तावित कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    एक महानगरीय क्षेत्र के ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में मेरे समक्ष दोहरी चुनौती है— एक ओर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित प्रीडिक्टिव पुलिसिंग जैसी नवीन तकनीक के माध्यम से जन-सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा दूसरी ओर नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना और पक्षपात, सहमति एवं निगरानी से जुड़ी आशंकाओं का समाधान करना। इस मामले में संवैधानिक मूल्यों के साथ अपराध रोकथाम में दक्षता का संतुलन बनाना नैतिक अनिवार्यता है।

    मुख्य भाग:

    A. चिंताओं पर तत्काल प्रतिक्रिया

    • चिंताओं की स्वीकृति और संवाद: नागरिक समाज समूहों, डिजिटल अधिकार कार्यकर्त्ताओं और सीमांत समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी चिंताओं को औपचारिक रूप से दर्ज किया जाए।
      • ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिये जहाँ नागरिक प्रीडिक्टिव पुलिसिंग के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज करा सकें और चुनौती दे सकें।
    • पारदर्शिता सुनिश्चित करना: जन-सामान्य को तकनीक की सीमा व सुरक्षा उपायों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिये ताकि विश्वास कायम हो।
      • कार्रवाई से पूर्व प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रत्येक AI जनित अलर्ट या पूर्वानुमान का सत्यापन और पुष्टिकरण अनिवार्य किया जाना चाहिये।
    • गोपनीयता और सहमति की सुरक्षा: डेटा का सख्त न्यूनतमीकरण सुनिश्चित करने के लिये निर्देश जारी किया जाना चाहिये, केवल आवश्यक एवं आनुपातिक डेटा ही एकत्रित और उपयोग किया जाना चाहिये।
      • संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा को अज्ञात रूप में सुरक्षित करने और एन्क्रिप्शन एडॉप्शन पर बल दिया जाना चाहिये, ताकि उसके दुरुपयोग या अनधिकृत अभिगम्यता को रोका जा सके।
    • स्वतंत्र ऑडिट करना: पूर्वाग्रह, प्रोफाइलिंग और डेटा के दुरुपयोग के जोखिमों का आकलन करने के लिये AI टूल का तकनीकी एवं नैतिक ऑडिट करवाने की आवश्यकता है।
    • अस्थायी सुरक्षा उपाय: निगरानी तंत्र और शिकायत निवारण जैसे प्रारंभिक सुदृढ़ सुरक्षा उपाय लागू होने तक विस्तार को स्थगित रखा जाना चाहिये।
      • आवश्यक पायलट परियोजनाएँ शुरू की जानी चाहिये और ज़मीनी स्तर पर विस्तार से पहले समीक्षा की जानी चाहिये।

    B. शामिल नैतिक मुद्दे

    • गोपनीयता बनाम निगरानी: बिना सहमति के डेटा संग्रह नागरिकों के निजता के अधिकार (पुत्तास्वामी प्रकरण) को चुनौती देता है।
    • पक्षपात और भेदभाव: एल्गोरिद्म के कारण हाशिये के वर्गों पर असमान रूप से निशाना साधा जा सकता है।
    • स्वायत्तता एवं मानवीय निर्णय: AI पर अत्यधिक निर्भरता पुलिस विवेक और उत्तरदायित्व को कम कर सकती है।
    • पारदर्शिता एवं उत्तदायित्व: ‘ब्लैक बॉक्स’ स्वरूप होने के कारण गलत परिणामों का उत्तरदायित्व तय करना कठिन होता है।
    • लोकविश्वास: निर्णय-प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी का अभाव लोकतांत्रिक वैधता को प्रभावित कर सकता है।

    C. सार्वजनिक सुरक्षा के लिये AI का औचित्य सिद्ध करना

    • दक्षता और सक्रिय अपराध रोकथाम: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) विशाल आँकड़ों का विश्लेषण कर अपराध के रुझानों को पहचान सकती है, जिससे अपराध घटित होने से पहले ही उसकी रोकथाम संभव हो जाती है।
    • संसाधन अनुकूलन: यह सीमित पुलिस बल का अधिक प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करती है और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाता है।
    • साक्ष्य-आधारित पुलिसिंग: व्यक्तिपरक निर्णय की तुलना में डेटा-आधारित अंतर्दृष्टि मनमानी को कम कर सकती है।
    • नैतिक औचित्य: उपयोगितावादी दृष्टिकोण सार्वजनिक सुरक्षा को अधिकतम करता है तथा अधिकतम लोगों को होने वाले नुकसान को कम करता है।
    • तुलनात्मक शिक्षा: कई वैश्विक नगर सख्त निगरानी में AI-संचालित पुलिसिंग का सफलतापूर्वक उपयोग करते हैं, जिससे पता चलता है कि अगर इसे नियंत्रित किया जाए तो यह कारगर सिद्ध हो सकती है।

    D. उत्तरदायित्व, निष्पक्षता और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय

    • विधि का शासन और निगरानी: प्रीडिक्टिव पुलिसिंग में AI के उपयोग की निगरानी के लिये स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिये, जिसकी रिपोर्टिंग संसदीय/राज्य विधानमंडल द्वारा हो।
    • एल्गोरिदमिक पारदर्शिता: AI मॉडल, प्रशिक्षण डेटासेट और निर्णय लेने के मानदंडों का प्रकटीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिये।
    • पूर्वाग्रह निवारण: प्रणालीगत भेदभाव को कम करने के लिये समय-समय पर तृतीय-पक्ष ऑडिट एवं विविध डेटासेट का समावेश सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • डेटा सुरक्षा: सूचित सहमति, गुमनामी और सीमित डेटा प्रतिधारण सुनिश्चित करते हुए उपयोग को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के अनुरूप बनाया जाना चाहिये।
    • ह्यूमन-इन-द-लूप: AI को केवल सहायक साधन के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिये, न कि उसके स्थानापन्न के रूप में। अंतिम निर्णय का उत्तदायित्व हमेशा उत्तरदायी पुलिस अधिकारियों की ही होनी चाहिये।
    • नागरिक शिकायत तंत्र: शिकायत निवारण मंच बनाए जाने चाहिये जहाँ व्यक्ति AI-आधारित प्रोफाइलिंग या कार्रवाइयों को चुनौती दे सकें।
    • क्षमता निर्माण: पुलिस अधिकारियों को प्रौद्योगिकी के उपयोग की नैतिकता, डिजिटल अधिकारों और ज़िम्मेदार AI प्रथाओं का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।

    यदि सूचित सहमति, निगरानी और उत्तदायित्व के साथ लागू किया जाए, तो प्रीडिक्टिव पुलिसिंग जन सुरक्षा एवं नागरिकों के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित कर सकती है, जिससे लोकतंत्र में वैधता सुनिश्चित होती है।

    निष्कर्ष

    जैसा कि अरस्तू ने कहा है, “कानून वह तर्क है जो पक्षपात से मुक्त होता है।” उसी प्रकार, प्रौद्योगिकी को बिना किसी पूर्वाग्रह के न्याय प्रदान करना चाहिये। प्रीडिक्टिव पुलिसिंग जन सुरक्षा के लिये एक मूल्यवान साधन सिद्ध हो सकती है, लेकिन केवल तभी जब इसे पारदर्शिता, उत्तदायित्व और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के सख्त पालन के साथ लागू किया जाए। ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में, मेरी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि नवाचार लोकतंत्र एवं नागरिकों के विश्वास को मज़बूत करे, न कि कम करे।