• प्रश्न :

    यद्यपि 1848 की क्रांतियाँ सफल नहीं हो पाई थीं, फिर भी ये यूरोप के इतिहास के लिये ऐतिहासिक साबित हुईं। चर्चा कीजिये।

    08 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा- 

    • 1848 की क्रांतियों का परिचय दें।
    • इन क्रांतियों के महत्त्व को स्पष्ट करें।

    यूरोप के इतिहास में सन् 1848  को ‘क्रांतियों का वर्ष’ कहा जाता है। क्रांति की इस शृंखला का आरंभ फ्राँस से हुआ। इन क्रांतियों के कारणों में पिछले दो दशकों  के आर्थिक परिवर्तन, परंपरागत यूरोपीय समाज का विघटन, सरकारों द्वारा सुधारों का अनसुना करना, उदारवादी विचारों की प्रगति आदि शामिल थे।

    आस्ट्रिया से मेटरनिख की बेदखली के बावज़ूद प्रतिक्रियावादी शक्तियों से प्रगतिशील उदारवाद एवं राष्ट्रवाद पराजित हो चुका था। अब प्रतिक्रियावादी सत्ता के केंद्र बिंदु में श्वार्जेनबर्ग था। सभी क्षेत्रों में ये शक्तियाँ विजयी हुईं।

    1848 की क्रांति के असफल होने के बावज़ूद इसने यूरोप में अनेक सुधारों को बनाए रखा:

    • क्रान्ति के दौरान आस्ट्रिया में अर्द्ध-दास-व्यवस्था को नष्ट कर दिया गया था, जिसे पुनः आरंभ नहीं किया गया।
    • यूरोप के कई देशों यथा- स्विटज़रलैंड, सार्डीनिया, हॉलैंड आदि देशों में किसी-न-किसी रूप में संवैधानिक शासन बना रहा।
    • स्विट्ज़रलैंड में 1848 की क्रांति के प्रभाव में जो संविधान बना उसके माध्यम से वहाँ एक प्रजातांत्रिक एवं संघीय गणतंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ।
    • इसने लोगों को मतदान का अधिकार प्रदान किया। यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं था। यद्यपि प्रशा के फ्रेडरिक विलियम ने सार्वभौमिक मताधिकार की घोषणा की थी, किंतु इस व्यवस्था के द्वारा भी गरीबों के प्रतिनिधित्व को उचित स्थान नहीं मिल सका।

    उपर्युक्त उपलब्धियों के आलोक में यह कहा जा सकता है कि 1848 में यूरोप की क्रांतियाँ भले ही अपने चरम परिणति को प्राप्त करने में असफल रही हों, किंतु जिन उदारवादी एवं राष्ट्रवादी भावनाओं के आधार पर इसकी शुरुआत हुई थी, उसे अंतिम रूप से नष्ट नहीं किया जा सका। उदारवादी प्रवृतियाँ आगे चलकर उस गहराई से नहीं उभरी लेकिन राष्ट्रवादी सोच एक ‘टाइम बम’ के रूप में स्थापित हो गया, जिसने 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध एवं 20वीं सदी में वर्गीय घृणा, अखिल जर्मनवाद, फासीवाद, कार्ल-मार्क्स का दर्शन आदि परिणामों के रूप में ज़ोरदार धमाका किया।