प्रश्न . भारत में ग्रामीण गरीबों के बीच परिसंपत्ति निर्माण और आय सुरक्षा में स्वयं सहायता समूहों (SHG) की दोहरी भूमिका के साथ ही महिला सशक्तीकरण में भी उनके योगदान का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
27 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
हल करने का दृष्टिकोण
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परिचय
भारत में स्वयं सहायता समूहों (SHG) ने ग्रामीण गरीबों के लिये परिसंपत्ति निर्माण और आय सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, साथ ही महिलाओं के सशक्तीकरण को भी बढ़ावा दिया है। बचत को एकत्र कर तथा सूक्ष्म ऋण तक पहुँच प्राप्त कर, SHG के सदस्य पशुधन, कृषि उपकरणों और लघु उद्यमों (जैसे: सिलाई, डेयरी व्यवसाय) में निवेश करते हैं, जिससे सीधे तौर पर पारिवारिक संपत्ति में वृद्धि होती है।
मुख्य भाग
स्वयं सहायता समूहों की दोहरी भूमिका:
महिला सशक्तीकरण में योगदान:
चुनौतियाँ |
आगे की राह |
तमिलनाडु और दिल्ली-NCR में हस्तशिल्प एवं खाद्य पदार्थ बनाने वाले स्वयं सहायता समूह निम्नस्तरीय पैकेजिंग, ब्रांडिंग तथा बिक्री संवर्द्धन से जूझ रहे हैं, जिससे बड़े शहरी बाज़ारों तक उनकी पहुँच सीमित हो गई है। |
बाज़ार पहुँच को बढ़ावा देने के लिये, सरकार GeM व क्लस्टर विकास जैसे ई-कॉमर्स संबंधों को बढ़ावा दे रही है तथा आठ ‘वोकल फॉर लोकल’ GeM आउटलेट स्टोर्स की शुरुआत कर रही है, जो स्टार्टअप्स एवं स्वयं सहायता समूहों को व्यापक बाज़ारों तक पहुँचने और बिक्री बढ़ाने में मदद करते हैं। |
कई स्वयं सहायता समूहों को विलंब और अपर्याप्त ऋण प्रवाह का सामना करना पड़ता है; उदाहरण के लिये, हरियाणा में सदस्यों ने बैंक अधिकारियों की उदासीनता और पात्र समूहों के लिये खाते खोलने या ऋण प्रक्रिया करने से अस्वीकृति की शिकायत की। |
डिजिटल ऋण देने वाले प्लेटफॉर्मों का विस्तार किया जाना चाहिये, MSME समाधान पोर्टल के माध्यम से बेहतर ऋण लक्ष्यीकरण के लिये SHG डेटा को आधार एवं GSTIN के साथ एकीकृत किया जाना चाहिये। |
वित्तीय साक्षरता में पर्याप्त प्रशिक्षण का अभाव, उदाहरण के लिये; एर्नाकुलम ज़िले (केरल) में, केवल 54% SHG सदस्यों को UPI जैसे डिजिटल भुगतान टूल के बारे में जानकारी थी, जो डिजिटल वित्तीय साक्षरता में अंतर को दर्शाता है। |
डिजिटल उपकरणों और वित्तीय प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। उदाहरण के लिये, झारखंड में डिजिटल दीदियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वेच्छा से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे रही हैं। |
निष्कर्ष
SHG ने ग्रामीण गरीबों के बीच परिसंपत्ति सृजन और आय सुरक्षा को सक्षम करने में एक परिवर्तनकारी दोहरी भूमिका का प्रदर्शन किया है। नीति समर्थन, क्षमता निर्माण एवं समावेशी शासन के माध्यम से इन समूहों को सशक्त करना भारत के समावेशी विकास तथा ग्रामीण विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।