• प्रश्न :

    आप एक युवा फील्ड एथलीट हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपने पहले मैच में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं। एथलीट्स विलेज में रहने के दौरान, आप गलती से कॉमन रेस्टरूम में प्रवेश करते हैं और कुछ वरिष्ठ टीम सदस्यों को एक अज्ञात पदार्थ का इंजेक्शन लगाते हुए देखते हैं। संदेह होने पर आप उनसे पूछते हैं, तो वे बताते हैं कि यह एक 'रिकवरी बूस्टर' (परफॉरमेंस-एन्हांसिंग ड्रग/PED) है, जो सहनशक्ति और मांसपेशियों की मरम्मत में मदद करता है।

    वे आगे सुझाव देते हैं कि इसका उपयोग करना आम बात है, खासकर वैश्विक प्रतियोगिताओं में और यदि आप प्रतिस्पर्द्धी बने रहना तथा टीम में अपनी जगह सुरक्षित करना चाहते हैं, तो आपको भी इसे लेने पर विचार करना चाहिये। बाद में, कोच से संपर्क करने के बारे में विचार करते समय, आपको एक अन्य जूनियर एथलीट से पता चलता है कि टीम के कोच को न केवल इसकी जानकारी है, बल्कि उन्होंने कथित तौर पर 'राष्ट्रीय हित' और 'मेडल के दबाव' का हवाला देते हुए इसके उपयोग की सिफारिश की है।

    1. इस स्थिति में प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
    2. इस परिदृश्य में आपके लिये क्या संभावित कार्यवाही के विकल्प हो सकते हैं?
    3. आप कौन-सा कदम उठायेंगे और क्यों?

    16 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    एक युवा भारतीय फील्ड एथलीट के रूप में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत करते हुए, पाता है कि वरिष्ठ टीम के साथी कोच के समर्थन से 'रिकवरी बूस्टर' (परफॉरमेंस-एन्हांसिंग ड्रग/PED) का उपयोग कर रहे हैं। आप पर भी ऐसा ही करने का दबाव डाला जाता है, जिससे आपको व्यक्तिगत रूप से सत्यनिष्ठा और करियर में उन्नति के बीच चुनाव करने के लिये मज़बूर होना पड़ता है। यह स्थिति ईमानदारी, खेल में निष्पक्षता और सफलता की नैतिक कीमत जैसी चुनौतियों को उज़ागर करती है।

    हितधारक

    भूमिका/रुचि

    एथलीट (आप)

    व्यक्ति नैतिक दुविधा का सामना कर रहा है और निर्णय ले रहा है।

    वरिष्ठ टीम के सदस्य

    PED का प्रयोग करना तथा दूसरों पर भी ऐसा करने के लिये दबाव डालना।

    एक प्रशिक्षक (कोच)

    जो PED के उपयोग के बारे में जानते है और संभावित रूप से इसका समर्थन करता है।

    खेल महासंघ/डोपिंग रोधी प्राधिकरण

    नैतिक मानकों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार।

    अन्य जूनियर एथलीट

    सहकर्मी जो कार्यों से प्रभावित हो सकते हैं।

    मुख्य भाग:

    1.इस स्थिति में प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?

    • सत्यनिष्ठा बनाम सफलता: मुख्य दुविधा व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा और सफल होने के दबाव के बीच संतुलन बनाने में निहित है। PED का उपयोग करना नैतिक सिद्धांतों का उल्लंघन होगा, लेकिन उनका उपयोग न करना प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न कर सकता है और टीम में एथलीट की जगह को खतरे में डाल सकता है।
    • निष्ठा बनाम नैतिक आचरण: यह दुविधा टीम, कोच और देश के प्रति निष्ठा और खेल में नैतिक मानकों को बनाए रखने के कर्त्तव्य के बीच टकराव को दर्शाती है।
      • सीनियर्स और कोच की ओर से PED का इस्तेमाल करने का दबाव समूह के प्रति दायित्व की भावना को बढ़ावा देता है, भले ही यह व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा के साथ टकराव में क्यों न हो। देशभक्ति और पदक की उम्मीद के नाम पर डोपिंग को उचित ठहराना इस मुद्दे को और जटिल बनाता है, जिससे नैतिक सवाल उठते हैं।
    • दीर्घकालिक परिणाम बनाम तत्काल लाभ: PED के उपयोग से बेहतर प्रदर्शन के तत्काल लाभ और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम, संभावित अयोग्यता तथा व्यक्ति के कैरियर और प्रतिष्ठा को होने वाले नुकसान के बीच दुविधा उत्पन्न करता है।

    2. इस परिदृश्य में आपके लिये क्या संभावित कार्यवाही के विकल्प हो सकते हैं?

    विकल्प 1: PED का उपयोग करना

    • लाभ: PED का उपयोग करने से तत्काल प्रदर्शन में वृद्धि हो सकती है, चैंपियनशिप में सफलता की संभावना बढ़ सकती है, टीम की स्थिति में सुधार हो सकता है तथा प्रचलित टीम प्रथाओं के अनुरूपता सुनिश्चित हो सकती है ।
    • हानि: PED का प्रयोग नैतिक सिद्धांतों और व्यक्तिगत निष्ठा का उल्लंघन होगा तथा इससे खिलाड़ी को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
      • इसके अतिरिक्त, इसमें अयोग्यता या आजीवन प्रतिबंध की संभावना भी रहती है, जो अंततः करियर और प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुँचाती हैं।

    विकल्प 2: एथलीटों और कोच को अनौपचारिक चेतावनी

    • लाभ: इस दृष्टिकोण में एथलीटों और प्रशिक्षक (कोच) को PEDs के उपयोग की अनैतिक और अवैध प्रकृति के बारे में सावधानी से आगाह करना शामिल है।
      • यह उन्हें तत्काल औपचारिक परिणामों के बिना स्वयं को सुधारने का अवसर देता है।
        • इस पद्धति से समस्या का आंतरिक समाधान करके, मीडिया का ध्यान आकर्षित होने तथा सार्वजनिक शर्मिंदगी से बचा जा सकता है।
    • हानि: हालाँकि, ऐसी अनौपचारिक चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता है, खासकर यदि टीम के भीतर PED का उपयोग सामान्य हो।
      • कोच की ओर से प्रतिशोध या अनुशासनात्मक कार्रवाई का जोखिम भी है। इसके अलावा, अगर डोपिंग जारी रहती है और बाद में इसका खुलासा हो जाता है, तो इससे देश तथा एथलीट की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान हो सकता है।

    विकल्प 3: प्रतियोगिता से पहले औपचारिक शिकायत दर्ज करना

    • लाभ: प्रतियोगिता से पहले उपयुक्त प्राधिकारियों (खेल महासंघ/डोपिंग रोधी प्राधिकरण) के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराने से समान अवसर सुनिश्चित होंगे तथा खेल में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता के सिद्धांतों को कायम रखा जा सकेगा।
      • यह नैतिक आचरण और डोपिंग रोधी मानदंडों के पालन के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • हानि: अचानक कार्रवाई करने से आरोपी खिलाड़ियों और कोच को अपने व्यवहार को स्पष्ट करने या सुधारने का उचित अवसर नहीं मिल पाएगा।
      • ऐसा कदम मीडिया का अवांछित ध्यान भी आकर्षित कर सकता है, जिससे टीम के मनोबल को नुकसान पहुँच सकता है तथा देश की छवि खराब हो सकती है।

    विकल्प 4: प्रतियोगिता के बाद समस्या की रिपोर्ट करना

    • लाभ: घटना के बाद तक रिपोर्ट को विलंबित करने से तथ्यों की पुष्टि करने, स्थिति पर विचार करने तथा टीम के प्रदर्शन को बाधित किये बिना परिणामों के लिये तैयार होने हेतु अधिक समय मिल जाता है।
    • हानि: हालाँकि, इस देरी से अनैतिक प्रथाओं को जारी रहने का मौका मिल जाता है और इसके परिणामस्वरूप बाहरी एजेंसियों द्वारा डोपिंग का पता लगाया जा सकता है, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को अधिक नुकसान पहुँच सकता है और नैतिक संघर्ष हो सकता है।

    3. आप कौन-सा कदम उठायेंगे और क्यों? 

    चुनी गई कार्यवाही विकल्प 2 और  3 का संयोजन होगी:

    • प्रारंभ में, सबसे विवेकपूर्ण कदम यह है कि वरिष्ठ एथलीटों और कोच को अनौपचारिक रूप से PED के उपयोग की अनैतिक और अवैध प्रकृति के बारे में चेतावनी दी जाए।
      • यह दृष्टिकोण टीम के सदस्यों को तत्काल औपचारिक परिणामों या सार्वजनिक प्रदर्शन के बिना, स्वयं को सुधारने और अपने कार्यों पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।
      • इससे टीम का मनोबल बनाए रखने, संभावित प्रतिक्रिया को कम करने और परिवर्तन के लिये रचनात्मक वातावरण बनाए रखने में मदद मिलती है।
    • इसके साथ ही, यह भी महत्त्वपूर्ण है कि टिप्पणियों को सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ित किया जाए तथा यदि उचित समय सीमा के भीतर कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है, तो संबंधित खेल प्राधिकरणों या डोपिंग रोधी एजेंसियों को औपचारिक शिकायत प्रस्तुत करने के लिये तैयार रहें।
      • इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि अनौपचारिक चेतावनी विफल हो जाती है, तो खेल में निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखने के लिये उचित माध्यमों से इस मुद्दे को आगे बढ़ाया जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    एक एथलीट के रूप में, खेलों में निष्पक्षता, ईमानदारी और स्वास्थ्य सुरक्षा के मूल्यों को बनाए रखना प्राथमिक कर्त्तव्य है। पहले आंतरिक जवाबदेही को बढ़ावा देकर और आवश्यकता पड़ने पर औपचारिक कदम उठाकर, यह रणनीति स्वच्छ खेल भावना और राष्ट्रीय गौरव के प्रति समर्पण की संस्कृति को बढ़ावा देती है।