प्रश्न. खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, भारत के कई क्षेत्र अभी भी अविकसित हैं। भारत में खनिज संपदा और क्षेत्रीय विकास के बीच विरोधाभास पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
14 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
हल करने का दृष्टिकोण:
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खनिज संसाधनों की संपन्नता का विरोधाभास बताता है कि किस प्रकार संसाधन संपन्न क्षेत्र प्रायः न्यून आर्थिक विकास और कम मानव विकास का सामना करते हैं। भारत का खनिज क्षेत्र मध्य और पूर्वी राज्यों में फैला हुआ है, जो कोयला और लौह अयस्क उत्पादन में 60% से अधिक का योगदान देता है। कोयला और लौह अयस्क जैसे प्रचुर खनिज होने के बावजूद, वे गरीबी और अकुशल सार्वजनिक सेवाओं से जूझते रहते हैं। संसाधन संपदा और विकास के बीच यह अंतर प्रणालीगत शासन एवं संरचनात्मक मुद्दों को उजागर करता है।
विरोधाभास: अविकसितता के कारण:
पहल |
उद्देश्य एवं सीमाएँ |
जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) |
इसका उद्देश्य प्रभावित ज़िलों में स्थानीय विकास के लिये खनन रॉयल्टी का उपयोग करना है; हालाँकि, योजना के अकुशल कार्यान्वयन कारण 50% से अधिक धनराशि खर्च नहीं हो पाती या गलत तरीके से आवंटित हो जाती है। |
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) |
DMF फंड को स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास जैसी कल्याणकारी योजनाओं में लगाने का प्रयास किया जा रहा है; लेकिन इसकी निगरानी कमज़ोर है। |
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (PESA) अधिनियम, 1996 |
जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है; फिर भी राज्यों द्वारा इसका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं किया गया है। |
वन अधिकार अधिनियम, (FRA) 2006 |
वन-भूमि और संसाधनों पर जनजातीय अधिकारों को मान्यता दी गई है; लेकिन जागरूकता की कमी, दावों की उच्च अस्वीकृति दर और सहमति प्रक्रियाओं की अनदेखी इसकी प्रभावशीलता को कमज़ोर करती है। |
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) |
तेज़ी से विकास के लिये पिछड़े, प्रायः खनन प्रभावित ज़िलों को लक्ष्य बनाया गया है; फिर भी मानव विकास की तुलना में बुनियादी अवसंरचना पर अधिक ध्यान दिया गया है। |
संसाधन-समृद्ध अविकसितता के विरोधाभास को तोड़ने के लिये, एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है। सक्रिय जनजातीय समुदाय भागीदारी के साथ DMF फंड की विकेंद्रीकृत योजना यह सुनिश्चित कर सकती है कि संसाधन स्थानीय आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करें। पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन को सुदृढ़ करने से अधिक संधारणीय और जवाबदेह खनन प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय उद्योग की मांगों के साथ संरेखित लक्षित कौशल कार्यक्रम रोज़गार अंतराल की पूर्ति कर सकते हैं, यद्यपि ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और मोबाइल स्वास्थ्य एवं शिक्षा इकाइयों में निवेश दूरदराज़ के खनन प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं तक पहुँच में सुधार कर सकता है। साथ में, ये उपाय विरोधाभासी खनिज संपदा को समावेशी और संधारणीय विकास में बदल सकते हैं।