उत्तर :
1. ऐसे जियो जैसे कल ही मरना है। ऐसे सीखो जैसे हमेशा जीना है। (1200 शब्द)
- निबंध को समृद्ध करने हेतु उद्धरण:
- अल्बर्ट आइंस्टीन: "जब आप सीखना बंद कर देते हैं, तो आप मरना शुरू कर देते हैं।"
- स्टीव जॉब्स: "आपका काम आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा चाहिये और वास्तव में संतुष्ट होने का एकमात्र तरीका यही है कि आप वही करें, जिसे आप महान कार्य मानते हैं और महान कार्य करने का एकमात्र तरीका है कि आप वही करें जिसे आप प्यार करते हैं।"
- सेनेका: "जब हम टालमटोल करते रहते हैं, तो जीवन तेज़ी से आगे बढ़ता है।
- सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- कार्पे डियम बनाम दीर्घकालिक विकास: यह उद्धरण जीवन की क्षणभंगुर प्रकृति को स्वीकार करते हुए पाठक को वर्तमान क्षण को जीने का आह्वान करता है, साथ ही सीखने के महत्त्व को भी रेखांकित करता है।
- वर्तमान में पूर्णत: जीने और भविष्य की तैयारी करने के बीच का संतुलन ही बुद्धिमत्ता की पहचान है।
- मृत्यु के प्रति दार्शनिक चिंतन: जीवन की नश्वरता की स्वीकृति प्रायः व्यक्ति को विकास, शिक्षा तथा आत्मसाक्षात्कार की ओर प्रेरित करती है।
- दर्शनशास्त्र, विशेषकर स्टोइकवाद, सिखाता है कि नश्वरता के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण, सद्गुण और ज्ञान से भरे जीवन को आकार दे सकता है।
- आजीवन सीखना: यह धारणा कि शिक्षा उम्र अथवा परिस्थिति के साथ समाप्त नहीं होती बल्कि जीवनभर जारी रहती है, व्यक्त्तिगत विकास और बौद्धिक विनम्रता के सिद्धांतों से गहराई से जुड़ी हुई है।
- मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक अंतर्दृष्टि:
- प्रेरणा सिद्धांत: आत्म-निर्धारण सिद्धांत और विकासात्म्क मानसिकता यह संकेत देते हैं कि सीखने की आंतरिक प्रेरणा व्यक्तिगत विकास की ओर ले जाती है और जीवन की नश्वरता को पहचानने से व्यक्ति जोखिम लेने और सीखने के अवसरों को अपनाने के लिये अधिक इच्छुक हो जाता है।
- अस्तित्ववादी मनोविज्ञान: अस्तित्ववादियों का तर्क है कि मृत्यु के प्रति हमारी सजगता हमें कार्यों और निर्णयों के माध्यम से जीवन को अर्थ देने के लिये बाध्य करती है, जिससे हम निरंतर आत्म-सुधार की ओर अग्रसर होते हैं।
- ऐतिहासिक और समकालीन उदाहरण:
- लियोनार्डो दा विंची: एक बहुश्रुत व्यक्ति के रूप में, दा विंची ने वर्तमान में जीने (अपनी कला और आविष्कारों के माध्यम से) और निरंतर ज्ञान की खोज, दोनों के महत्त्व को दर्शाया। उनकी नोटबुक्स एक ऐसे दिमाग का परिचय देती हैं जिसने अन्वेषण करना कभी नहीं छोड़ा।
- स्टीव जॉब्स: व्यापार और नवाचार के प्रति उनका दृष्टिकोण निरंतर सीखने की उनकी इच्छा को दर्शाता था तथा ऐसी नई धारणाओं को आगे बढ़ाने का परिचायक था, जिनका विश्व पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- व्यक्तिगत विकास पर सीखने का प्रभाव: आज की तीव्र गति वाली दुनिया में, सीखने को एक आजीवन प्रतिबद्धता के रूप में देखा जाना चाहिये जो व्यक्तियों को प्रासंगिक, अनुकूलनशील और संतुष्ट बनाए रखता है।
- इंटरनेट ने सीखने और ज्ञान तक पहुँचने की क्षमता में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है, जिससे ऑनलाइन संसाधनों और पाठ्यक्रमों के माध्यम से "हमेशा सीखते रहना" और अधिक सरल हो गया है।
2. हम वही बनते हैं जो हम बार-बार करते हैं। इसलिये उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं, बल्कि एक आदत है। (1200 शब्द)
- निबंध को समृद्ध करने हेतु उद्धरण:
- विल ड्यूरांट: "हम वही हैं, जो हम बार-बार करते हैं। इसलिये उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं, बल्कि एक आदत है।" (प्रश्नाधीन उद्धरण)
- कन्फ्यूशियस: "श्रेष्ठ व्यक्ति अपनी वाणी में विनम्र होता है, लेकिन अपने कार्यों में श्रेष्ठ होता है।"
- सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- आदत और चरित्र विकास: अरस्तू की "लोकाचार" की अवधारणा इंगित करती है कि बार-बार किये गए कार्य व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करते हैं। उनके अनुसार उत्कृष्टता एक बार की उपलब्धि नहीं बल्कि एक सतत् अभ्यास है।
- दार्शनिक आधार: उत्कृष्टता को आदत मानने की धारणा सद्गुण-नैतिकता (virtue ethics) से जुड़ी है, जो सिखाती है कि श्रेष्ठ आदतें ही नैतिक चरित्र का निर्माण करती हैं।
- पुनरावृत्ति से निपुणता प्राप्त होती है, चाहे वह कौशल-विकास हो, नैतिक आचरण हो अथवा ज्ञान।
- आत्म-अनुशासन और इच्छाशक्ति: पुनरावृत्ति पर ज़ोर आत्म-नियंत्रण के आधुनिक सिद्धांतों से जुड़ता है, जहाँ अल्पकालिक संतुष्टि को त्यागकर दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति व्यक्तिगत सफलता का आधार बनती है।
- मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक अंतर्दृष्टि:
- संज्ञानात्मक व्यवहार सिद्धांत (CBT): CBT का मानना है कि आदतें विचार पैटर्न को आकार देती हैं। उत्कृष्टता का अर्थ केवल कार्य करना नहीं है, बल्कि ऐसी मानसिकता विकसित करना है जो सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा दे।
- आदत निर्माण: मनोविज्ञान बताता है कि एक नई आदत बनाने में लगभग 21 दिन लगते हैं। एक बार जब ये आदतें व्यक्ति में समाहित हो जाती हैं, तो वे उसकी पहचान का हिस्सा बन जाती हैं और उसके जीवन की दिशा निर्धारित करती हैं।
- ऐतिहासिक और समकालीन उदाहरण:
- माइकल फेल्प्स: 28 पदकों के साथ सर्वाधिक पदक जीतने वाले ओलंपियन, जिन्होंने छुट्टियों में भी अथक प्रशिक्षण लिया, तैराकी को अपनी दैनिक आदत में बदल लिया। यही अनुशासन उनकी अद्वितीय सफलता का कारण बना।
- महात्मा गांधी: उनका जीवन सत्य और अहिंसा की सतत् आदतों की शक्ति का उदाहरण है।
- उनके प्रत्येक कार्य इन गहन आदतों का परिणाम था, जिसने उनकी विचारधारा को दैनिक उत्कृष्टता का रूप दिया।
- समकालीन निहितार्थ:
- करियर और कौशल विकास में महत्त्व: प्रतिस्पर्द्धी विश्व में, जो व्यक्ति लगातार छोटे सुधारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वे अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ बन जाते हैं। प्रतिदिन पढ़ने, अभ्यास करने या नेटवर्किंग जैसी आदतें विकसित करने से योग्यता का उच्च स्तर प्राप्त होता है।
- स्वास्थ्य और फिटनेस: आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य का अर्थ बड़े बदलाव नहीं बल्कि सतत्, दोहराई जाने वाली और स्थायी आदतें हैं; चाहे वह आहार हो, व्यायाम हो या मानसिक स्वास्थ्य।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: बिल गेट्स तथा एलन मस्क जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज अनुशासन और कठोर परिश्रम की पुनरावृत्ति को उत्कृष्टता प्राप्ति का आधार मानते हैं।