• प्रश्न :

    पुनीत एक ऊर्जावान और सक्रिय अधिकारी हैं, जो राज्य खेल परिषद के निदेशक पद पर कार्यरत हैं। उनका कार्य ज़मीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना, बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिये एथलीटों का निष्पक्ष चयन सुनिश्चित करना है।

    अपने कार्यकाल के दौरान, पुनीत को युवा एथलीटों और कोचों से प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन की चयन प्रक्रिया में व्यापक पक्षपात तथा भ्रष्टाचार की कई शिकायतें प्राप्त हुईं। आरोपों से पता चलता है कि राजनीतिक संबंधों और रिश्वत के कारण कई अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया, जबकि प्रतिभाशाली एथलीटों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि से, को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

    जाँच के दौरान, पुनीत को वरिष्ठ अधिकारियों, प्रभावशाली राजनेताओं और खेल महासंघ के सदस्यों की संलिप्तता वाले कदाचार के ठोस साक्ष्य मिलते हैं। जब वह अपने वरिष्ठों के सामने इस मुद्दे को उठाता है, तो उसे “दूसरी तरफ देखने” की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें शामिल व्यक्ति राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं। कुछ अधिकारियों ने पुनीत को चेतावनी दी कि यदि वह इस मुद्दे को उजागर करता है, तो उसके कॅरियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, उसे बार-बार तबादलों का सामना करना पड़ सकता है या प्रशासनिक रूप से हाशिये पर डाला जा सकता है।

    एथलीटों और उनके परिवारों ने न्याय एवं पारदर्शिता की मांग करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन तेज़ कर दिया है, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है। इस मुद्दे ने मीडिया का व्यापक ध्यान आकर्षित किया है, जिससे अधिकारियों पर कार्रवाई करने का काफी दबाव है। इस बीच, एक प्रसिद्ध पत्रकार पुनीत से संपर्क करता है, ताकि घोटाले को उजागर करने के लिये अंदरूनी जानकारी प्राप्त कर सके। हालाँकि पुनीत को एक दुविधा का सामना करना पड़ता है—यदि वे कदाचार के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, तो टीम चयन प्रक्रिया में विलंब हो सकता है, जिससे प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में देश की भागीदारी प्रभावित हो सकती है। दूसरी ओर, यदि वे निष्क्रिय रहते हैं, तो यह उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और जवाबदेही के सिद्धांतों से समझौता करेगा।

    प्रश्न:

    1. इस स्थिति में पुनीत को किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है?

    2. इस परिदृश्य में, पुनीत किन संभावित कदमों को अपना सकते हैं? उनकी नैतिक ज़िम्मेदारियों और व्यापक सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक दृष्टिकोण के लाभों और संभावित परिणामों का सम्यक मूल्यांकन कीजिये।

    3. खेल प्रशासन में पक्षपात और भ्रष्टाचार को रोकने तथा खिलाड़ियों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि वाले खिलाड़ियों, के लिये उचित अवसर सुनिश्चित करने के लिये कौन-से संस्थागत और ज़मीनी स्तर पर सुधार लागू किये जा सकते हैं?

    07 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय: 

    राज्य खेल परिषद के निदेशक पुनीत, एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन के लिये चयन प्रक्रिया में पक्षपात और भ्रष्टाचार से जुड़ी एक गंभीर नैतिक दुविधा का सामना कर रहे हैं। विश्वसनीय शिकायतें और कदाचार के ठोस प्रमाण मिलने के बावजूद, उन्हें इस मुद्दे को नजरअंदाज़ करने के लिये राजनीतिक दबाव तथा कॅरियर से संबंधित धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।

    इस बीच, जनता में आक्रोश और मीडिया की जाँच तीव्र हो गई है तथा योग्य एथलीटों के लिये पारदर्शिता एवं न्याय की मांग की जा रही है। 

    मुख्य भाग: 

    1. इस स्थिति में पुनीत को किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है?

    • ईमानदारी बनाम वरिष्ठों के साथ अनुपालन
      • पुनीत का कर्त्तव्य है कि वह खिलाड़ियों के चयन में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखें। हालाँकि, उनके वरिष्ठ अधिकारी राजनीतिक प्रभाव के कारण उन पर इस गड़बड़ी को नज़रअंदाज़ करने का दबाव बना रहे हैं।
      • उनकी सलाह मानने का अर्थ होगा अपनी निष्ठा से समझौता करना, जबकि इसका विरोध करना व्यक्तिगत और पेशेवर परिणामों को आमंत्रित कर सकता है, जैसे कि तबादला या हाशिये पर डाला जाना।
    • एथलीटों के लिये न्याय बनाम राजनीतिक दबाव
      • योग्य उम्मीदवारों को अवसर से वंचित किया जा रहा है, जो निष्पक्षता और योग्यता के सिद्धांतों के विपरीत है।
      • भ्रष्टाचार को उजागर करने से अन्याय को दूर किया जा सकता है, लेकिन इससे शक्तिशाली राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों को चुनौती भी मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप संस्थागत विरोध उत्पन्न हो सकता है।
    • सार्वजनिक हित बनाम राष्ट्रीय प्रतिष्ठा
      • भ्रष्टाचार पर ध्यान देने से खेल प्रणाली में दीर्घकालिक सुधार और विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी, जिसमें भविष्य के एथलीटों का भी लाभ निहित है।
      • हालाँकि, तत्काल कार्रवाई करने से चयन प्रक्रिया में विलंब हो सकता है, , जिससे भारत को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में भाग लेने से रोका जा सकता है। इसका राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और एथलीटों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।  
    • मुखबिरी बनाम संगठनात्मक निष्ठा
      • पत्रकारों को अंदरूनी जानकारी देने से भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकती है, जिससे सकारात्मक प्रणालीगत बदलाव हो सकते हैं।
      • हालाँकि, इससे आधिकारिक गोपनीयता के मानदंडों का उल्लंघन भी हो सकता है और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है, जिससे उनके कॅरियर की संभावनाओं को नुकसान पहुँच सकता है।
    • अल्पकालिक परिणाम बनाम दीर्घकालिक सुधार
      • जिम्मेदार लोगों को दंडित करने से भविष्य में भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है, लेकिन इसमें समय लग सकता है, जिसका असर वर्तमान एथलीटों पर पड़ेगा।
      • अल्पकालिक सुविधा के लिये इस मुद्दे की अनदेखी करने से प्रणालीगत भ्रष्टाचार जारी रहेगा, जिससे दीर्घकालिक तौर पर खेल क्षेत्र को नुकसान होगा।

    2.इस परिदृश्य में, पुनीत किन संभावित कदमों को अपना सकते हैं? उनकी नैतिक ज़िम्मेदारियों और व्यापक सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक दृष्टिकोण के लाभों और संभावित परिणामों का सम्यक मूल्यांकन कीजिये।

    1. भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना और आधिकारिक कार्रवाई शुरू करना
      • शामिल कदम: भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों या केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के पास औपचारिक शिकायत दर्ज करना।
        • चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करना।
        • ईमानदार वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर संस्थागत सहायता ली जानी चाहिये।
      • लाभ:
        • खेल प्रशासन में ईमानदारी, निष्पक्षता और योग्यता को कायम रखा जा सकता है।
        • इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश जाएगा तथा भविष्य में इस तरह की गलत हरकतों पर रोक लगेगी।
        • यह प्रणाली में खिलाड़ियों का विश्वास स्थापित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि सर्वोत्तम प्रतिभा का चयन किया जाए।
      • नतीजे: 
        • इससे कॅरियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है (बार-बार स्थानांतरण, हाशिये पर रहना या पेशेवर अलगाव)।
        • संस्थागत प्रतिरोध का खतरा, क्योंकि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति जाँच को दबाने का प्रयास कर सकते हैं।
        • चयन प्रक्रिया में विलंब हो सकता है, जिससे आयोजन में राष्ट्रीय भागीदारी प्रभावित हो सकती है।
    2. तत्काल टकराव के बिना आंतरिक सुधार की मांग करना 
      • शामिल कदम: अपने अधिकार क्षेत्र में एक पारदर्शी समीक्षा प्रक्रिया का संचालन किया जाना।
        • निष्पक्ष चयन के लिये स्वतंत्र निरीक्षण समितियाँ स्थापित की जानी चाहिये।
        • राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने के लिये दीर्घकालिक नीतिगत परिवर्तन का प्रस्ताव रखा जाना चाहिये।
      • लाभ:
        • यह एक व्यावहारिक, कम टकरावपूर्ण दृष्टिकोण की अनुमति देता है, जिससे प्रतिक्रिया का जोखिम कम हो जाता है।
        • इससे तत्काल व्यवधान के बिना प्रणालीगत सुधार की नींव रखी जा सकती है।
        • टीम चयन में निरंतरता सुनिश्चित की जा सकती है, जिससे भारत की अयोग्यता का जोखिम न्यूनतम हो जाएगा।
      • नतीजे:
        • भ्रष्ट अधिकारियों को तत्काल दंडित नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें व्यवस्था में बने रहने दिया जाता है।
        • जिन एथलीटों के साथ अन्याय हुआ है, उन्हें अल्पावधि में न्याय नहीं मिल सकता है।
    3. मीडिया को जानकारी लीक करके भ्रष्टाचार को उजागर करना 
      • शामिल कदम: भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये किसी प्रतिष्ठित पत्रकार को साक्ष्य उपलब्ध कराया जाना।
        • अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिये जन दबाव का प्रयोग किया जाना।
      • लाभ:
        • पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, प्रणालीगत सुधारों पर बल देता है।
        • जनता और मीडिया का समर्थन पुनीत को व्यक्तिगत प्रतिशोध से बचा सकता है।
      • नतीजे:
        • इससे आधिकारिक गोपनीयता मानदंडों का उल्लंघन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पुनीत के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
        • इस मुद्दे पर राजनीतिक ध्रुवीकरण हो सकता है, जिससे प्रशासनिक गतिरोध उत्पन्न हो सकता है।
        • चयन प्रक्रिया रुक सकती है, जिससे भारत की भागीदारी खतरे में पड़ सकती है।
    4. वरिष्ठों की सलाह मानकर समस्या को नज़रअंदाज़ करना 
      • शामिल कदम: मौन रहना या मौजूदा भ्रष्ट प्रथाओं का अनुपालन करना।
        • राष्ट्रीय हित और संगठनात्मक निष्ठा को प्राथमिकता देकर निष्क्रियता को उचित ठहराया जाना।
      • लाभ:
        • व्यक्तिगत और व्यावसायिक जोखिम से बचा जा सकता है।
        • इस आयोजन में भारत की निर्बाध भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।
        • पुनीत की स्थिति को बरकरार रखा जा सकता है, जिससे उन्हें बाद में सुधारों के लिये काम करने की अनुमति मिल सकती है।
      • नतीजे:
        • ईमानदारी और न्याय के नैतिक सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।
        • इससे भ्रष्टाचार जारी रह सकती है, जिससे योग्य खिलाड़ियों को उनके अवसर नहीं मिल पाएंगे।
        • खेल प्रशासन में जनता का विश्वास खत्म हो सकता है।
    5. सुधार को व्यवहारवाद के साथ संतुलित करना – एक मध्यम मार्ग दृष्टिकोण
      • शामिल कदम: तत्काल आंतरिक समीक्षा करना और जहाँ संभव हो, गलत चयनों को सही करना।
        • टीम चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ने देना, लेकिन स्वतंत्र जाँच के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
        • जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये घटना के बाद भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकारियों को एक गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
      • लाभ:
        • दीर्घकालिक सुधार के लिये कार्य करते हुए अल्पकालिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।
        • निष्पक्षता को कायम रखते हुए अनावश्यक राजनीतिक टकराव से बचा जा सकता है। 
        • यह प्रणालीगत परिवर्तन को बढ़ावा देते हुए पुनीत के कॅरियर के लिये जोखिम को कम करता है।
      • नतीजे:
        • यह सभी भ्रष्टाचार को तुरंत उजागर नहीं करता है, जिससे कुछ दोषी अधिकारी अस्थायी रूप से दण्ड से बच सकते हैं।
        • राजनीतिक प्रतिशोध को रोकने के लिये सावधानीपूर्वक निपटने की आवश्यकता है।

    सबसे अनुकूल कार्यवाही: 

    सबसे संतुलित दृष्टिकोण मध्य मार्ग है (विकल्प 5 जो विकल्प 2 के कुछ हिस्सों को आत्मसात करता है)— आयोजन को बाधित किये बिना चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और साथ ही साथ दीर्घकालिक भ्रष्टाचार विरोधी सुधारों की शुरुआत करना।


    3. खेल प्रशासन में पक्षपात और भ्रष्टाचार को रोकने तथा खिलाड़ियों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि वाले खिलाड़ियों, के लिये उचित अवसर सुनिश्चित करने के लिये कौन-से संस्थागत और ज़मीनी स्तर पर सुधार लागू किये जा सकते हैं?

    संस्थागत स्तर पर सुधार (प्रणालीगत अधोगामी परिवर्तन)

    • पारदर्शी एवं योग्यता-आधारित चयन: निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये स्वतंत्र चयन पैनल और लाइव-स्ट्रीम मूल्यांकन।
    • भ्रष्टाचार विरोधी एवं मुखबिर संरक्षण: खेल सत्यनिष्ठा आयोग की स्थापना करना, मुखबिर सुरक्षा उपायों को लागू करना तथा भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर दंड लगाना।
    • स्वतंत्र निगरानी एवं शासन: कार्यकाल सीमा लागू करना, महासंघों के लिये RTI अनुपालन अनिवार्य करना तथा राजनीतिक हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करना।
    • वित्तीय एवं अवसंरचना सहायता: राष्ट्रीय खेल छात्रवृत्ति कोष, CSR के माध्यम से अनिवार्य कॉर्पोरेट प्रायोजन तथा प्रदर्शन आधारित वित्तीय सहायता।
    • कानूनी एवं नैतिक कार्यढाँचा: खेल नैतिकता चार्टर को लागू करना तथा विवाद समाधान के लिये त्वरित मध्यस्थता अदालतों की स्थापना करना।

    ज़मीनी स्तर पर सुधार (एथलीटों का उर्ध्वगामी सशक्तीकरण)

    • सार्वभौमिक खेल अभिगम: 'एक जिला, एक खेल केंद्र' पहल, मोबाइल प्रशिक्षण इकाइयाँ, और ज़मीनी स्तर पर स्थानीय प्रतिभाओं की खोज़ (साथ ही अन्य खेलों पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित करना)।
    • शिक्षा में एकीकरण: स्कूलों में अनिवार्य खेल अवधि, योग्यता आधारित विश्वविद्यालय खेल कोटा और संरचित जमीनी स्तर पर कोच प्रशिक्षण।
    • महिला एवं अल्पसंख्यक समावेशन: विशिष्ट कोचिंग केंद्र, महिला एथलीटों के लिये वित्तीय एवं सामाजिक सहायता तथा ST/SC/OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के लिये विशेष कार्यक्रम।
    • डिजिटल एवं तकनीकी सुधार: पारदर्शिता के लिये राष्ट्रीय खेल प्रतिभा पोर्टल, AI-आधारित प्रदर्शन विश्लेषण और ब्लॉकचेन-आधारित एथलीट रिकॉर्ड।

    निष्कर्ष: 

    पुनीत को व्यावहारिकता और राष्ट्रीय हित के बीच संतुलन बनाते हुए ईमानदारी, निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखना चाहिये। एक संतुलित दृष्टिकोण: तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करना, एथलीट अधिकारों की रक्षा करना और दीर्घकालिक सुधार शुरू करना खेल प्रशासन में विश्वास स्थापित करने में मदद करेगा।