प्रश्न .“भावनात्मक रूप से विवेकपूर्ण नेतृत्व संकट प्रबंधन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। ”चर्चा कीजिये कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सार्वजनिक आपात स्थितियों और आपदाओं के दौरान प्रशासनिक प्रभावशीलता किस प्रकार को बढ़ा सकती है। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) की अवधारणा का परिचय दीजिये।
- चर्चा कीजिये कि संकट प्रबंधन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशासनिक प्रभावशीलता को किस प्रकार बढ़ा सकती है।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
डैनियल गोलमैन द्वारा प्रतिपादित भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence - EI) से तात्पर्य अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने एवं प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता से है। लोक प्रशासन में, विशेषकर महामारी, प्राकृतिक आपदा या सामाजिक अशांति जैसी संकटपूर्ण स्थितियों में, भावनात्मक रूप से बुद्धिमत्तापूर्ण नेतृत्व अत्यंत आवश्यक हो जाता है ताकि अनिश्चितता का सामना संवेदनशीलता के साथ किया जा सके, जन-विश्वास बना रहे तथा उत्तरदायित्वपूर्ण और मानवीय प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्य भाग:
संकट प्रबंधन में चुनौतियाँ
- जनता में बढ़ी हुई चिंता, प्रायः घबराहट, अफवाहों के प्रसार और प्रशासन के प्रति अविश्वास को जन्म देती है।
- भोजन, जल, दवाइयाँ या आश्रय जैसी संसाधनों की कमी होने पर कठिन प्राथमिकताएँ तय करनी पड़ती हैं।
- अनिश्चितता की स्थिति में, प्रायः सीमित या बदलते आँकड़ों के साथ, त्वरित निर्णय लेना आवश्यक होता है
- विभिन्न एजेंसियों (जैसे: पुलिस, स्वास्थ्य, आपदा राहत) के बीच समन्वय जटिल होता है, जिससे दोहराव या टकराव का खतरा बढ़ता है।
- नागरिकों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों में भावनात्मक आघात, मनोबल और कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
- संकट के दौरान सामाजिक तनाव और असमानताएँ बढ़ सकती हैं, जिनका संवेदनशीलता के साथ प्रबंधन आवश्यक होता है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता किस प्रकार प्रशासनिक प्रभावशीलता को बढ़ाती है
- आत्म-जागरूकता और आत्म-नियमन:
- जो प्रशासक आत्म-जागरूक होते हैं, वे अपनी भावनाओं पर विचार करते हैं और त्वरित व प्रतिक्रिया-आधारित निर्णय लेने से बचते हैं। आत्म-नियंत्रण से वे शांत और ठोस निर्णय ले पाते हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2021 में चमोली हिमस्खलन आपदा के समय, ज़िला अधिकारी ने जनसामान्य की घबराहट और मीडिया दबाव के बीच शांति से राहत कार्यों का संचालन किया।
- सहानुभूति और करुणामय शासन:
- सहानुभूति लोगों के आघात को समझने में सक्षम बनाती है और विश्वास निर्माण को बढ़ावा देती है। सहानुभूति से प्रशासन जनता की पीड़ा को समझ पाता है और उन पर विश्वास बना पाता है।
- उदाहरण: कोविड-19 लॉकडाउन के समय, अनेक IAS अधिकारियों ने प्रवासी श्रमिकों के लिये भोजन और आश्रय की व्यवस्था की, जो सहानुभूतिपूर्ण प्रशासन को दर्शाता है।
- प्रेरणा और धैर्यशीलता:
- प्रेरित नेता अपने दल को प्रेरित करते हैं और धैर्यशीलता के माध्यम से दीर्घकालिक राहत कार्यों को जारी रखते हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2018 में केरल बाढ़ के दौरान, IAS अधिकारी कृष्ण तेजा ने स्वयंसेवकों का उत्साह बढ़ाया, जिससे राहत कार्य शीघ्र हो सके।
- प्रभावी संप्रेषण और संघर्ष समाधान:
- भावनात्मक रूप से सक्षम अधिकारी पारदर्शी संवाद करते हैं और तनावपूर्ण स्थितियों का शांतिपूर्वक समाधान करते हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2013 में फैलिन चक्रवात के दौरान, ओडिशा प्रशासन ने लगभग 10 लाख लोगों को पहले से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया, जिससे घबराहट और जनहानि दोनों कम हुईं।
- संकट के बाद पुनर्वास और विश्वास पुनर्निर्माण:
- आपदा के बाद के चरण में विश्वास का पुनर्निर्माण, आघात का समाधान और यह सुनिश्चित करने के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता महत्त्वपूर्ण है कि पुनर्वास मानवीय एवं समावेशी हो।
- उदाहरण: वर्ष 2015 में नेपाल भूकंप के बाद, ऑपरेशन मैत्री के तहत भारतीय प्रशासनिक और सैन्य दलों ने न केवल तात्कालिक राहत दी, बल्कि स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों एवं बुनियादी अवसंरचना के पुनर्निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
निष्कर्ष:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता आपदा प्रबंधन में नैतिक और मानवीय नेतृत्व की आधारशिला है। 'मिशन कर्मयोगी' इस दिशा में एक दूरदर्शी पहल है, जो सिविल सेवकों को भावनात्मक, व्यवहारिक और नैतिक दक्षताओं से प्रशिक्षित करती है। आगे की राह के रूप में, फील्ड-आधारित प्रशिक्षण और सतत् फीडबैक प्रणाली के माध्यम से इस प्रकार की भावनात्मक रूप से सक्षम प्रशासनिक संस्कृति को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।