प्रश्न. "लॉजिस्टिक्स किसी भी राष्ट्र की आर्थिक दक्षता की रीढ़ है और इसकी प्रगति, भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा के लिये आवश्यक है।" विवेचना कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- आर्थिक दक्षता के मजबूत समर्थन के रूप में लॉजिस्टिक्स के पक्ष में तर्क दीजिये।
- स्पष्ट कीजिये कि किस प्रकार लॉजिस्टिक्स आर्थिक दक्षता सुनिश्चित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
- भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में हो रही परिवर्तनकारी वृद्धि की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
- भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में विद्यमान चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा कीजिये और परिवर्तनकारी सुधारों पर सुझाव दीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
परिवहन, भंडारण और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन सहित लॉजिस्टिक्स, वस्तुओं तथा सेवाओं की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करके आर्थिक विकास को सक्षम बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 13-14% का योगदान देता है, जो कि वैश्विक औसत (~ 8%) से कहीं अधिक है, जो इसके महत्त्व और अक्षमताओं दोनों को दर्शाता है।

मुख्य भाग:
आर्थिक दक्षता का मूल आधार: लॉजिस्टिक्स
- आपूर्ति शृंखला लचीलापन सक्षम करना: लॉजिस्टिक्स वस्तुओं की समयबद्ध डिलीवरी सुनिश्चित करता है, जो फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- सुदृढ़ कोल्ड चेन प्रणाली कटाई के बाद होने वाले नुकसान (लगभग ₹92,000 करोड़ प्रति वर्ष) को कम करती है, जिससे खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
- विनिर्माण और निर्यात को समर्थन: PLI योजनाओं और 'मेक इन इंडिया' के साथ, विनिर्माण-आधारित विकास के लिये मज़बूत एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये भारत का व्यापारिक निर्यात वर्ष 2022-23 में 447.46 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो कुशल बंदरगाह और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर बहुत अधिक निर्भर है।
- रोज़गार और औपचारिकीकरण को बढ़ावा देना: इस क्षेत्र में 22 मिलियन लोग कार्यरत हैं, तथा 2027 तक 10 मिलियन एवं नौकरियाँ जुड़ने की उम्मीद है ।
- GST और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसी नीतियों के माध्यम से औपचारिकीकरण से उत्पादकता और कार्यबल कौशल में वृद्धि होती है।
- क्षेत्रीय और वैश्विक संपर्क को सक्षम बनाना: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) तथा सागरमाला जैसी पहल व्यापार संबंधों एवं समुद्री दक्षता में सुधार करती हैं।
भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में परिवर्तनकारी विकास के रुझान:
- मज़बूत बाज़ार विस्तार: यह क्षेत्र 11% CAGR (2019-24) की दर से बढ़ा और वर्ष 2029 तक 35.3 ट्रिलियन रुपये तक पहुँचने का अनुमान है।
- नीतिगत समर्थन और सरकारी हस्तक्षेप: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 8% तक कम करना है।
- पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान 1400 से अधिक डेटा परतों का एकीकरण करता है, जिससे बहु-माध्यम (मल्टीमॉडल) अवसंरचना की योजना निर्माण में सुधार होता है।
- बुनियादी ढाँचा तथा मॉडल बदलाव: समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC), भारतमाला के तहत 35 मल्टीमॉडल पार्क और बेहतर बंदरगाह संपर्क मॉडल मिश्रण को नया रूप दे रहे हैं।
- सड़क परिवहन से रेल, तटीय मार्गों और अंतर्देशीय जलमार्गों की ओर परिवहन का बदलाव लागत दक्षता के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- डिजिटल परिवर्तन: ULIP, ई-संचित जैसे प्लेटफॉर्म और FASTag, IoT तथा AI आधारित मार्ग अनुकूलन जैसे उपकरण लॉजिस्टिक्स को अधिक सुगम और कुशल बना रहे हैं।
- भारत ने विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (2023) में अपनी स्थिति में 6 स्थानों का सुधार करते हुए 38वाँ स्थान हासिल किया है।
- ई-कॉमर्स और लास्ट-माइल लॉजिस्टिक्स का उदय: ई-कॉमर्स बाज़ार के वर्ष 2026 तक $200 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें Delhivery जैसी लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ लास्ट-माइल दक्षता को बढ़ावा दे रही हैं।
- प्रौद्योगिकी-सक्षम माइक्रो-वेयरहाउसिंग और रिवर्स लॉजिस्टिक्स का विस्तार टियर-II/III शहरों में हो रहा है।
भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में विद्यमान चुनौतियाँ:
चुनौती
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आशय
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उच्च रसद लागत
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भारतीय निर्यात और MSME की प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो जाती है
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मॉडल असंतुलन
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सड़क पर अत्यधिक निर्भरता (66%) लागत और उत्सर्जन को बढ़ाती है
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खंडित और असंगठित बाजार
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90% से अधिक अनौपचारिक बने हुए हैं, जिससे तकनीक अपनाने में बाधा आ रही है
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स्थिरता के मुद्दे
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डीजल पर निर्भरता और वाणिज्यिक रसद के लिये केवल 6,000 EV चार्जिंग स्टेशन।
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साइबर सुरक्षा जोखिम
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बढ़ते डिजिटलीकरण के कारण SME को डेटा उल्लंघन और साइबर हमलों का खतरा बढ़ रहा है।
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दक्षता बढ़ाने के लिये परिवर्तनकारी सुधार
- एकीकृत अवसंरचना विकास: फास्ट-ट्रैक DFC, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और अंतिम मील ग्रामीण कनेक्टिविटी।
- जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह तक पहुँच में सुधार के लिये मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक जैसे मॉडल का अनुकरण करना।
- विनियामक सरलीकरण और एकल खिड़की मंज़ूरी: ई-संचित को सभी रसद-संबंधी प्रक्रियाओं तक विस्तारित किया जाएगा।
- राज्य विनियमों में सामंजस्य स्थापित करना तथा फेसलेस सीमा शुल्क निकासी को सक्षम बनाना।
- डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन: सब्सिडी और ULIP API तक पहुँच के माध्यम से MSME में प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देना।
- स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी में भारत-विशिष्ट लॉजिस्टिक्स नवाचारों का विकास करना।
- कौशल विकास एवं प्रमाणन: अंतिम-स्तरीय कौशल कार्यक्रमों के लिये ई-कॉमर्स दिग्गजों के साथ साझेदारी करना।
- लॉजिस्टिक्स-विशिष्ट ITI और प्रमाणन मानक स्थापित करना।
- ग्रीन लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा: ग्रीन लॉजिस्टिक्स प्रमाणन कार्यक्रम शुरू करना। EV अपनाने, तटीय शिपिंग और कम कार्बन वाले गलियारों (जैसे, सागर सेतु) को बढ़ावा दें।
- बहु-माध्यम एकीकरण और माल परिवहन का सुव्यवस्थितकरण: आर्थिक क्लस्टरों में मल्टीमॉडल हब्स की स्थापना की जाए, ताकि विभिन्न परिवहन साधनों के बीच समन्वय बेहतर हो और माल ढुलाई अधिक कुशल एवं किफायती बने।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) भारत के लॉजिस्टिक्स दृष्टिकोण में एक परिवर्तनकारी बदलाव का प्रतीक है, जिसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 8% तक कम करना, बहु-मॉडल एकीकरण को बढ़ावा देना और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करना है। प्रभावी कार्यान्वयन के साथ यह भारत को विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने में एक प्रमुख कारक बन सकती है, जिससे आर्थिक दक्षता, निर्यात वृद्धि और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।