• प्रश्न :

    प्रश्न: “नैतिक साहस के लिये अक्सर संस्थागत निष्ठा और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बनाना या चयन करना आवश्यक होता है।” नौकरशाही नैतिकता के संदर्भ में इस विचार पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    02 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नैतिक साहस को परिभाषित करके उत्तर दीजिये।
    • संस्थागत निष्ठा और सार्वजनिक हित में अंतर स्पष्ट कीजिये।
    • संस्थागत निष्ठा के बजाय सार्वजनिक हित के चयन में चुनौतियों की चर्चा करते हुए प्रशासनिक नैतिकता में नैतिक साहस के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
    • संस्थागत निष्ठा और सार्वजनिक हित में संतुलन के उपाय बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    नैतिक साहस नैतिक रूप से कार्य करने और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने की क्षमता है, भले ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़े। लोक सेवकों के लिये, इसमें प्रायः संगठनात्मक मानदंडों और आदेशों को बनाए रखने वाली संस्थागत निष्ठा तथा सार्वजनिक हित के बीच संघर्ष शामिल होता है, जो सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देता है।

    मुख्य भाग:

    संस्थागत निष्ठा और सार्वजनिक हित

    • संस्थागत निष्ठा: संगठन के नियमों, नीतियों और निर्देशों के प्रति निष्ठा।
      • उदाहरण: एक लोक सेवक/अधिकारी व्यक्तिगत आपत्तियों के बावजूद सरकारी आदेशों का सख्ती से पालन करता है।
    • सार्वजनिक हित: सामाजिक कल्याण को अधिकतम करने तथा न्याय, निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जाने वाली कार्रवाई।
      • उदाहरण: सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा के लिये किसी सिविल सेवक द्वारा एक सरकारी योजना में भ्रष्टाचार को उजागर करना।
    • दोनों के बीच संघर्ष: नैतिक दुविधाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब संस्थागत निष्ठा जनता के कल्याण के विपरीत होती है।
      • उदाहरण: व्यावसायिक परिणामों के जोखिम के बावजूद संस्थागत कदाचारों पर मुखबिरी करना।

    संस्थागत निष्ठा के बजाय सार्वजनिक हित को चुनने में चुनौतियाँ

    • व्यावसायिक परिणामों का जोखिम: संस्थागत आदेशों के विरुद्ध कार्य करने पर निलंबन, पद-अवनति या उत्पीड़न हो सकता है।
      • उदाहरण: राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इंजीनियर सत्येंद्र दुबे को भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण निशाना बनाया गया।
    • वरिष्ठों का दबाव: नौकरशाहों को आदेशों का पालन करने के लिये दबाव का सामना करना पड़ सकता है, भले ही वह अनैतिक हो।
      • उदाहरण: वाटरगेट कांड ने प्रशासन में निहित नैतिक संघर्ष को उजागर किया।
    • नियमों में अस्पष्टता: संस्थागत संरचना में नैतिक सीमाओं को हमेशा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता है, जिससे निर्णय लेना जटिल हो जाता है।
      • उदाहरण: मुखबिर के संरक्षण का अभाव प्रायः नैतिक कार्यों में बाधा डालता है।
    • सामाजिक और राजनीतिक परिणाम: संस्थागत मानदंडों के विरुद्ध कार्य करने पर राजनीतिक या सामाजिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
      • उदाहरण: कथित ‘सत्ता-विरोधी’ कार्यों के विरुद्ध सार्वजनिक विरोध या आलोचना।

    प्रशासनिक नैतिकता में नैतिक साहस का महत्त्व

    • सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा: सार्वजनिक हित को बनाए रखने से सार्वजनिक धन और संसाधनों का दुरुपयोग रोका जाता है।
      • उदाहरण: हरियाणा में भूमि आवंटन में अनियमितताओं को उजागर करने के लिये अशोक खेमका का प्रयास।
    • पारदर्शिता को बढ़ावा देना: नैतिक कार्य जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं और संस्थाओं में जनता का विश्वास बढ़ाते हैं।
      • उदाहरण: IAS अधिकारी आर्मस्ट्रांग पाम ने संस्थागत विलंब के बावजूद जनजातीय कल्याण के लिये एक सड़क परियोजना के लिये जन-वित्तपोषण किया।
    • लोकतांत्रिक मूल्यों को दृढ़ करना: सार्वजनिक हित में कार्य करने से निष्पक्षता, न्याय और समानता को बल मिलता है।
      • उदाहरण: यह सुनिश्चित करना कि कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत सीमांत समुदायों को उनके अधिकार मिलें।
    • मिसाल कायम करना: नैतिक साहस के कार्य भविष्य के लोक सेवकों को अनुपालन की तुलना में नैतिकता को प्राथमिकता देने के लिये प्रेरित करते हैं।
      • उदाहरण: दिल्ली मेट्रो परियोजना में पेशेवर ईमानदारी के प्रति ई. श्रीधरन की प्रतिबद्धता।

    संस्थागत निष्ठा और सार्वजनिक हित में संतुलन

    • लोक सेवकों के लिये नैतिक प्रशिक्षण: प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नैतिक दुविधाओं के समाधान पर मामले के अध्ययन को शामिल करना।
    • व्हिसल-ब्लोअर संरक्षण को दृढ़ करना: संस्थागत कदाचार को उजागर करने वालों के लिये सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देना: नेताओं को संस्थागत लक्ष्यों को लोक कल्याण के साथ संरेखित करने के लिये प्रोत्साहित करना।
      • उदाहरण: स्कैंडिनेवियाई देशों में सुशासन प्रथाएँ।
    • पारदर्शी तंत्र का निर्माण: असहमति को दंडित किये बिना सार्वजनिक हित के अनुरूप निर्णय सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत सुधार।

    निष्कर्ष:

    लोक प्रशासन में नैतिक साहस के लिये प्रायः संस्थागत निष्ठा और जनहित के बीच कठिन चुनाव करना पड़ता है। नैतिक लोक सेवकों को संस्थागत व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिये प्रयास के साथ जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए इस तनाव से निपटना चाहिये। नैतिक साहस को बढ़ावा देकर, प्रशासन वास्तव में व्यापक कल्याण सुनिश्चित कर सकता है।