प्रश्न . विधायी निगरानी और नीतिगत जवाबदेही सुनिश्चित करने में संसदीय समितियों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
20 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय: भारतीय विधायिका के कार्य संचालन में संसदीय समितियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विधेयकों और सरकारी व्यय की विस्तृत जाँच के लिये एक आवश्यक तंत्र प्रदान करती हैं। संविधान के अनुच्छेद 105 और 118 के तहत गठित ये समितियाँ संसद को प्रभावी निगरानी रखने और कार्यपालिका को उत्तरदायी ठहराने में सक्षम बनाती हैं। व्यापक रूप से, संसदीय समितियों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है — स्थायी समितियाँ (स्थायी प्रकृति की) और अस्थायी समितियाँ (अस्थायी प्रकृति की)।
मुख्य भाग:
विधायी निगरानी और जवाबदेही:
चुनौतियाँ |
आगे की राह |
समितियों को विधेयक भेजने में कमी (16वीं लोकसभा में 25% बनाम 15वीं लोकसभा में 71% )। |
समितियों को अधिक संसाधनों, कानूनी शक्तियों और अधिकारियों को तलब करने की क्षमता देकर सशक्त बनाया जाए। विस्तृत जाँच के लिये विधेयकों को समितियों को अनिवार्य रूप से भेजने की व्यवस्था लागू करना |
विलंबित रिपोर्ट और प्रवर्तन तंत्र का अभाव। |
बैठकों का सीधा प्रसारण और रिपोर्टों का व्यापक प्रकाशन करके पारदर्शिता को बढ़ावा देना। |
राजनीतिक हस्तक्षेप |
आम सहमति बनाने और राजनीतिक संघर्षों को कम करने के लिये द्वि-दलीय संस्कृति को बढ़ावा देना। |
कम जन जागरूकता और सीमित मीडिया कवरेज़ |
समिति प्रक्रियाओं में नागरिक समाज, विशेषज्ञों और हितधारकों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना। |
निष्कर्ष:
संसदीय समितियाँ भारत के लोकतांत्रिक शासन के लिये अपरिहार्य हैं, संस्थागत सुधारों और संवर्द्धित पारदर्शिता के माध्यम से वर्तमान चुनौतियों का समाधान संसदीय लोकतंत्र को मज़बूत करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को बहाल और बढ़ा सकता है।