प्रश्न . रक्षा सेवाओं के संदर्भ में, देशभक्ति का तात्पर्य प्रायः राष्ट्र के लिये अपने जीवन का बलिदान करने की इच्छा होती है। रोज़मर्रा के नागरिक जीवन में देशभक्ति का क्या महत्त्व है? उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- देशभक्ति को परिभाषित कीजिये तथा रक्षा एवं नागरिक संदर्भों में इसकी अभिव्यक्ति में अंतर बताएँ।
- समकालीन और ऐतिहासिक उदाहरण के साथ रोज़मर्रा के नागरिक जीवन में देशभक्ति के रूपों पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
- उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय
देशभक्ति अपने देश के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण है, जो वफादारी, गर्व और अपनेपन की भावना को दर्शाता है। जबकि रक्षा बलों में, देशभक्ति को अक्सर राष्ट्र की संप्रभुता एवं सुरक्षा के लिये जीवन के अंतिम बलिदान के माध्यम से दर्शाया जाता है, रोज़मर्रा के नागरिक जीवन में इसका अर्थ अधिक सूक्ष्म और राष्ट्र निर्माण के लिये समान रूप से महत्त्वपूर्ण है।
मुख्य भाग:
रोज़मर्रा के नागरिक जीवन में देशभक्ति के आयाम:
- नागरिक राष्ट्रवाद: नागरिक जीवन में देशभक्ति, नागरिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत से जुड़ी है, जो कानून का पालन, लोकतांत्रिक भागीदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक सद्भाव पर ज़ोर देती है।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2019 के भारतीय आम चुनावों में 90 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव था।
- सामाजिक अनुबंध सिद्धांत: नागरिक देशभक्ति सामाजिक अनुबंध सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ नागरिक कानूनों का सम्मान करके, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में शामिल होकर और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखते हैं।
- जॉन लॉक और रूसो जैसे दार्शनिकों ने आम भलाई के प्रति नागरिकों के कर्त्तव्य पर ज़ोर दिया, जो रोज़मर्रा की देशभक्तिपूर्ण प्रतिबद्धताओं में प्रतिबिम्बित होता है।
- इतिहास में महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं ने अहिंसक आंदोलनों और राष्ट्रीय एकता निर्माण के माध्यम से नागरिक देशभक्ति का प्रदर्शन किया। उनके योगदान ने एक नागरिक के रूप में नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया, जो राष्ट्र निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- बहुमुखी प्रकृति: नागरिक जीवन में देशभक्ति एक सतत् और विविध प्रतिबद्धता है, जो रोज़मर्रा के कार्यों में परिलक्षित होती है।
- उदाहरण के लिये, कोविड-19 महामारी के दौरान, नागरिकों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया, राहत कार्यों के लिये स्वेच्छा से कार्य किया तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओं का समर्थन करते हुए गैर-सैन्य तरीकों से राष्ट्र की भलाई में योगदान देकर निरंतर देशभक्ति का प्रदर्शन किया।
- बहुलवाद के प्रति सम्मान: यह भारत के विविध लोकाचार को प्रतिबिंबित करता है तथा समावेशी सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण: आपदा राहत और ग्रामीण विकास के लिये कार्य करने वाले गूंज जैसे गैर सरकारी संगठन सामाजिक समानता को बढ़ावा देते हैं तथा सेवा के माध्यम से नागरिक देशभक्ति को दर्शाते हैं।
- जंगलों और जल निकायों की रक्षा करने वाले ज़मीनी स्तर के पर्यावरण कार्यकर्त्ता भावी पीढ़ियों के प्रति देशभक्तिपूर्ण कर्त्तव्य का दायित्व निभाते हैं।
- आधुनिक उद्यमी तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देकर, रोज़गार सृजन करके तथा भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाकर राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
निष्कर्ष: नागरिक देशभक्ति केवल झंडा फहराने या गीत गाने तक सीमित नहीं, बल्कि रोजमर्रा के कार्यों, नैतिक ज़िम्मेदारियों और सामाजिक योगदान से परिभाषित होती है। यह संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र और सामूहिक कल्याण पर आधारित एक सक्रिय प्रक्रिया है।