प्रश्न 1. प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करो, अंधकार अपने आप दूर हो जाएगा।
प्रश्न 2. विपत्ति एक विकल्प देती है: या तो कटु बनो, या बेहतर बनो।
उत्तर :
1. प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करो, अंधकार अपने आप दूर हो जाएगा।
अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- "शोक मत करो। जो कुछ भी तुम खोते हो, वह किसी नए रूप में लौट आता है।" — रूमी
- "अंधकार अंधकार को दूर नहीं कर सकता; केवल प्रकाश ही अंधकार को दूर कर सकता है। घृणा घृणा को समाप्त नहीं कर सकती; केवल प्रेम ही घृणा को समाप्त कर सकता है।" — मार्टिन लूथर किंग जूनियर
- "कोई भी चीज असंभव ही प्रतीत होती है, जब तक कि वह पूर्ण न हो जाए।" — नेल्सन मंडेला
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- आशा के प्रतीक के रूप में प्रकाश: विभिन्न सांस्कृतिक और दार्शनिक परंपराओं में प्रकाश को आशा, स्पष्टता, ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।
- ‘प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करना’ यह सुझाव देता है कि कठिन समय में भी संभावनाओं और विकास की दिशा पर ध्यान केंद्रित कर व्यक्ति समाधान एवं शांति की ओर अग्रसर हो सकता है।
- मनोवैज्ञानिक पक्ष: प्रतिकूल समय में पर ध्यान केंद्रित करना एक आशावादी दृष्टिकोण को अपनाने के समान है।
- 'सकारात्मक मनोविज्ञान' इस बात पर बल देता है कि आशावादिता समुत्थानशीलन (resilience) को बढ़ावा देती है और मानसिक दृढ़ता को पोषित करती है।
- स्टॉइकवाद और दृष्टिकोण की शक्ति: 'स्टॉइक दर्शन' यह सिखाता है कि हम बाह्य परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं कर सकते, किंतु अपनी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित कर सकते हैं।
- प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करना, इस स्टॉइक आदर्श के अनुरूप है, जो आंतरिक शांति और स्पष्टता को बनाए रखने का मार्ग दिखाता है, भले ही बाह्य परिस्थितियाँ विकट क्यों न हों।
- मार्कस ऑरेलियस के इस सिद्धांत में कि “हमें अपने विचारों और कर्मों पर नियंत्रण रखना चाहिये” — इसी विचारधारा की पुष्टि होती है कि विपत्ति के दौरान भी हमें ‘प्रकाश (आशा की किरण)’ मिल सकता है।
- महाभारत: महाभारत ऐसे अनेक प्रसंगों से परिपूर्ण है, जहाँ महान व्यक्तित्वों ने घोर अंधकार के दौरान भी प्रकाश पर ध्यान केंद्रित किया।
- युधिष्ठिर का उदाहरण उल्लेखनीय है, जिन्होंने व्यक्तिगत लाभ के स्थान पर धर्म का मार्ग चुना, भले ही इसके लिये उन्हें अत्यधिक कष्ट सहने पड़े। यह इस बात का प्रमाण है कि नैतिक अखंडता के प्रकाश पर केंद्रित रहने से अंततः विजय प्राप्त होती है।
- बौद्ध धर्म — 'स्मृतिशीलता' और 'प्रबोधन' का पथ: 'बौद्ध धर्म' में वर्तमान क्षण में प्रबोधन अर्थात् जागरूक रहने और 'स्मृतिशीलता' पर विशेष बल दिया गया है।
- यह सुझाव देता है कि अपनी चेतना और ‘आंतरिक ज्ञान के प्रकाश’ पर ध्यान केंद्रित करके, हम दुख से पार पा सकते हैं।
- 'आर्य अष्टांगिक मार्ग' व्यक्ति को अंधकार (अज्ञान और दुःख) से बाहर निकाल कर 'प्रबोधन' (प्रकाश) की ओर ले जाता है।
- ऐतिहासिक एवं नीतिगत उदाहरण:
- छत्रपति शिवाजी महाराज: मराठा साम्राज्य के दौरान उनका नेतृत्व मध्ययुगीन भारत के अंधकार से साहस, न्याय और धार्मिक शासन के प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- निरंतर युद्ध और प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान भी, लोगों की रक्षा करने और अपने सिद्धांतों को कायम रखने के प्रति उनका अटूट समर्पण अंधकार का सामना करने में समुत्थानशक्ति का उदाहरण है।
- रवींद्रनाथ टैगोर: रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन और कार्य व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय प्रतिकूलताओं के दौरान रचनात्मकता, दूरदर्शिता व आध्यात्मिकता का प्रकाश प्रतिबिंबित करता है।
- मानवतावादी मूल्यों के प्रति टैगोर की प्रतिबद्धता और वैश्विक संस्कृति में उनका योगदान, सामाजिक अंधकार से ऊपर उठने के लिये 'प्रबोधन' (प्रकाश) पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को दर्शाता है।
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर: उनका जीवन एक ऐसे व्यक्ति का सशक्त उदाहरण है कि किस प्रकार एक व्यक्ति जातीय भेदभाव और सामाजिक दमन के अंधकार से ऊपर उठ सकता है।
- उन्होंने सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए समानता, गरिमा और सामाजिक सुधार के प्रकाश पर बल दिया, जो जाति-आधारित भेदभाव के गहरे अंधकार को दूर कर सकता है।
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर: उनका प्रसिद्ध भाषण "I Have a Dream" संयुक्त राज्य अमेरिका में उस समय के नस्लीय अन्याय के कठिन समय में प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करने का एक स्थायी उदाहरण है।
- अफ्रीकी-अमेरिकियों को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उनके बावजूद उन्होंने आशा और समानता पर बल देते हुए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया तथा वे प्रगति का एक प्रकाशस्तंभ बन गए।
समकालीन उदाहरण:
- वैश्विक संकट: जिस तरह जापान हिरोशिमा की विभीषिका से उठकर तकनीकी प्रगति और शांति का प्रतीक बन गया, वैसे ही पूरी दुनिया ने विज्ञान, करुणा व सहयोग के माध्यम से COVID-19 महामारी का सामना किया।
- दोनों घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि सबसे कठिन समय में भी आशा, दृढ़ता और सामूहिक प्रयास के माध्यम से अद्भुत परिवर्तन संभव है।
- सोशल मीडिया आंदोलन: 'BlackLivesMatter' और 'MeToo' जैसे आंदोलन भी उन उदाहरणों में आते हैं, जहाँ व्यक्तियों और समुदायों ने व्यवस्था में व्याप्त अन्याय के बीच न्याय, समानता एवं मानवाधिकारों के प्रकाश पर ध्यान केंद्रित किया।
- व्यक्तिगत संघर्षों की कहानियाँ: एक कैंसर से उबरने वाला व्यक्ति जो जागरूकता फैलाता है, एक शिक्षक जो छात्रों को कठिनाइयों से उबारता है, या कोई व्यक्ति जो व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद अपने समुदाय के कल्याण के लिये कार्य करता है — ये सभी इस बात का प्रमाण हैं कि व्यक्तिगत विपत्ति में भी प्रकाश पर केंद्रित रहना स्वयं का तो कल्याण करता ही है, दूसरों के लिये भी प्रेरणा बन सकता है।
निष्कर्ष:
अंधकार से प्रकाश की यात्रा धैर्य, सत्य और नैतिक स्पष्टता के मार्ग का प्रतीक है। जैसा कि उपनिषदों में कहा गया है— "तमसो मा ज्योतिर्गमय !" अर्थात् "मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो!" यह उद्धरण विपत्ति के दौरान आशा और सद्गुण पर केंद्रित रहने की परिवर्तनकारी शक्ति पर बल देता है।
2. विपत्ति एक विकल्प देती है: या तो कटु बनो, या बेहतर बनो।
अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- "यदि आप नरक से गुज़र रहे हैं, तो चलते रहिये।" — विन्स्टन चर्चिल
- "हर कठिनाई के मध्य एक अवसर छिपा होता है।" — आल्बर्ट आइंस्टाइन
- "जो हमें मार नहीं सकता, वह हमें और मज़बूत बनाता है।" — फ्रेडरिक नीत्शे
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- मानव विकास में प्रतिकूलता की भूमिका: एपिक्यूरियनवाद यह सिखाता है कि यद्यपि जीवन में पीड़ा और कठिनाइयाँ अपरिहार्य हैं, फिर भी हम अपनी प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण रख सकते हैं।
- एपिक्यूरस ने इस बात पर बल दिया कि हमें दीर्घकालीन सुख, आत्म-नियंत्रण, चिंतन और मैत्री के माध्यम से आंतरिक शांति की तलाश करनी चाहिये, न कि कड़वाहट में फँसना चाहिये।
- यह दर्शन यह इंगित करता है कि यदि हम ध्यान केंद्रित करें कि वास्तव में हमें संतोष किससे मिलता है, तो हम विपरीत परिस्थितियों को भी आत्मविकास के अवसर में बदल सकते हैं।
- मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य: अभिघातजन्य विकास/पोस्ट-ट्रॉमैटिक ग्रोथ (PTG) एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है, जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति आघात या कठिन परिस्थितियों से गुज़रने के बाद पहले से अधिक मज़बूत और जीवन के प्रति अधिक गहरी कृतज्ञता के साथ उभर सकता है।
- यह विचार इस बात पर बल देता है कि कठिनाइयाँ जीवन को तोड़ भी सकती हैं और निखार भी सकती हैं, चुनाव करना तो व्यक्ति के हाथ में है।
- अरस्तू का 'विवेक आधारित नैतिक दर्शन': अरस्तू के अनुसार, साहस, धैर्य और दृढ़ता जैसी नैतिकताएँ कठिनाइयों का सामना करने से ही उत्पन्न होती हैं।
- यदि जीवन में कोई चुनौती न हो, तो इन गुणों का विकास असंभव होता है। इस दृष्टि से, प्रतिकूलता को मानवीय उत्कर्ष का एक आवश्यक तत्त्व माना गया है।
- जैन धर्म का दृष्टिकोण: जैन धर्म सिखाता है कि हमें अहिंसा (हिंसा न करना) और अपरिग्रह (संपत्ति व मोह से विरक्ति) के माध्यम से कठिनाइयों को पार करना चाहिये।
- प्रतिकूलता को कड़वाहट का कारण के बजाय आध्यात्मिक विकास के अवसर के रूप में देखा जाता है।
- भगवान महावीर ने अत्यधिक व्यक्तिगत कष्ट सहे, परंतु उनका उत्तर करुणा और संयम से दिया। उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत किया कि किस प्रकार चुनौतियों का सामना करुणा और सहनशीलता के साथ किया जा सकता है, जिससे आक्रोश की बजाय आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- सम्राट अशोक : कलिंग युद्ध की भयावहता को देखने के बाद, सम्राट महान ने हिंसा का त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया।
- उनके पश्चाताप और आत्मपरिवर्तन यात्रा उन्हें शांति, करुणा और जनकल्याण का अग्रदूत बना गई।
- राजा राज चोल प्रथम (चोल राजवंश): चोल राजवंश काल में राजा राज चोल प्रथम को बाह्य खतरों से अपने राज्य की रक्षा करने की चुनौती का सामना करना पड़ा।
- उनके सैन्य और प्रशासनिक सुधारों से चोल साम्राज्य का विस्तार हुआ, सांस्कृतिक उन्नति हुई तथा स्थापत्य कला की उपलब्धियाँ बढ़ीं।
- महात्मा गांधी: गांधीजी का जीवन व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिये प्रतिकूल परिस्थितियों का उपयोग करने की शक्ति का प्रमाण है।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान व्यक्तिगत एवं सामूहिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अहिंसा और सहनशीलता के साथ जवाब देने का विकल्प चुना, और अंततः भारत को स्वतंत्रता दिलाई।
- नेल्सन मंडेला: 27 वर्षों के कारावास के बाद, मंडेला कटुता से भरे हुए हो सकते थे, लेकिन इसके बजाय, उन्होंने क्षमा और सुलह का रास्ता चुना, जिससे दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद से शांतिपूर्ण ढंग से मुक्ति मिल सकी।
- उनका जीवन इस बात का गहरा प्रभाव दर्शाता है कि कड़वाहट पर काबू पाना और विकास का चुनाव करना व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर हो सकता है।
- फ्राँसीसी क्रांति: फ्राँसीसी क्रांति का उथल-पुथल भरा दौर एक ऐसे राष्ट्र का ऐतिहासिक उदाहरण है जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों (आर्थिक कठिनाई, सामाजिक असमानता और राजनीतिक दमन) को परिवर्तन के लिये प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल किया।
- यद्यपि इस क्रांति में हिंसा शामिल थी, लेकिन इसने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को भी जन्म दिया, जो आज भी लोकतांत्रिक समाजों में गूंजते रहते हैं।
समकालीन उदाहरण:
- LGBTQ+ अधिकारों के लिये संघर्ष: दुनिया भर में LGBTQ+ समुदायों को विश्वभर में भेदभाव, हिंसा और कानूनी अवरोधों जैसी गहन प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ा है। फिर भी, कई व्यक्तियों ने अपनी व्यक्तिगत संघर्षगाथाओं को सामूहिक आंदोलन में रूपांतरित किया है, जिससे अधिकारों और समानता हेतु वैश्विक स्तर पर पहल हुई है।
- प्राइड परेड जैसे आंदोलनों और समलैंगिक विवाह का समर्थन करने वाले संगठनों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रभाव डाला है।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (ISRO): सीमित संसाधनों के बावजूद, भारत के ISRO ने महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ अर्जित की हैं, जिनमें वर्ष 2013 में 'मंगलयान' (मार्स ऑर्बिटर मिशन) का प्रक्षेपण प्रमुख है, जिससे भारत मंगल की कक्षा में पहुँचने वाला एशिया का पहला देश बना।
- 'चंद्रयान' मिशनों, विशेषतः 'चंद्रयान-2', ने भारत की चंद्र अन्वेषण यात्रा को और अधिक उन्नत किया, यह दर्शाते हुए कि किस प्रकार नवाचार एवं दृढ़ता संसाधनों की सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय गौरव एवं तकनीकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
- व्यक्तिगत संघर्ष: रोज़मर्रा की जीवन में, लोग प्रायः स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, आर्थिक कठिनाइयों अथवा भावनात्मक पीड़ाओं के रूप में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हैं।
- उनकी प्रतिक्रिया — चाहे वह संघर्ष के समक्ष धैर्य एवं दृढ़ता प्रदर्शित करना हो या कड़वाहट से ग्रसित होना, उनके भविष्य की दिशा को निर्धारित करती है।
निष्कर्ष:
जैसा कि विक्टर फ्रैंकल ने कहा है, "जब हम किसी परिस्थिति को बदलने में असमर्थ होते हैं, तब हम स्वयं को बदलने की चुनौती स्वीकार करते हैं।"
कटुता या उत्कृष्टता के बीच का चयन सदैव हमारे हाथ में होता है और यदि हम प्रतिकूलता को आत्मविकास के उत्प्रेरक के रूप में अपनाएँ, तो हम कठिनाइयों से उबरकर अधिक सशक्त, विवेकशील एवं सहानुभूतिशील बन सकते हैं।