प्रश्न. वस्तुनिष्ठता तटस्थता और निष्पक्षता से किस प्रकार भिन्न है? अपने उत्तर को लोक सेवा के उपयुक्त उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
19 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय
"न्याय केवल एक पक्ष के लिये नहीं हो सकता, बल्कि दोनों के लिये होना चाहिये।"
एलेनॉर रूज़वेल्ट का यह कथन लोक सेवा में वस्तुनिष्ठता, तटस्थता और निष्पक्षता के मूल भाव को अभिव्यक्त करता है।
हालाँकि ये सिद्धांत प्रायः समानार्थी रूप में प्रयुक्त होते हैं, फिर भी इनमें अंतर है। ये सभी मिलकर निर्णय प्रक्रिया में न्याय और ईमानदारी सुनिश्चित करते हैं, इस ओर संकेत करते हुए कि लोक सेवकों को अपने कार्यों में संतुलन, निष्पक्षता और तर्कसंगत विवेक के आधार पर निर्णय लेना चाहिये।
मुख्य भाग:
वस्तुनिष्ठता
परिभाषा: वस्तुनिष्ठता वह क्षमता है जिसके माध्यम से किसी स्थिति, निर्णय या समस्या का मूल्यांकन केवल तथ्यों, साक्ष्यों और तर्कपूर्ण विश्लेषण के आधार पर किया जाता है, न कि व्यक्तिगत पक्षपात या भावनाओं के प्रभाव में आकर।
उदाहरण:
तटस्थता
तटस्थता सभी पक्षों का विश्वास बनाये रखने के लिये अत्यंत आवश्यक होती है।
उदाहरण:
निष्पक्षता
अर्थ: किसी भी पक्ष के प्रति झुकाव न होना।
मुख्य अंतर
मानदंड |
वस्तुनिष्ठता |
तटस्थता |
निष्पक्षता |
प्रकृति |
साक्ष्य-आधारित, तर्कसंगत निर्णय |
संघर्षों में गैर-भागीदारी |
सभी संबंधित पक्षों के साथ समान व्यवहार |
भागीदारी |
विश्लेषणात्मक सोच की आवश्यकता |
निष्क्रिय, हस्तक्षेप न करने वाला |
निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये सक्रिय प्रयास |
लक्ष्य |
सटीकता और सत्य |
पक्ष न चुनकर पक्षपात से बचना |
निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करना |
दायरा |
निर्णय, विश्लेषण या निर्णय पर लागू |
संघर्षों और विवादों में लागू |
नीतियों, कानूनों और निर्णयों में लागू |
नतीजा |
स्पष्ट एवं तर्कसंगत निर्णय लेना |
संघर्ष और पूर्वाग्रह से बचना |
समान व्यवहार और अधिकारों का संरक्षण |
निष्कर्ष
कांट के 'नैतिक अनिवार्यता सिद्धांत' के अनुसार व्यक्ति को ऐसे सिद्धांतों के आधार पर कार्य करना चाहिये जिन्हें सार्वभौमिक रूप से लागू किया जा सके, ठीक वैसे ही जैसे लोक सेवकों को निष्पक्ष, तटस्थ एवं वस्तुनिष्ठ निर्णय लेने चाहिये। इसी प्रकार, जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत निर्णय-प्रक्रिया में निष्पक्षता की माँग करता है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार हो और किसी के साथ पक्षपात न किया जाये।