• प्रश्न :

    प्रश्न. भारत में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर वनों की कटाई के प्रभाव पर चर्चा कीजिये, इन प्रभावों को कम करने के लिये सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालिये। (150 शब्द)

    11 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वनों की कटाई और जैवविविधता एवं जलवायु परिवर्तन पर इसके परिणामों को परिभाषित कीजिये।
    • परीक्षण कीजिये कि निर्वनीकरण किस प्रकार भारत की जैवविविधता को प्रभावित करती है और जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है तथा वनों की कटाई के प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालिये।
    • संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने के लिये और उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    वनों की कटाई, बड़े पैमाने पर निर्वनीकरण, भारत में जैवविविधता और जलवायु-परिवर्तन के लिये गंभीर परिणाम हैं। इससे प्राकृतिक आवास का ह्रास होता है, पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है। वनों की कटाई को रोकने और संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा कई पहल शुरू की गई हैं।

    जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव:

    • जैवविविधता का ह्रास: भारत में वनों की कटाई में तेज़ वृद्धि देखी गई, जो 384,000 हेक्टेयर (वर्ष 1990-2000) से बढ़कर 668,400 हेक्टेयर (2015-2020) हो गई, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाती है। इस वृद्धि के कारण बड़े पैमाने पर आवास का ह्रास हुआ है, जिससे देश की समृद्ध जैवविविधता के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
      • वैश्विक जैवविविधता के 8% का आवास होने के बावजूद भारत में बंगाल टाइगर और भारतीय गैंडे जैसी प्रजातियों की संख्या में तीव्र गिरावट देखी जा रही है।
      • लुप्तप्राय सुंदरबन बाघों के लिये महत्त्वपूर्ण सुंदरबन मैंग्रोव वनों की कटाई और बढ़ते समुद्री जल स्तर के कारण तेज़ी से लुप्त हो रहे हैं।
    • मृदा अपरदन और मरुस्थलीकरण: वन मृदा को स्थिर रखने और अपरदन को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजस्थान और गुजरात जैसे क्षेत्रों में, जहाँ कृषि और शहरीकरण के लिये वनों को काटा जा रहा है, मृदा अपरदन में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है।
      • उदाहरण के लिये, अरावली पर्वतमाला, जहाँ कभी घने जंगल थे, अब रेगिस्तान बनने की ओर अग्रसर है, जिससे कृषि भूमि का क्षरण हो रहा है।
    • जलवायु परिवर्तन में योगदान: वन महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक हैं, जो बड़ी मात्रा में CO2 को अवशोषित करते हैं और इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करते हैं।
    • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के अनुसार, भारत के वनों ने वर्ष 2019 में 9.12 बिलियन टन CO2 अवशोषित किया। हालाँकि, वनों की कटाई से वायुमंडल में भारी मात्रा में संग्रहीत कार्बन उत्सर्जित हो रहा है।
      • जैवविविधता के हॉटस्पॉट पश्चिमी घाट में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हुई है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 222,000 टन CO₂ उत्सर्जन हुआ है।
    • जल चक्र में व्यवधान: पश्चिमी घाट में वनों की कटाई के कारण मानसून की वर्षा में कमी आई है तथा जल धारण क्षमता कम होने के कारण बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
      • हिमालय की तलहटी में वनों की कटाई से बर्फ पिघलने पर असर पड़ रहा है, जो गंगा के प्रवाह में लगभग 10% योगदान देता है। इस क्षेत्र में बर्फ की मात्रा में गिरावट, जो अब औसत से 17% कम है, जल की उपलब्धता को खतरे में डाल रही है, जिससे कृषि और जल विद्युत पर असर पड़ रहा है।

    वन संरक्षण से संबंधित सरकारी पहल

    • ग्रीन इंडिया मिशन: जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत शुरू किये गए इस मिशन का उद्देश्य वन क्षेत्र को बढ़ाना, बिगड़े पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करना और कार्बन सिंक को बढ़ाना है।
    • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP): NAP वनरोपण और पुनर्वनरोपण प्रयासों पर केंद्रित है ताकि वनों की कटाई के प्रभाव को कम करने और निर्वनीकरण जनित नुकसान वाले क्षेत्रों में वनों को पुनर्स्थापित किया जा सके।
    • वन संरक्षण अधिनियम (वर्ष 1980): इस अधिनियम का उद्देश्य वनों की कटाई को नियंत्रित करना और स्थायी वन प्रबंधन सुनिश्चित करना है। यह गैर-वनीय उद्देश्यों के लिये वन भूमि को हस्तांतरित करने के लिये केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन अनिवार्य करता है।
    • प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA): प्रतिपूरक वनरोपण के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का प्रबंधन करने, पुनर्वनरोपण प्रयासों और वन संरक्षण का समर्थन करने के लिये CAMPA की स्थापना की गई थी।
    • संयुक्त वन प्रबंधन (JFM): यह पहल स्थानीय समुदायों को वनों का प्रबंधन और संरक्षण करने के लिये प्रोत्साहित करती है, जिससे वन संसाधनों का सतत् उपयोग सुनिश्चित होता है, साथ ही अवैध वनों की कटाई को रोका जाता है।

    निष्कर्ष: भारत में वनों की कटाई का जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। हालाँकि सरकार ने ग्रीन इंडिया मिशन व CAMPA जैसी पहलों के माध्यम से वनों की कटाई को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन वन प्रबंधन में सुधार, वनीकरण को बढ़ाने एवं संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को मज़बूत करने के लिये और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।