• प्रश्न :

    प्रश्न .आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के भू-विज्ञान का आधार हैं। उनके प्रकार, निर्माण प्रक्रिया और विशिष्ट विशेषताओं की विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    16 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्राथमिक या आग्नेय चट्टानों की अवधारणा और पृथ्वी की भूवैज्ञानिक संरचना में उनके महत्व का परिचय दीजिये।
    • विभिन्न प्रकार की आग्नेय चट्टानों का वर्णन कीजिये तथा उनकी निर्माण प्रक्रियाओं एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    आग्नेय चट्टानें, या प्राथमिक शैल, पृथ्वी की भू-पर्पटी की आधारभूत परत का निर्माण करती हैं। ये वे प्राथमिक/आरंभिक शैलें हैं जो तब निर्मित होती हैं जब गर्म मैग्मा या लावा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। ये शैलें मूल भूवैज्ञानिक पदार्थ मानी जाती हैं, जिनसे समय के साथ विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा अन्य सभी प्रकार की शैलें, जैसे कि अवसादी और कायांतरित शैलें, विकसित होती हैं। ये शैलें पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास और आंतरिक प्रक्रियाओं की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं, जिससे हमें ग्रह को आकार देने वाली गतिशील प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है।

    मुख्य भाग:

    • आग्नेय चट्टानों की निर्माण प्रक्रिया एवं प्रकार:
      • आग्नेय/प्राथमिक शैलों का निर्माण पिघले हुए पदार्थ (मैग्मा या लावा) से होता है। ये पदार्थ या तो मैग्मा (पृथ्वी की सतह के नीचे) या लावा (पृथ्वी की सतह पर) के ठंडा होने से बनते हैं।
      • पिघले हुए पदार्थ के ठंडा होने की गति एवं स्थान के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:- घुसपैठ, बहिर्वेधी और मध्यवर्ती:
    • अंतर्वेधी (प्लूटोनिक) शैलें: ये शैलें तब बनती हैं जब मैग्मा पृथ्वी की सतह के नीचे धीरे-धीरे ठंडा होता है, जिससे बड़े क्रिस्टल बनते हैं। 
      • उदाहरण: ग्रेनाइट, डायोराइट, गैब्रो।
    • बहिर्वेधी (ज्वालामुखी) शैलें: ये शैलें तब बनती हैं जब लावा पृथ्वी की सतह पर तेजी से ठंडा होता है, जिससे महीन दाने वाली संरचना बनती है।
      • उदाहरण के लिये, बेसाल्ट, प्यूमिस।
      • हाइपाबिसल या मध्यवर्ती शैलें: ये शैलें अंतर्वेधी एवं बहिर्वेधी शैलों के बीच के स्तर पर बनती हैं और इनकी संरचना अर्द्ध-क्रिस्टलीय होती है।

    आग्नेय चट्टानों की विशिष्ट विशेषताएँ:

    • खनिज संघटन: आग्नेय/प्राथमिक शैलों में मुख्य रूप से क्वार्ट्ज़, फेल्ड्सपार, माइका, एम्फीबोल और ऑलिविन जैसे खनिज पाए जाते हैं। इन खनिजों की उपस्थिति मैग्मा के रासायनिक संघटन पर निर्भर करती है।
    • संरचना: आग्नेय चट्टानों की बनावट महीन दानेदार से लेकर मोटे दानेदार तक हो सकती है, जो मैग्मा के ठंडा होने की गति पर निर्भर करती है।
    • धीमे शीतलन से बड़े क्रिस्टल (ग्रेनाइट) बनते हैं, जबकि शीतलन से छोटे, महीन/बारीक (बेसाल्ट) कणों वाले क्रिस्टल बनते हैं। 
    • क्रिस्टल का आकार: अंतर्वेधी शैलों (Intrusive Rocks) में क्रिस्टल बड़े होते हैं क्योंकि मैग्मा धीरे-धीरे ठंडा होता है, जबकि बहिर्वेधी शैलों (Extrusive Rocks) में क्रिस्टल छोटे होते हैं क्योंकि मैग्मा तेज़ी से ठंडा हो जाता है।
    • कठोरता और स्थायित्व: आग्नेय शैलों में खनिज़ क्रिस्टल आपस में जुड़े होते हैं, जिससे ये मज़बूत और टिकाऊ होते हैं। ये शैलें अन्य प्रकार की शैलों की तुलना में अधिक कठोर और अपक्षय-प्रतिरोधी होती हैं।
      • समरूप संरचना: आग्नेय शैलों की संरचना आमतौर पर एकसमान होती है, हालाँकि मैग्मा के प्रकार और शीतलन की स्थितियों के आधार पर कुछ भिन्नताएँ हो सकती हैं।
    • जीवाश्मों का अभाव: चूँकि आग्नेय शैलें पिघले हुए पदार्थ से बनती हैं, इसलिये इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते (जबकि अवसादी शैलों में जीवाश्म मिलते हैं)।

    निष्कर्ष:

    आग्नेय चट्टानें भूगोल के अध्ययन में मौलिक महत्त्व रखती हैं, जो पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं के बारे में महत्त्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करती हैं। इन शैलों का अध्ययन न केवल पृथ्वी के निर्माण को समझने में सहायक है, बल्कि यह ज्वालामुखीय गतिविधि और प्लेट विवर्तनिकी जैसी गतिशील प्रक्रियाओं पर भी प्रकाश डालता है, जो आज भी हमारे ग्रह की सतह को आकार दे रही हैं।