प्रश्न. विश्व स्तर पर सबसे बड़ा कपास उत्पादक होने के बावजूद, भारत उत्पादकता में पिछड़ रहा है। भारत में कपास उत्पादकता की प्रमुख चुनौतियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये तथा इन चुनौतियों के समाधान में हाल ही में आरंभ किये गए ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, लेकिन उत्पादकता के मामले में इसकी रैंकिंग काफी नीचे है।
- भारत में कपास उत्पादकता में प्रमुख चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- हाल ही में शुरू किये गए “कपास उत्पादकता मिशन” की इन समस्याओं के समाधान में भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
|
परिचय:
कपास का एक प्रमुख उत्पादक होने के बावजूद, भारत की उत्पादकता केवल 448 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो वैश्विक मानकों से काफी कम है। यह उपज अंतर संरचनात्मक और कृषि संबंधी चुनौतियों से जुड़ा हुआ है। इन्हीं चुनौतियों को दूर करने के लिये “कपास उत्पादकता मिशन” की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य लक्षित, प्रौद्योगिकी-आधारित और किसान-केंद्रित रणनीतियों के माध्यम से उत्पादन में सुधार लाना है।
मुख्य भाग:
भारत में कपास उत्पादकता में प्रमुख चुनौतियाँ:
- निम्न उत्पादकता: भारत विश्व स्तर पर कपास की खेती वाले क्षेत्र में पहले स्थान पर है, जहाँ लगभग 130.61 लाख हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती होती है, जो विश्व की कुल कपास क्षेत्रफल (324.16 लाख हेक्टेयर) का लगभग 40% हिस्सा है।
- हालंकि उत्पादकता के मामले में भारत विश्व में 39वें स्थान पर है, जहाँ औसत उपज मात्र 447 किलोग्राम/हेक्टेयर है।
- आयात पर बढ़ती निर्भरता: कपास का आयात वर्ष 2023-24 में 518.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 1.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा, जबकि निर्यात 729.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 660.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
- सफलता के बाद ठहराव: Bt (बेसिलस थुरिनजिनेसिस) कपास और बोल्गार्ड-II तकनीकों की सफलता के बावजूद भारत ने वर्ष 2006 के बाद से किसी भी नए आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) कपास किस्म को मंज़ूरी नहीं दी है।
- संक्रमण: कपास उत्पादन में गिरावट मुख्य रूप से पिंक बॉलवर्म (PBW) के बढ़ते संक्रमण के कारण है।
- प्रारंभ में Bt कपास ने कीट नियंत्रण में प्रभावी परिणाम दिये, लेकिन समय के साथ पिंक बॉलवर्म (PBW) ने Bt प्रोटीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली।
- वैश्विक बाज़ारों में छूटे अवसर: अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देश, जहाँ जैव प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाया गया है, वे अब उस निर्यात बाज़ार पर कब्जा कर रहे हैं जिस पर कभी भारत का प्रभुत्व था।
कपास उत्पादकता मिशन की भूमिका:
- यह भारत सरकार द्वारा केंद्रीय बजट 2025-26 में शुरू की गई एक पाँच वर्षीय पहल है, जिसका उद्देश्य देश में कपास उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है।
- इसका उद्देश्य उन्नत वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर तथा एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल (ELS) कपास सहित जलवायु-स्मार्ट, कीट-प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करके कपास की उत्पादकता को बढ़ाना है।
- कृषि निर्यात नीति (2018) में भारत की वैश्विक कृषि बाज़ारों में भूमिका को मज़बूत करने के लिये ELS कपास जैसी निर्यात-केंद्रित किस्मों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
- यह कपास किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, जो सरकार के 5F दृष्टिकोण- खेत से रेशा, रेशा से कारखाना, कारखाने से फैशन, फैशन से विदेश- के साथ सुमेलित है, जो वस्त्र क्षेत्र के लिये है।
- यह फाइबर की गुणवत्ता में सुधार के लिये उन्नत प्रजनन तकनीकों और जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करेगा।
- डिजिटल कृषि मिशन 2021–25 कृषि में उभरती हुई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देता है।
- यह किसानों को उन्नत तकनीक से लैस करेगा ताकि वे जलवायु और कीटों से संबंधित चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों।
- अशोक दलवाई समिति ने जल संकट से निपटने के लिए जलवायु-लचीले तरीकों की सिफारिश की है।
निष्कर्ष:
यदि इसे तेज़ी और वैज्ञानिक दृढ़ता के साथ क्रियान्वित किया जाए, तो कपास उत्पादकता मिशन उपज बढ़ा सकता है, आयात पर निर्भरता कम कर सकता है, निर्यात को पुनर्जीवित कर सकता है, किसानों की आय बढ़ा सकता है तथा कपास मूल्य शृंखला को हरित बना सकता है। इससे सीधे तौर पर सतत् विकास लक्ष्य-2 (शून्य भूख एवं उत्पादकता), सतत् विकास लक्ष्य-8 (सम्मानजनक कार्य व आर्थिक विकास) एवं सतत् विकास लक्ष्य-9 (नवाचार) को भी बढ़ावा मिलेगा।