• प्रश्न :

    प्रश्न. संघवाद की अवधारणा भारत की राजनीतिक संरचना के लिये मौलिक है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में प्रभावी शासन को बढ़ावा देने और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    10 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संघवाद को परिभाषित कीजिये और भारत की राजनीतिक संरचना में इसका महत्त्व बताएँ।
    • विविधता को समायोजित करने, स्थानीय स्वायत्तता को बढ़ाने और केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्ति संतुलन में अपनी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए संघवाद किस प्रकार प्रभावी शासन को बढ़ावा देता है, इसका परीक्षण कीजिये।
    • उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय: एसआर बोम्मई मामले (1994) में, सर्वोच्च न्यायालय ने संघवाद को भारतीय संविधान की आधारभूत संरचना का हिस्सा माना, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया गया। यह भारत के विषम समाज की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार किया गया है, जो क्षेत्रीय स्वायत्तता प्रदान करते हुए एकता को बढ़ावा देता है, जिससे क्षेत्रों को अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने और विशिष्ट चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जाता है।

    मुख्य बिंदु:

    भारत की राजनीतिक संरचना और शासन में संघवाद की भूमिका:

    • विविधता को समायोजित करना: संघवाद सत्ता के विकेंद्रीकरण की अनुमति देता है, जिससे राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं, परंपराओं और मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाले तरीके से शासन करने में सक्षम बनाया जा सके।
      • उदाहरण के लिये, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 भारत को राज्यों के संघ के रूप में परिभाषित करता है तथा विविधता में एकता पर ज़ोर देता है।
        • आठवीं अनुसूची के अंतर्गत भाषायी राज्यों का गठन और क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता, सांस्कृतिक विविधता और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देकर इस एकता को और मज़बूत करती है।
    • शक्ति वितरण एवं सहभागी लोकतंत्र सुनिश्चित करना: भारत की संघीय प्रणाली सातवीं अनुसूची में उल्लिखित शक्तियों के विभाजन पर आधारित है, जो संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के बीच शक्तियों का आवंटन करती है।
    • संघ सूची केंद्र सरकार को राष्ट्रीय मामलों पर विशेष विधायी प्राधिकार प्रदान करती है, जबकि राज्य सूची यह सुनिश्चित करती है कि राज्यों का कृषि जैसे स्थानीय मुद्दों पर नियंत्रण हो।
    • 73वें और 74वें संविधान संशोधनों ने स्थानीय स्वशासन को शक्तियाँ हस्तांतरित कीं, जिससे ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र और सहभागितापूर्ण लोकतंत्र मज़बूत हुआ तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बेहतर सेवा वितरण सुनिश्चित हुआ।
    • राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करना: भारतीय संघवाद एक मज़बूत केंद्रीय प्राधिकरण को राज्य की स्वायत्तता के सम्मान के साथ जोड़कर राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करता है। यह ढाँचा राज्य की शक्तियों को कम किये बिना एकता सुनिश्चित करता है।
      • एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) में न्यायिक हस्तक्षेप ने अनुच्छेद 356 के मनमाने उपयोग को सीमित करके संघीय सिद्धांतों की रक्षा की है, जिससे संवैधानिक शासन को मज़बूती मिली।
    • सहकारी संघवाद: भारत का संघीय ढाँचा सिर्फ विभाजन के बारे में नहीं है, बल्कि सहयोग के बारे में भी है। सरकारिया आयोग (1988) और पुंछी आयोग (2010) ने सहकारी संघवाद पर ज़ोर दिया, जहाँ केंद्र और राज्य राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
    • नीति आयोग की स्थापना सहयोगात्मक शासन पर बढ़ते ज़ोर को दर्शाती है।
    • अंतर -राज्यीय परिषद (अनुच्छेद 263) केंद्र और राज्यों के बीच संवाद के लिये एक मंच प्रदान करती है, जो चर्चा और आपसी सहमति के माध्यम से मुद्दों को हल करती है।
    • प्रतिस्पर्द्धी संघवाद: 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों के बाद, प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की अवधारणा ने जोर पकड़ा है। राज्य अब निवेश आकर्षित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए प्रतिस्पर्द्धा करते हैं, जिससे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति होती है।
    • कारोबार करने में आसानी संबंधी रैंकिंग और स्वच्छ भारत रैंकिंग इस बात के उदाहरण हैं, कि किस प्रकार राज्यों को प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से शासन और विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया जाता है।
    • राजनीतिक स्थिरता: संघवाद राज्यों को उनके विशिष्ट मुद्दों और चिंताओं को संबोधित करने की अनुमति देकर राजनीतिक स्थिरता प्रदान करता है। यह एक केंद्रीय प्राधिकरण में सत्ता के संकेन्द्रण को रोकता है, जो अधिनायकवाद को जन्म दे सकता है।
    • राजनीतिक अशांति या क्षेत्रीय मांगों (गोरखालैंड या विदर्भ) के समय, संघवाद संवाद के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के लिये एक तंत्र प्रदान करता है।

    निष्कर्ष:

    संघवाद भारत की राजनीतिक स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो विकेंद्रीकरण, स्थानीय स्वायत्तता और राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करता है। यह समावेशिता को बढ़ावा देता है, सत्ता के केंद्रीकरण को रोकता है तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मज़बूत करता है। जैसा कि पीएम मोदी ने रेखांकित किया है, संघवाद टीम इंडिया में एक नई साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है, जो केंद्र-राज्य संबंधों को बढ़ाता है। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण भारत की प्रगति और एकता के लिये महत्त्वपूर्ण है।