• प्रश्न :

    प्रश्न. भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र में इसे अपनाने से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    11 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और शासन में इसकी भूमिका को परिभाषित कीजिये।
    • सार्वजनिक सेवा वितरण में AI द्वारा प्रस्तुत अवसरों पर चर्चा कीजिये और भारत के सार्वजनिक क्षेत्र में AI के अंगीकरण से जुड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शासन-प्रणाली को परिवर्तित कर रही है क्योंकि यह प्रक्रियाओं का स्वचालन करती है, निर्णय-निर्माण को बेहतर बनाती है तथा लोक सेवा वितरण को सुदृढ़ करती है। मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण जैसी AI प्रौद्योगिकियों में शासन-कार्य के क्रियान्वयन और प्रभावशीलता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की संभावनाएँ निहित हैं।

    मुख्य भाग

    सार्वजनिक सेवा वितरण के लिये AI में अवसर:

    • सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार: प्रशासनिक प्रक्रियाओं को स्वचालित करने की AI की क्षमता प्रशासनिक विलंब को कम कर सकती है, सेवाओं को सुव्यवस्थित कर सकती है और सार्वजनिक क्षेत्र की दक्षता को बढ़ा सकती है।
      • उदाहरण के लिये, AI-संचालित वर्चुअल असिस्टेंट और चैटबॉट वास्तविक काल में नागरिकों के प्रश्नों एवं शिकायतों का समाधान कर सकते हैं, जिससे प्रतीक्षा समय कम हो सकता है तथा सटीकता में सुधार हो सकता है।
        • स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत विकसित इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज (IUDX) इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार AI शहरी हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा साझाकरण को सक्षम कर सकता है, जिससे शहर प्रबंधन और शासन को अनुकूलित किया जा सकता है।
    • शहरी शासन का सुदृढ़ीकरण: शहरी शासन को AI के माध्यम से सुदृढ़ किया जा सकता है, जिसमें भीड़भाड़ को कम करने और गतिशीलता में सुधार के लिये स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन, साथ ही अनुकूलित अपशिष्ट संग्रह एवं पुनर्चक्रण शामिल है।
    • उदाहरण के लिये, बेंगलुरु के 41 जंक्शनों पर AI-आधारित अनुकूली यातायात नियंत्रण प्रणाली ने मैनुअल यातायात नियंत्रण पर निर्भरता कम कर दी है।
    • कृषि उत्पादकता को अनुकूलित करना: AI-संचालित समाधान परिशुद्ध कृषि तकनीकों का उपयोग करके कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं। ये समाधान फसल की पैदावार का पूर्वानुमान कर सकते हैं, सिंचाई को अनुकूलित कर सकते हैं, कीटों का पता लगा सकते हैं और मृदा-स्वास्थ्य का आकलन कर सकते हैं।
      • किसान ई-मित्र जैसे AI-संचालित चैटबॉट किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने और कृषि पद्धतियों पर व्यक्तिगत सलाह देने में सहायता करते हैं।
      • राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली कीटों के आक्रमण का शीघ्र पता लगाने के लिये कृत्रिम बुद्धि (AI) का उपयोग करती है, जिससे फसलों की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिये समय पर नियंत्रण कार्य सुनिश्चित होता है।
    • स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव: AI प्रारंभिक रोग का पता लगाने, निदान सटीकता में सुधार करने और स्वास्थ्य सेवा वितरण को अनुकूलित करके स्वास्थ्य सेवा को बदल रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य में AI अनुप्रयोग रोग के प्रकोप की निगरानी कर सकते हैं, प्रवृत्तियों का पूर्वानुमान कर सकते हैं और त्वरित प्रतिक्रियाओं की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।
      • इसके अतिरिक्त, निर्मयी (Niramai) और ChironX जैसे स्टार्टअप क्रमशः स्तन कैंसर व रेटिना संबंधी असामान्यताओं का शीघ्र पता लगाने के लिये AI का लाभ उठा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा सुगम्यता एवं परिणामों में सुधार हो रहा है।
    • कानून प्रवर्तन को सुदृढ़ करना: पूर्वानुमानित पुलिसिंग और रियल टाइम डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके, AI कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधों का अनुमान लगाने तथा उन्हें रोकने में मदद कर सकता है।
      • उदाहरण के लिये, दिल्ली पुलिस द्वारा उपयोग की जाने वाली AI-संचालित चेहरे की पहचान प्रणालियों ने अपराध का पता लगाने, लापता व्यक्तियों का पता लगाने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता की है।
      • इसी प्रकार, AI-संचालित निगरानी प्रणालियाँ साइबर खतरों की पहचान कर उन्हें बेअसर कर सकती हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान मिल सकता है।

    सार्वजनिक क्षेत्र में AI अंगीकरण में चुनौतियाँ:

    • अपर्याप्त बुनियादी संरचना: AI की क्षमता के बावजूद, भारत का बुनियादी संरचना, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, अभी तक AI के अंगीकरण के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं है। भारत की लगभग 70% ग्रामीण आबादी अपर्याप्त या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी का अनुभव करती है, जिससे डिजिटल सेवाओं और AI अनुप्रयोगों तक एक्सेस में बहुत बाधा आती है।
    • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा मुद्दे: AI सिस्टम बिग डेटासेट पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं, जिनमें प्रायः संवेदनशील व्यक्तिगत सूचना होती है। भारत में, जहाँ व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून अभी भी विकसित हो रहे हैं, वहाँ एक जोखिम है कि नागरिकों के डेटा का दुरुपयोग किया जा सकता है या अपर्याप्त रूप से संरक्षित किया जा सकता है।
    • कौशल की कमी: AI की सफल तैनाती के लिये अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है, जिसमें AI विशेषज्ञ, डेटा साइंटिस्ट और IT पेशेवर शामिल हैं। भारत में ऐसे पेशेवरों की कमी है, जो सार्वजनिक क्षेत्र में AI परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करती है।
    • सार्वजनिक विश्वास और परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध: सार्वजनिक सेवाओं में AI के कार्यान्वयन को नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों दोनों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।
      • नागरिक निगरानी और नियंत्रण खोने के भय के कारण AI-संचालित निर्णय लेने पर अविश्वास कर सकते हैं, जबकि सरकारी कर्मचारी नौकरी जाने को लेकर चिंतित हो सकते हैं।
    • एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और भेदभाव: AI एल्गोरिदम केवल उतने ही निष्पक्ष होते हैं, जितना डेटा पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, पक्षपातपूर्ण प्रशिक्षण डेटा के परिणामस्वरूप भेदभावपूर्ण परिणाम हो सकते हैं, विशेषकर सीमांत समुदायों के खिलाफ।
      • उदाहरण के लिये, भर्ती, कानून प्रवर्तन या सामाजिक कल्याण में प्रयुक्त AI प्रणालियाँ अनजाने में जाति, लिंग या क्षेत्रीय पूर्वाग्रहों को और सुदृढ़ कर सकती हैं।

    सार्वजनिक सेवा वितरण में AI उपयोग को अनुकूलित करने के उपाय

    • बुनियादी अवसंरचना और डिजिटल क्षमता का निर्माण: इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाए जाने, डेटा सेंटर स्थापित करने और सस्ती कंप्यूटिंग पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी और PM-WANI जैसी पहल बुनियादी अवसंरचना के अंतराल को समाप्त कर सकती है तथा व्यापक सार्वजनिक Wi-Fi के माध्यम से AI को वंचित क्षेत्रों तक पहुँचा सकती है।
    • डेटा संरक्षण कानूनों को मज़बूत करना: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 का पारित होना और AI व डेटा उपयोग के लिये स्पष्ट नियमों की स्थापना, यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम हैं कि नागरिकों के डेटा को जिम्मेदारी से संभाला जाए।
    • शिक्षा और कौशल विकास में निवेश: कौशल अंतराल को दूर करने के लिये, भारत को स्कूल से लेकर व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक सभी स्तरों पर AI और डेटा विज्ञान शिक्षा में निवेश करने की आवश्यकता है।
      • इससे न केवल वर्तमान कार्यबल को आवश्यक कौशल से लैस किया जा सकेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी AI-संचालित अर्थव्यवस्था में काम करने के लिये तैयार किया जा सकेगा।
    • AI के लिये नैतिक मानकों की स्थापना: AI विकास का मार्गदर्शन करने के लिये नैतिक कार्यढाँचे की स्थापना की जानी चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि इसका उपयोग निष्पक्ष एवं समान रूप से किया जाए।
      • AI सिस्टम पारदर्शी, जवाबदेह और पक्षपात रहित होने चाहिये। किसी भी पक्षपात या भेदभावपूर्ण परिणामों की पहचान करने तथा उनमें सुधार करने के लिये AI सिस्टम की नियमित ऑडिट और समीक्षा की जानी चाहिये।
    • सार्वजनिक सहभागिता और जागरूकता: विश्वास का निर्माण करने और प्रतिरोध पर काबू पाने के लिये, सरकार को AI के लाभों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता अभियान में शामिल होना चाहिये।
      • यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि AI प्रणालियाँ नागरिकों सहित विविध हितधारकों के इनपुट के साथ डिज़ाइन की जाएँ, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे जनता की अपेक्षाओं और जरूरतों को पूरा करें।

    निष्कर्ष:

    AI भारत में सार्वजनिक सेवा वितरण को बदलने के लिये अपार अवसर प्रदान करता है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र में इसका अंगीकरण चुनौतियों से रहित नहीं है। बुनियादी अवसंरचना, डेटा गोपनीयता, कौशल और पूर्वाग्रह से संबंधित मुद्दों को हल करना AI की क्षमता को अधिकतम करने के लिये महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा। सही नीतियों के साथ, AI शासन में महत्त्वपूर्ण सुधार कर सकता है, जिससे सार्वजनिक सेवाएँ अधिक कुशल, पारदर्शी एवं समावेशी बन सकती हैं।