• प्रश्न :

    प्रश्न: सुन त्ज़ु ने कहा था, "युद्ध की सर्वोच्च कला बिना लड़े शत्रु को परास्त करना है।" वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यह कहाँ तक लागू होता है? (150 शब्द)

    28 Aug, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उद्धरण का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में युद्ध कला पर सुन त्ज़ु के कथन की प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    सुन त्ज़ु का युद्ध कला पर उद्धरण प्रत्यक्ष संघर्ष की तुलना में रणनीति, कूटनीति और प्रभावशाली पहलुओं पर ज़ोर देता है।

    • आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में, जहाँ बड़े स्तर पर युद्ध महँगा और अस्थिरता उत्पन्न करने वाला होता है, बिना प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष के लक्ष्यों को प्राप्त करने का सिद्धांत अत्यधिक प्रासंगिक होता जा रहा है।

    मुख्य भाग:

    आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में युद्ध कला पर सुन त्ज़ु के उद्धरण की प्रासंगिकता:

    • संघर्ष प्रबंधन के लिये सामरिक कूटनीति:
      • बहुपक्षीय संस्थाएँ: संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन और G20 जैसे मंच, राष्ट्रों को युद्ध के बिना वैश्विक मानदंडों को आकार देने में सक्षम बनाते हैं।
      • गठबंधन निर्माण: नाटो, क्वाड या SCO जैसे गठबंधन देशों को सामूहिक रूप से शक्ति प्रदर्शित करने और संघर्ष को रोकने की अनुमति देते हैं।
      • रणनीतिक संकेत: पहलगाम हमले (सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल) के बाद भारत की सक्रियता, जिसके परिणामस्वरूप तियानजिन घोषणा-पत्र में औपचारिक निंदा की गई, सैन्य प्रतिशोध की तुलना में प्रभावी कूटनीतिक संकेत को दर्शाती है।
      • जल कूटनीति: भारत ने सिंधु जल संधि का रणनीतिक रूप से उपयोग किया है, यह घोषणा करते हुए कि इसे तब तक "निलंबित" रखा जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ प्रमाणित कार्रवाई नहीं करता।
        • यह सीमा पार जल समझौतों के माध्यम से गैर-सैन्य दबाव को दर्शाता है।
    • गैर-सैन्य उपकरण के रूप में आर्थिक लाभ
      • प्रतिबंध और व्यापार उपाय: रूस (यूक्रेन पर आक्रमण के बाद) और ईरान जैसे देशों पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध प्रत्यक्ष युद्ध के बिना दबाव को दर्शाते हैं।
      • व्यापार और सहायता कूटनीति: देश अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये व्यापार समझौतों, विकास सहायता और बुनियादी ढाँचे में निवेश (जैसे, चीन की बेल्ट एंड रोड पहल) का उपयोग करते हैं।
      • निवेश और आपूर्ति श्रृंखलाएँ: रणनीतिक क्षेत्रों (जैसे सेमीकंडक्टर, दुर्लभ धातुएँ) पर नियंत्रण बल प्रयोग के बिना प्रभाव डालने में सक्षम बनाता है।
    • रणनीतिक निवारण
      • परमाणु और उन्नत सैन्य क्षमताएँ: जवाबी कार्रवाई का खतरा युद्धों को बढ़ने से रोकता है, देश प्रत्यक्ष युद्ध की तुलना में अप्रत्यक्ष रूप से निवारण के माध्यम से उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं।
      • शक्ति का संतुलित प्रयोग: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में हाल ही में किये गए हवाई हमलों ने आतंकवाद को दंडित करने के लिये गैर-राज्यीय तत्त्वों को लक्षित करके शक्ति के संतुलित उपयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया, साथ ही व्यापक युद्ध छेड़े बिना, भारत के संकल्प का संकेत भी दिया।
    • सूचना और साइबर रणनीतियाँ
      • साइबर युद्ध और दुष्प्रचार: राष्ट्र पारंपरिक युद्ध के बिना विरोधियों को कमज़ोर करने के लिये साइबर हमलों, निगरानी और दुष्प्रचार अभियानों का तेज़ी से उपयोग कर रहे हैं।
        • वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनाव के दौरान रूस द्वारा साइबर हमलों और दुष्प्रचार का कथित उपयोग इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

    निष्कर्ष:

    यद्यपि प्रत्यक्ष युद्ध अभी भी होते हैं, किंतु राष्ट्र आर्थिक, तकनीकी और सॉफ्ट पावर जैसे साधनों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं, जो बिना लड़े प्रतिद्वंद्वी को पराजित करने की कला को दर्शाता है। जैसा कि सुन त्ज़ू ने कहा है, “सौ युद्धों में सौ जीत प्राप्त करना कौशल की पराकाष्ठा नहीं है। बिना लड़ाई के शत्रु को पराजित करना ही वास्तविक कौशल है।”