• प्रश्न :

    प्रश्न: कोरिऑलिस बल न केवल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण में बल्कि उनके मार्ग, गति और संरचना को प्रभावित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    11 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • कोरिऑलिस बल को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत कीजिये। 
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के व्यवहार और विशेषताओं को निर्धारित करने में कोरिऑलिस बल की भूमिका बताइये। 
    • उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय

    कोरिऑलिस बल एक प्रत्यक्ष बल है जो पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न होता है, जिसके कारण गतिशील वस्तुएँ, जैसे वायु राशियाँ या जल धाराएँ, उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित हो जाती हैं।

    • यह बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय और महासागरीय परिसंचरण पैटर्न को आकार देने में महत्त्वपूर्ण है तथा उष्णकटिबंधीय चक्रवातों जैसी मौसम प्रणालियों की गति को प्रभावित करता है।

    मुख्य भाग:

    उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के व्यवहार और विशेषताओं को निर्धारित करने में कोरिऑलिस बल की भूमिका: 

    चक्रवात निर्माण में भूमिका: 

    • घूर्णन का प्रारंभ: कोरिऑलिस बल चक्रवातों के निर्माण के लिये आवश्यक घूर्णन प्रदान करता है। 
      • इसके बिना, निम्न दाब वाले क्षेत्रों के निकट बहने वाली पवनें सीधे केंद्र की ओर प्रवाहित होंगी, जिससे घूर्णनशील चक्रवात तंत्र का विकास बाधित होगा।
      • उदाहरण के लिये, उष्णकटिबंधीय चक्रवात भूमध्य रेखा के समीप (5° अक्षांश के भीतर) नहीं बनते हैं, जहाँ कोरिऑलिस बल नगण्य है, क्योंकि चक्रवात निर्माण के लिये स्पिन/प्रचक्रण अपर्याप्त होता है।  
    • चक्रवात की संरचना और घूर्णन
      • पवनों का विक्षेपण: कोरिऑलिस प्रभाव निम्न-दाब केंद्र के चारों ओर पवनों को विक्षेपित करता है, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त घूर्णन तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त घूर्णन उत्पन्न होता है।

    • चक्रवात की तीव्रता और हवा की गति पर प्रभाव:
      • वायु परिसंचरण गति: कोरिऑलिस बल चक्रवात के केंद्र के चारों ओर घूर्णी प्रवाह को बनाए रखकर उच्च वायु गति को बनाए रखने में सहायता करता है।
      • ऊर्जा संतुलन पर प्रभाव: कोरिऑलिस प्रभाव केंद्राभिमुख बलों को संतुलित करने में मदद करता है, जो तंत्र को गर्म महासागरीय जल से कुशलतापूर्वक ऊर्जा अवशोषित करने की अनुमति देता है, जिससे चक्रवात तीव्र हो जाता है।
    • चक्रवात विघटन पर प्रभाव:
      • उष्णकटिबंधीय अतिरिक्त संक्रमण: जैसे-जैसे चक्रवात उच्च अक्षांशों की ओर बढ़ते हैं, कोरिऑलिस बल बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रायः संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं, क्योंकि चक्रवात उष्णकटिबंधीय अतिरिक्त तंत्रों में संक्रमण करते हैं। 
      • इस प्रक्रिया के कारण चक्रवात विघटित हो जाते हैं या अपनी विशिष्ट उष्णकटिबंधीय विशेषताएँ खो देते हैं।

    निष्कर्ष: 

    कोरिऑलिस बल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण, व्यवहार और विक्षेपण पथ के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो उन्हें प्रारंभ से लेकर क्षय होने तक प्रभावित करता है। घूर्णन प्रारंभ करके, पथों को नियंत्रित करके और हवा की गतिशीलता को प्रभावित करके, यह इन शक्तिशाली तूफानों के चक्र तथा विशेषताओं को आकार देता है।