प्रश्न. “विश्वसनीयता विश्वास से आती है और निरंतरता धैर्य से बनी रहती है।” लोक प्रशासन के उदाहरणों के साथ इस कथन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- विश्वसनीयता और धैर्य के गुणों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- विश्वसनीयता के निर्माण में विश्वास की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
- निरंतरता की गारंटी के रूप में धैर्य पर चर्चा कीजिये।
- उनकी सीमाओं का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।
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परिचय:
विश्वसनीयता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और विश्वास का प्रतीक है, जो शासन प्रणालियों के लिये विश्वास अर्जित करती है। धैर्य नैतिक साहस, दृढ़ता और निरंतरता का प्रतिनिधित्व करता है, जो राजनीतिक, सामाजिक अथवा संस्थागत चुनौतियों के बावजूद नैतिक आचरण की सतत् प्रवृत्ति सुनिश्चित करता है। ये दोनों गुण मिलकर लोकसेवा की नैतिक नींव को मज़बूत बनाते हैं।
मुख्य भाग:
विश्वसनीयता के स्रोत के रूप में विश्वास
- विश्वसनीयता से विश्वास बढ़ता है, क्योंकि नागरिक उन संस्थाओं पर निर्भर रहते हैं जो सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता के साथ काम करती हैं।
- एक विश्वसनीय प्रशासक या संस्था वैधता अर्जित करती है, जो लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण: वर्ष 1965 के खाद्य संकट के दौरान लाल बहादुर शास्त्री की विश्वसनीयता ने “जय जवान, जय किसान” के नारे के माध्यम से नागरिकों के बीच विश्वास को प्रेरित किया।
- विश्वसनीयता के बिना शासन में निराशावाद, भ्रष्टाचार और जन विश्वास में कमी आती है।
निरंतरता की गारंटी के रूप में धैर्य
- धैर्य, विरोध या प्रतिकूलता के बावजूद नैतिक निर्णय लेने में दृढ़ बने रहने की क्षमता है।
- प्रशासकों को प्रायः निहित स्वार्थों, राजनीतिक वरिष्ठों या यहाँ तक कि जन प्रतिरोध के दबाव का सामना करना पड़ता है।
- दृढ़ता उन्हें मूल्यों को कायम रखने और दीर्घकालिक सुधारों को बनाए रखने में सक्षम बनाती है।
- उदाहरण:
- सरदार वल्लभभाई पटेल: उन्होंने 500 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में दृढ़ता दिखाई, जिससे नव स्वतंत्र राष्ट्र की निरंतरता सुनिश्चित हुई।
- ई. श्रीधरन (दिल्ली मेट्रो): उन्होंने भ्रष्टाचार और अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त मेट्रो परियोजना को क्रियान्वित करने में दृढ़ता का परिचय दिया, तथा उच्च मानकों की निरंतरता सुनिश्चित की।
- सूचना का अधिकार अधिनियम संस्थागत दृढ़ता को दर्शाता है, जो प्रतिरोध के बावजूद पारदर्शिता सुधारों में निरंतरता को सक्षम बनाता है।
- दृढ़ता यह सुनिश्चित करती है कि शासन बाहरी दबाव के कारण बिखर न जाए, बल्कि नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप बना रहे।
समालोचनात्मक मूल्यांकन
- केवल विश्वसनीयता पर्याप्त नहीं है: विश्वसनीयता के लिये कुशलता और दक्षता भी आवश्यक हैं। शुभचिंतक किन्तु अक्षम प्रशासक जनता का विश्वास अर्जित नहीं कर सकता।
- अनुकूलनशीलता के बिना धैर्य: अत्यधिक कठोरता लचीलापन और व्यावहारिक निर्णय क्षमता में बाधा डाल सकती है। सहनशीलता का अर्थ जिद में परिवर्तन नहीं होना चाहिये।
- पूरक मूल्यों की आवश्यकता: प्रभावी लोक प्रशासन के लिये सहानुभूति, जवाबदेही, निष्पक्षता और दक्षता समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
विश्वसनीयता और धैर्य परस्पर निर्भर गुण हैं जो नैतिक शासन को सुदृढ़ करते हैं। फिर भी, शासन को वास्तव में समग्र बनाने के लिये, इनके साथ योग्यता, सहानुभूति और जवाबदेही का भी समावेश होना आवश्यक है। जैसा कि सद्गुण नैतिकता पर बल दिया गया है, चरित्र नैतिक कर्म का आधार है—विश्वास सत्य से उत्पन्न होता है, साहस निरंतरता को बनाए रखता है, और ये सब मिलकर एक सद्गुणी लोक सेवा को आकार देते हैं।