प्रश्न. भारतीय मानसून के आगमन और निवर्तन में उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी एवं उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं की भूमिका की व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय मानसून और उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी और उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं की भूमिका के बारे में जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय मानसून के आगमन और वापसी में उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम (STWJ) और उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम (TEJ) की भूमिका बताइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
भारतीय मानसून एक मौसमी रूप से परिवर्तित होने वाली पवन प्रणाली है, जो मुख्यतः स्थल और समुद्र के बीच असमान ऊष्मन द्वारा संचालित होती है और जिसे उच्च क्षोभमंडलीय जेट धाराओं द्वारा महत्त्वपूर्ण रूप से नियंत्रित किया जाता है।
- इनमें से, उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम (STWJ) और उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम (TEJ) भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून (ISM) के आगमन और वापसी के समय, शक्ति और स्थानिक वितरण को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुख्य भाग:
उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम (STWJ) की भूमिका:
- एक उच्च वेग वाली पश्चिमी पवन पट्टी, जो मुख्यतः शीतकाल और वसंत ऋतु में सक्रिय रहती है। यह लगभग 25°–35° उत्तर अक्षांशों पर, 200 हेक्टोपास्कल (12–14 किमी ऊँचाई) के आसपास पाई जाती है।
- यह उच्च वायुमंडलीय प्रसरण, शीत वायु संवहन और पश्चिमी विक्षोभों से जुड़ी होती है।
- मानसून आगमन में भूमिका
- शीतकालीन प्रभुत्व से मानसून का निर्माण बाधित:
- शीतकाल और प्रारंभिक ग्रीष्मकाल में, STWJ भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर स्थित रहती है, जिससे ठंडा और शुष्क मौसम बना रहता है।
- इसकी उपस्थिति ऊँचाई पर ऊर्ध्वगामी संवहन (vertical convection) को रोकती है, जिससे प्री-मानसून वर्षा बाधित होती है।
- उत्तर की ओर खिसकना मानसून के आगमन का संकेत:
- मई के अंत या जून की शुरुआत में, उपमहाद्वीप और तिब्बती पठार के तीव्र ऊष्मन के कारण STWJ उत्तर की ओर मध्य अक्षांशों की ओर स्थानांतरित हो जाता है।
- इससे ऊपरी वायुमंडल में स्थान खाली हो जाता है, जिससे आर्द्र वायु ऊपर उठने लगती है तथा सतह पर निम्न दबाव के क्षेत्र का निर्माण होता है।
- उष्णकटिबंधीय संवहन क्रिया को प्रबल बनाना:
- STWJ के हटने से ITCZ (अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र) उत्तर की ओर स्थानांतरित होता है तथा भारतीय भू-भाग के ऊपर स्थापित होता है।
- यह मानसून के विस्फोट (monsoon burst) की स्थिति उत्पन्न करता है, जो सामान्यतः केरल तट से शुरू होता है।
- मानसून वापसी में भूमिका
- दक्षिण की ओर पुनःस्थापना
- सितंबर-अक्तूबर में, भूमि के ठंडा होने के साथ, STWJ दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो जाता है, जिससे उपमहाद्वीप पर स्थिर, शुष्क ऊपरी स्तर की हवा पुनः स्थापित हो जाती है।
- शुष्कता और स्थिरता को बढ़ावा देना:
- STWJ का पुनः प्रवेश संवहन को दबा देता है तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून से उत्तर-पूर्व मानसून (विशेष रूप से तमिलनाडु में) में संक्रमण को चिह्नित करता है।

उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम (TEJ) की भूमिका:
- जून से अगस्त के दौरान चरम पर पहुँचने वाली तेज गति की पूर्वी पवन धारा, जो 5°–20° उत्तर अक्षांशों के बीच, 100–150 हेक्टोपास्कल (लगभग 6–9 किमी ऊँचाई) पर स्थित होती है।
- भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और गर्म तिब्बती पठार (तिब्बती उच्च का निर्माण) के बीच मज़बूत तापीय ढाल के कारण उत्पन्न होता है।
- मानसून की शुरुआत में भूमिका
- ऊपरी स्तर की पूर्वी पवनों का निर्माण:
- TEJ, STWJ के उत्तर की ओर स्थानांतरित होने के बाद, आमतौर पर मई के अंत में, शुरू होता है।
- यह तिब्बत क्षेत्र के ऊपर एक गर्म कोर वाले उच्च-दाब क्षेत्र के निर्माण को दर्शाता है, जो मानसून के आरंभ के लिए आवश्यक पूर्व शर्त है।
- गहन संवहन को समर्थन देना:
- TEJ ऊपरी स्तर पर विचलन उत्पन्न करता है, जिससे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नम वायु का आरोहण होता है।
- यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में तीव्र संवहनीय वर्षा को प्रोत्साहित करता है।
- मानसूनी परिसंचरण को सशक्त बनाना:
- TEJ ऊर्ध्वाधर पवन को बढ़ाती है, जो संगठित मानसूनी गतिविधियों और व्यापक वर्षा के लिये अनुकूल होता है।
- मानसून आरंभ का संकेतक:
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मानसून के आगमन की पुष्टि के लिये TEJ की शक्ति और स्थिति को एक पैरामीटर के रूप में उपयोग करता है।
- मानसून वापसी में भूमिका
- सितंबर में धीरे-धीरे कमज़ोर होना:
- जैसे-जैसे सतह का ताप कम होता है, तिब्बती पठार के ऊपर का तापीय अंतर भी घटता है, जिससे TEJ का विघटन आरंभ होता है।
- मानसूनी ऊर्ध्वाधर समर्थन का ह्रास:
- ऊपरी वायुमंडलीय प्रसरण की समाप्ति के कारण संवहन कमज़ोर पड़ जाता है तथा वातावरण धीरे-धीरे शुष्क होने लगता है।
- उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर वापसी:
- TEJ के कमज़ोर होने से मानसून का संगठित रूप से उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू होती है, जो धीरे-धीरे दक्षिणी प्रायद्वीप की ओर बढ़ती है।

निष्कर्ष:
उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट और उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट एक गतिशील उच्च वायुमंडलीय ढाँचा का निर्माण करते हैं, जो भारतीय मानसून की शुरुआत, तीव्रता और वापसी को नियंत्रित करता है। इन दोनों जेट धाराओं की विपरीत दिशा में होने वाली गतिविधि (TEJ के मज़बूत होने पर STWJ पीछे हटता है) मानसून की गतिशीलता की एक प्रमुख विशेषता है