प्रश्न. रूस के साथ भारत के रक्षा संबंधों की तुलना में, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के संदर्भ में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों की प्रासंगिकता क्या है? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- रूस की तुलना में अमेरिका के साथ भारत के रक्षा संबंधों की सामरिक प्रासंगिकता का परिचय दीजिये।
- रूस को एक समय-परीक्षित साझेदार के रूप में समझाइये तथा चीन, सैन्य समझौतों और क्वाड के संदर्भ में अमेरिकी संलग्नताओं के उभरते सामरिक मूल्य की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
अमेरिका और रूस के साथ भारत के रक्षा संबंध दो अलग-अलग रणनीतिक दृष्टिकोणों को दर्शाते हैं– पारंपरिक निर्भरता बनाम विकासशील साझेदारी। बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और बदलती शक्ति गतिशीलता के मद्देनजर (विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में) ये रक्षा संबंध क्षेत्रीय स्थिरता और एक प्रमुख सुरक्षा अभिकर्त्ता के रूप में भारत की भूमिका के लिये महत्त्वपूर्ण निहितार्थ रखते हैं।
मुख्य भाग:
रूस एक समय-परीक्षित साझेदार है:
- रक्षा सहयोग: रूस ऐतिहासिक रूप से भारत का प्राथमिक हथियार आपूर्तिकर्त्ता रहा है, जो इसके रक्षा उपकरण आयात (S-400 वायु रक्षा प्रणाली और मिग-29 लड़ाकू जेट) का 36% हिस्सा है।
- सामरिक संरेखण: दोनों राष्ट्र क्षेत्रीय सुरक्षा में समान हित साझा करते हैं तथा आतंकवाद-रोधी प्रयासों और सैन्य अभ्यासों में सहयोग करते हैं।
- उनका सहयोग BRICS और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर रणनीतियों को संरेखित करने तक फैला हुआ है।
- यह संरेखण साझा क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के प्रति उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की रणनीतिक प्रासंगिकता:
- 10-वर्षीय रक्षा रूपरेखा: भारत और अमेरिका एक व्यापक 10-वर्षीय रक्षा सहयोग रूपरेखा पर काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना एवं रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करना है।
- साझा हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण: भारत और अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तार पर समान चिंताएँ साझा करते हैं तथा उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता व सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से "स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत" को बढ़ावा देने के लिये अपने रणनीतिक हितों को संरेखित किया है।
- बहुपक्षीय क्वाड के हिस्से के रूप में दोनों देश क्षेत्रीय चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये अपने सहयोग को और भी मज़बूत करते हैं।
- आधारभूत समझौते: LEMOA (वर्ष 2016), COMCASA (वर्ष 2018) और BECA (वर्ष 2020) भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को बढ़ाने वाले प्रमुख समझौते हैं।
- LEMOA लॉजिस्टिक्स समर्थन में सुधार करता है, COMCASA संचार अंतर-संचालन को बढ़ाता है तथा BECA भू-स्थानिक खुफिया साझाकरण को मज़बूत करता है।
- इन सभी का उद्देश्य परिचालन दक्षता में सुधार लाना तथा क्षेत्रीय खतरों, विशेषकर चीन से उत्पन्न खतरों का मुकाबला करना था।
- सैन्य अभ्यास: मालाबार नौसैनिक अभ्यास जैसे सैन्य अभ्यास समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करते हैं और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करते हैं।
- इसी प्रकार, युद्ध अभ्यास और वज्र प्रहार संयुक्त परिचालन क्षमताओं में सुधार लाने तथा भाग लेने वाले देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- प्रौद्योगिकी सहयोग के माध्यम से रक्षा को बढ़ावा देना; महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारत-अमेरिका पहल (iCET, 2023) रक्षा नवाचार को बढ़ावा देती है।
- यह सेमीकंडक्टर, AI जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है तथा दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है।
भारत-अमेरिका बनाम भारत-रूस रक्षा संबंधों की रणनीतिक प्रासंगिकता:
पहलू
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भारत-अमेरिका रक्षा भागीदारी
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भारत-रूस रक्षा भागीदारी
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रणनीतिक केंद्र
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चीन का मुकाबला, समुद्री सुरक्षा, नियम-आधारित व्यवस्था।
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पारंपरिक साझेदार, विरासत प्रणालियों के साथ।
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साझेदारी की प्रकृति
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अंतर-संचालनीयता, संयुक्त संचालन और क्वाड संरेखण।
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लिगेसी हार्डवेयर (भारतीय सैन्य हार्डवेयर का 45%), रखरखाव सहायता।
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तकनीकी अंतरण और बाधाएँ
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अत्याधुनिक तकनीक और संयुक्त उत्पादन
ie: iCET
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यूक्रेन संकट के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण सीमित स्थानांतरण और आपूर्ति शृंखला जोखिम।
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भू-राजनीतिक चुनौतियाँ
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हिंद-प्रशांत लक्ष्यों के साथ रणनीतिक संरेखण।
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रूस पर चीन का बढ़ता प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भूमिका को सीमित कर रहा है।
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हिंद-प्रशांत पर सामरिक प्रभाव
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भविष्योन्मुख, समुद्री क्षेत्र जागरूकता, नियम-आधारित व्यवस्था, चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने पर केंद्रित।
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ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सीमित उपस्थिति।
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निष्कर्ष:
रूस एक प्रमुख रक्षा साझेदार बना हुआ है, लेकिन अमेरिका के साथ भारत का संतुलन बनाना ‘इंडिया फर्स्ट’ की उद्देश्यपूर्ण रणनीति को दर्शाता है। रणनीतिक संरेखण और अंतर-संचालन के माध्यम से इंडो-पैसिफिक को सुरक्षित करने में अमेरिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर चीन के उदय का मुकाबला करने में। यह रणनीतिक संतुलन भारत की क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करता है और इंडो-पैसिफिक में नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है।