प्रश्न .'क्षमा करना शक्तिशाली लोगों का गुण है' यह विचार व्यक्तिगत और सामाजिक संदर्भ में चरित्र की दृढ़ता को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- व्यक्तिगत और सामाजिक संदर्भ में क्षमा और उसके महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
- परीक्षण कीजिये कि क्षमा किस प्रकार व्यक्तिगत और सामाजिक संदर्भ में भावनात्मक क्षमता एवं चरित्र को प्रदर्शित करती है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
क्षमा वह सचेत निर्णय है जिसके माध्यम से उस व्यक्ति के प्रति रोष या प्रतिशोध की भावना का त्याग कर दिया जाता है, जिसने हमें कभी किसी प्रकार की हानि पहुँचाई हो। इसमें आंतरिक शक्ति, सहानुभूति और अतीत के दुखों को को भूला देने की इच्छा की आवश्यकता होती है। यह आवश्यक नहीं कि उस गलत कार्य को उचित ठहराया जाए, बल्कि इस क्षमता में स्वयं को ही क्रोध और पीड़ा के बोझ से मुक्त किया जाता है।
मुख्य भाग:
व्यक्तिगत संदर्भ में क्षमा:
- भावनात्मक शक्ति और नियंत्रण: क्षमा को दुर्बलता का नहीं, अपितु भावनात्मक दृढ़ता और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक माना जाना चाहिये। यह व्यक्ति को क्रोध, वैमनस्य और कटुता जैसे नकारात्मक भावों से ऊपर उठने की क्षमता प्रदान करती है।
- उदाहरणस्वरूप, बौद्ध परंपरा में ‘मैत्री’ (Metta) अर्थात् 'प्रेमपूर्ण करुणा' के माध्यम से करुणा और क्षमा को आत्मिक शुद्धि तथा पीड़ा से मुक्ति का मार्ग बताया गया है।
- आज के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में, जैसे कि सड़क पर रोष (road rage) अथवा सामान्य गलतफहमियों के कारण होने वाले संघर्ष की घटनाएँ प्रायः आवेगपूर्ण क्रोध और भावनात्मक नियंत्रण के अभाव के कारण होती हैं।
- ऐसे में यदि व्यक्ति क्षमाशील रवैया अपनाए, तो वह न केवल व्यक्तिगत तनाव को नियंत्रित कर सकता है, बल्कि सामाजिक शांति एवं सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा दे सकता है।
- मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य: मानसिक स्वास्थ्य में क्षमा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बौद्ध धर्म के मुख्य ग्रंथों में से एक, धम्मपद हमें सिखाता है कि घृणा और क्रोध की भावना से केवल स्वयं को ही पीड़ा पहुँचती है।
- क्षमा व्यक्ति को इन भावनाओं से मुक्त करती है तथा उसे अधिक शांतिपूर्ण और भावनात्मक रूप से संतुलित जीवन जीने में सहायता करती है।
सामाजिक संदर्भ में क्षमा:
- सामाजिक सद्भाव: सामाजिक स्तर पर, क्षमा सामाजिक दुखों से निपटने और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह चरित्र की दृढ़ता को दर्शाता है जो सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- महात्मा गांधी अहिंसा और क्षमा को आवश्यक नैतिक सिद्धांत मानते थे। उन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत क्रूर अन्याय के बावजूद प्रतिशोध के बजाय शांति को चुनकर अपने जीवन में इस आदर्श को अपनाया।
- इसी तरह, नेल्सन मंडेला का मानना था कि क्षमा आत्मा को मुक्त करती है। यह भय को दूर करती है और उन्होंने रंगभेद के बाद अपने उत्पीड़कों को क्षमा करके इसकी शक्ति का प्रदर्शन किया, क्षमा को विभाजित समाज को ठीक करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के साधन के रूप में प्रयोग किया।
- पुनर्स्थापनात्मक न्याय को बढ़ावा देना: क्षमा और जवाबदेही, गलत काम करने वालों को सुधार करने और समाज में पुनः एकीकृत होने में सहायता कर पुनर्स्थापनात्मक न्याय को सक्षम बनाती है।
- कांट का दर्शन सुझाता है कि क्षमा नैतिक नवीनीकरण का अवसर प्रदान करती है, जहाँ व्यक्ति और समाज अपनी पिछली गलतियों से ऊपर उठते हैं तथा नैतिक उत्कृष्टता की ओर बढ़ते हैं।
निष्कर्ष:
संघर्ष और विभाजन से भरे विश्व में, क्षमा करने की क्षमता संघर्ष को उपचार और समझ के अवसरों में बदल सकती है। चाहे व्यक्तिगत संबंधों में हो या व्यापक सामाजिक संदर्भों में, यह भावनात्मक शक्ति और सामाजिक समुत्थानशक्ति की आधारशिला है, जो अधिक सामंजस्यपूर्ण समन्वय एवं अधिक दयालु, समावेशी समाज का मार्ग प्रशस्त करती है।