• प्रश्न :

    प्रश्न. जॉन सी. मैक्सवेल का यह कथन, "नेता वही होता है जो मार्ग को जानता है, उस पर चलता है और दूसरों को भी उस मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित करता है।" वर्तमान संदर्भ में लोक सेवकों पर किस प्रकार लागू होता है? (150 शब्द)

    12 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नेतृत्व के संदर्भ में उद्धरण का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि नेतृत्व के पदों पर आसीन लोक सेवकों के लिये मार्ग को समझना, उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करना और दूसरों का मार्गदर्शन करना क्यों आवश्यक है। उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    जॉन सी. मैक्सवेल का उद्धरण प्रभावी नेतृत्व के मूल तत्त्वों— ज्ञान, कर्म और मार्गदर्शन पर ज़ोर देता है। लोक सेवकों के लिये यह दृष्टिकोण शासन, नीति-निर्माण और जनसेवा जैसे जटिल क्षेत्र में मार्गनिर्देशन हेतु अनिवार्य है। लोक सेवकों को न केवल आवश्यक ज्ञान से युक्त होना चाहिये, बल्कि उन्हें आचरण से नेतृत्व करना और दूसरों को सही दिशा में मार्ग दिखाना भी आना चाहिये।

    मुख्य भाग:

    • मार्ग ज्ञात होना अर्थात् ज्ञान और दूरदर्शिता: लोक सेवकों के पास उन तंत्रों, नीतियों और समस्याओं का गहन ज्ञान होना चाहिये जिनसे वे संबद्ध हैं। साथ ही, उनमें भविष्य की चुनौतियों को भाँपने और उसके अनुसार योजनाएँ बनाने की दूरदृष्टि भी होनी चाहिये।
      • उदाहरणस्वरूप, भारत में आरक्षण नीति के निर्माण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया में लोक सेवकों की भूमिका के लिये यह आवश्यक था कि वे संवैधानिक प्रावधानों, सामाजिक न्याय के सिद्धांतों एवं सामाजिक-आर्थिक विषमताओं की गहरी समझ रखें, साथ ही इस नीति के समाज पर प्रभाव का पूर्वानुमान भी लगा सकें।
      • भविष्य के लिये दूरदर्शिता: जिन लोक सेवकों के पास स्पष्ट दृष्टिकोण होता है, वे दीर्घकालिक रणनीतियों के निर्माण में अपनी टीमों का प्रभावी नेतृत्व कर पाते हैं।
        • उदाहरणस्वरूप, भारत के 'स्मार्ट सिटीज़' परियोजना की योजना-निर्माण प्रक्रिया में लोक सेवकों को शहरी कायाकल्प की एक दूरदर्शी कल्पना के साथ-साथ ज़मीनी वास्तविकताओं की भी समुचित समझ रखनी होती है।
    • मार्ग प्रशस्त करना– उदाहरण द्वारा नेतृत्व: प्रभावशाली नेतृत्व केवल निर्देश देने तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह कर्म के माध्यम से मार्गदर्शन करने में निहित होता है। लोक सेवकों को चाहिये कि वे जिन आदर्शों की शिक्षा देते हैं, उनका स्वयं पालन करें ताकि दूसरों के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत हो सके।
      • उदाहरणस्वरूप, महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रिम पंक्ति में रहकर नेतृत्व किया, चाहे वह जनांदोलनों का आयोजन हो, दांडी नमक यात्रा करना हो या बिना किसी शिकायत के कारावास झेलना हो।
      • व्यक्तिगत उत्तरदायित्व: वे लोक सेवक जो अपने आचरण में सत्यनिष्ठा और उत्तरदायित्व का प्रदर्शन करते हैं, वे दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रेरित करते हैं, जिससे नैतिक नेतृत्व एवं जन-विश्वास की एक संस्कृति विकसित होती है।
    • रास्ता दिखाना - मार्गदर्शन और परामर्श: लोक सेवकों को अपनी टीम का मार्गदर्शन करना और उसका अभिभावक बनना चाहिये, ताकि वे लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर हो सकें। इसमें स्पष्टता प्रदान करना, सहयोग देना तथा यह सुनिश्चित करना शामिल है कि टीम दृष्टिकोण एवं उद्देश्यों को भली-भाँति समझे।
      • उदाहरणस्वरूप, स्वच्छ भारत अभियान के दौरान लोक सेवकों ने केवल दिशा-निर्देश ही नहीं दिये, बल्कि स्थानीय अधिकारियों और समुदाय स्तर के कार्यकर्त्ताओं का मार्गदर्शन भी किया।
    • आज के जटिल प्रशासनिक परिदृश्य में लोक सेवकों को मैक्सवेल के नेतृत्व दर्शन को आत्मसात करते हुए विशेषज्ञता, व्यावहारिक क्रियान्वयन और अभिभावकत्व के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिये।
      • चाहे वह कोविड-19 जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का प्रबंधन हो या किसी व्यापक विकास परियोजना का क्रियान्वयन— लोक सेवकों को नेतृत्वकर्त्ता के रूप में स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    मैक्सवेल का यह उद्धरण उन आवश्यक गुणों को उजागर करता है जिन्हें लोक सेवकों को नेतृत्व में अपनाना चाहिये। विशेषज्ञता के माध्यम से मार्ग ज्ञात कर, व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के माध्यम से उस मार्ग पर चलकर के और मार्गदर्शन के माध्यम से मार्ग दिखाकर, लोक सेवक प्रभावी शासन प्रदान कर सकते हैं। इन तीनों पहलुओं के माध्यम से लोक सेवक सुशासन सुनिश्चित कर सकते हैं। इस प्रकार का नेतृत्व नीतियों के सफल क्रियान्वयन तथा जनकल्याण के लिये अत्यंत आवश्यक है।