• प्रश्न :

    युराशियों के वर्गीकरण को स्पष्ट करते हुए वाताग्र-जनन (Frontogenesis) में उनकी भूमिका का उल्लेख करें।

    14 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    किसी समांगी क्षेत्र (महासागरीय सतह या मैदानी भाग) पर वायु पर्याप्त रूप से लंबे समय तक रहती है तो वायु उस क्षेत्र के गुणों को धारण कर लेती है। तापमान और आर्द्रता के विशिष्ट गुणों से युक्त इस वायु को ‘वायुराशि’ कहते हैं।

    वायुराशि को उनके उद्गम क्षेत्रों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इनके पाँच प्रमुख उद्गम क्षेत्र हैं-

    • उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय महासागर
    • उपोष्ण कटिबंधीय उष्ण मरुस्थल
    • उच्च अक्षांशीय अपेक्षाकृत ठंडे महासागर
    • उच्च अक्षांशीय अति शीत बर्फ आच्छादित महाद्वीपीय क्षेत्र
    • स्थायी रूप से बर्फ आच्छादित महाद्वीप अटांर्कटिक तथा आर्कटिक 

    उपर्युक्त उद्गम क्षेत्रों के आधार पर वायुराशियों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में बाँटा गया है-

    • उष्णकटिबंधीय महासागरीय (mT)
    • उष्णकटिबंधीय महाद्वीपीय (cT)
    • ध्रुवीय महासागरीय (mP)
    • ध्रुवीय महाद्वीपीय (cP)
    • महाद्वीपीय आर्कटिक (cA)

    जब दो विभिन्न प्रकार की वायुराशियाँ मिलती हैं तो दोनों के मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहा जाता है। इस प्रक्रिया को वाताग्र-जनन कहा जाता है। वाताग्र-जनन की प्रक्रिया मध्य अक्षांशों में घटित होती हैं। तीव्र वायुदाब एवं तापमान प्रणवता इनकी विशेशताएँ हैं। इसके परिणामस्वरूप तापमान में अचानक बदलाव होते हैं और वायुराशि आक्रामक होकर ऊपर उठती है जिससे वाताग्र का निर्माण होता है। वाताग्र चार प्रकार के हाते हैं-
    (i) शीत वाताग्र
    (ii) उष्ण वाताग्र
    (iii) अचर वाताग्र
    (iv) अधिविष्ट वाताग्र

    • जब शीतल व भारी वायु आक्रामक होकर उष्ण वायुराशियों को ऊपर की ओर धकेलती है तो इसे उष्ण वाताग्र कहते हैं।
    • यदि गर्म वायु आक्रामक होकर ठंडी वायु के ऊपर चढ़ती है तो यह संपाई क्षेत्र उष्ण वाताग्र कहलाता है।
    • जब वाताग्र स्थिर हो जाए तों इसे अचर वायु कहते हैं। उल्लेखनीय है कि इस वाताग्र में कोई भी वायु ऊपर नहीं उठती है।
    • यदि एक वायुराशि पूर्णरूप से धरातल के ऊपर उठ जाए तो यह अधिविष्ट वाताग्र कहलाता है।