• प्रश्न :

    आपको हाल ही में एक ऐसे राज्य में ज़िला श्रम अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है जहाँ स्थानीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। एक नियमित जाँच के दौरान, आपको पता चलता है कि क्षेत्र का एक बड़ा होटल अपने श्रमिकों को अनिवार्य वेतन का भुगतान न करके न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है। होटल का मालिक एक प्रभावशाली स्थानीय राजनेता है, जिसके राज्य के प्रभावशाली अधिकारियों से गहरे संबंध हैं। आप एक प्रारंभिक जाँच शुरू करने का निर्णय लेते हैं, क्योंकि आपके पास ऐसे उल्लंघनों का स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार है। हालाँकि, जब आप श्रमिकों से संपर्क करते हैं, तो उनमें से कोई भी औपचारिक शिकायत दर्ज करने को तैयार नहीं होता है, क्योंकि उन्हें होटल प्रबंधन से प्रतिशोध और अपनी नौकरी जाने का डर होता है। उसी समय, आपकी जाँच उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करती है, जो होटल मालिक के राजनीतिक प्रभाव का हवाला देते हुए आप पर जाँच न करने का दबाव डालना शुरू कर देते हैं।

    यह स्थिति एक नैतिक दुविधा प्रस्तुत करती है। यद्यपि श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन स्पष्ट है, फिर भी आप कानून को बनाए रखने के अपने कर्त्तव्य और इस मुद्दे को अनदेखा करने के लिये उच्च अधिकारियों के दबाव के बीच संघर्ष का सामना करते हैं। आपके द्वारा लिये गए निर्णय का श्रमिकों और आपके कॅरियर दोनों के लिये गंभीर परिणाम होंगे।

    प्रश्न:

    (a) इस मामले में शामिल मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।

    (b) निम्नलिखित विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा कारण सहित उचित कार्यवाही का सुझाइये:

    1. उच्च अधिकारियों द्वारा अनौपचारिक रूप से दी गई सलाह के अनुसार मामले को रद्द कर देना चाहिये।

    2. होटल मालिक को अधिनियम का उल्लंघन न करने के लिये राजी करना चाहिये।

    3. विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कर औपचारिक निर्देश की मांग करनी चाहिये।

    4. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत नोटिस जारी कर कानूनी कार्रवाई शुरू करनी चाहिये।

    (c) कार्रवाई का अनुशंसित तरीका क्या हो सकता है?

    02 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    यह मामला नियोक्ताओं द्वारा समाज के एक कमज़ोर वर्ग के शोषण का एक उत्कृष्ट उदाहरण दर्शाता है। किये गए काम के लिये न्यूनतम मज़दूरी के भुगतान को अनिवार्य करने वाले कानूनी प्रावधानों के बावजूद, नियोक्ता प्रायः श्रमिकों की सीमित सौदाकारी शक्ति का लाभ उठाते हैं। यह शक्ति असंतुलन नौकरी की निम्न-कुशल प्रकृति, वैकल्पिक आजीविका विकल्पों की कमी और वित्तीय सुरक्षा की अनुपस्थिति जैसे कारकों का परिणाम है।

    मुख्य भाग:

    हितधारक

    मामले में भूमिका

    ज़िला श्रम अधिकारी

    श्रम कानूनों को बनाए रखना, श्रमिक कल्याण सुनिश्चित करना एवं कर्त्तव्यबद्ध।

    होटल कर्मचारी

    वेतन शोषण के शिकार; प्रतिशोध और नौकरी छूटने का भय।

    होटल मालिक

    राजनीतिक रूप से प्रभावशाली; लाभ और प्रतिष्ठा को प्राथमिकता देता है।

    उच्च अधिकारी

    कानूनी प्रवर्तन की तुलना में पर्यटन और राजनीतिक दबाव को प्राथमिकता देते हैं।

    राज्य सरकार

    वैध शासन सुनिश्चित करने तथा श्रम अधिकारों और आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिये जिम्मेदार।

    स्थानीय समुदाय

    रोज़गार के लिये पर्यटन पर निर्भरता; यदि समस्या बढ़ती है तो इसका असर पड़ सकता है।

    (a) इस मामले में शामिल मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।

    • कानूनी अधिकारों का उल्लंघन, विशेष रूप से न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम का उल्लंघन तथा व्यवस्था में विश्वास का ह्रास, श्रमिकों द्वारा अपने अधिकारों की मांग करने में अनिच्छा से स्पष्ट है।
    • प्रशासनिक कर्त्तव्य, क्योंकि श्रम अधिकारी कानूनी और नैतिक रूप से न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम को लागू करने के लिये बाध्य है।
    • प्रशासनिक-राजनीतिक हस्तक्षेप, क्योंकि उच्च अधिकारी अनौपचारिक रूप से अधिकारी पर मामले को नजरअंदाज़ करने का दबाव बना रहे हैं।
    • आर्थिक कारणों, जहाँ मीडिया के संपर्क से पर्यटन राजस्व और ज़िले की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    (b) निम्नलिखित विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा कारण सहित उचित कार्रवाई का सुझाइये:

    विकल्प 1: उच्च अधिकारियों द्वारा अनौपचारिक रूप से दी गई सलाह के अनुसार मामले को रद्द कर देना चाहिये।

    • लाभ: प्रशासनिक पदानुक्रम को बनाए रखता है, संघर्ष से बचाता है तथा दंडात्मक स्थानांतरण जैसे संभावित दुष्परिणामों को रोकता है।
      • मामले को रद्द करके और मीडिया के हस्तक्षेप की अनुमति न देकर उस ज़िले की पर्यटन प्रतिष्ठा को बनाए रखा।
    • विपक्ष: न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत परिभाषित श्रमिक के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन जारी रहता है।
      • यह कर्त्तव्य की उपेक्षा को दर्शाता है तथा भविष्य में जवाबदेही का कारण बन सकता है।
      • अन्य नियोक्ताओं द्वारा इसी प्रकार की शोषणकारी प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।

    विकल्प 2: होटल मालिक को अधिनियम का उल्लंघन न करने के लिये राजी करना चाहिये।

    • लाभ: यह मानते हुए कि वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रहा, होटल मालिक को सुधार के अवसर का लाभ मिलता है और वह स्वेच्छा से स्थिति को सुधार सकता है।
      • इस मुद्दे को अनौपचारिक रूप से सुलझाया जा सकता है, जिससे औपचारिक विवाद से बचा जा सके, विशेषकर उन मामलों में जहाँ श्रमिक सार्वजनिक रूप से शोषण को स्वीकार करने में संकोच करते हों।
    • विपक्ष: इसमें प्रवर्तनीयता का अभाव है तथा इससे शोषण जारी रह सकता है या परिवर्तित रूप ले सकता है।
      • समय की मांग के अनुसार उचित कार्रवाई करने में कमज़ोर प्रशासनिक संकल्प प्रदर्शित होता है।
      • नियोक्ता शोषण का कोई अन्य तरीका भी ढूंढ सकते हैं, जैसे: अधिक कार्य घंटे लगाना।

    विकल्प 3: विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत कर औपचारिक निर्देश की मांग करनी चाहिये।

    • लाभ: इससे औपचारिक लिखित निर्देश प्राप्त हो सकते हैं, जिससे उचित कानूनी और प्रशासनिक माध्यमों से कार्रवाई संभव हो सकेगी।
      • इससे प्रशासनिक पदानुक्रम में कानून को बनाए रखने के लिये दबाव उत्पन्न होगा तथा निष्क्रियता की स्थिति में जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
      • अधिक जाँच के कारण होटल मालिक को भी इसका अनुपालन करने के लिये बाध्य किया जा सकता है।
    • विपक्ष: इसे उच्च अधिकारियों द्वारा उनके अनौपचारिक निर्देश के प्रति चुनौती के रूप में देखा जा सकता है।
      • यदि उच्च अधिकारी प्रतिक्रिया देने या कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो इससे नियोक्ता का हौसला और बढ़ सकता है तथा व्यवस्था में जनता का विश्वास कम हो सकता है।

    विकल्प 4: न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत नोटिस जारी कर कानूनी कार्रवाई शुरू करनी चाहिये।

    • लाभ: यह श्रमिकों के कानूनी अधिकारों को कायम रखता है तथा प्रशासन में विश्वास को दृढ़ करता है।
      • यह एक मिसाल कायम करता है तथा दूसरों को अपने अधिकारों का दावा करने के लिये प्रोत्साहित करता है तथा विधि के शासन को सुदृढ़ करता है।
    • विपक्ष: इससे होटल की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है, विशेषकर यदि मामला जनता का ध्यान आकर्षित कर ले।
      • नियोक्ता जल्दबाज़ी में प्रतिक्रिया कर सकता है, जिससे संभवतः श्रमिकों की नौकरी चली जाएगी।
      • वरिष्ठ प्राधिकारियों द्वारा इस कदम को उनके अनौपचारिक निर्देश की अवहेलना के रूप में देखा जा सकता है, जिससे अधिकारी के कॅरियर की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

    (c) कार्रवाई का अनुशंसित तरीका क्या हो सकता है?

    अनुशंसित कार्रवाई: विकल्प 3 और विकल्प 4 का संयोजन

    • प्रारंभ में, सबसे विवेकपूर्ण कदम सक्षम प्राधिकारी को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करना, कानूनी उल्लंघनों का दस्तावेज़ीकरण करना और औपचारिक निर्देश मांगना है।
    • साथ ही, इसमें सम्मिलित श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी महत्त्वपूर्ण है।
      • इसमें उनकी पहचान गोपनीय रखना, उनके लिये शिकायत दर्ज कराने के सुरक्षित और गुमनाम तरीके बनाना तथा यदि आवश्यक हो तो नियोक्ता द्वारा प्रतिशोध से उन्हें बचाने के लिये व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग करना शामिल है।
    • हालाँकि, यदि उचित समय सीमा के भीतर कोई प्रतिक्रिया या कार्रवाई नहीं की जाती है, तो अधिकारी को नोटिस जारी करके और कानूनी कार्रवाई शुरू करके न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करना चाहिये।

    कार्रवाई का औचित्य:

    यह चरणबद्ध दृष्टिकोण कानूनी जिम्मेदारी, नैतिक कर्त्तव्य और प्रशासनिक विवेक के बीच संतुलन स्थापित करता है, साथ ही आकस्मिक टकराव को कम करता है तथा श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।

    निष्कर्ष:

    एक लोक सेवक के रूप में, किसी का प्राथमिक दायित्व संविधान को बनाए रखना और जनहित की सेवा करना है। श्रमिकों के अधिकारों को बनाए रखना न केवल एक कानूनी कर्त्तव्य है, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता भी है। इस तरह की कार्रवाइयाँ सहानुभूति, ईमानदारी और निष्पक्षता के मूल्यों को सुदृढ़ करती हैं, जो नीतिगत लोक सेवा के प्रमुख लक्षण हैं।