• प्रश्न :

    भारत में पंचायती राज संस्थाएँ अप्रभावी निष्पादन के कारण अपेक्षित परिणाम देने में विफल रही हैं। अप्रभावी निष्पादन के कारणों की पड़ताल करते हुए सुधार के तर्कसंगत उपाय सुझाइये।

    11 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • भारत में पंचायती राज संस्थाओं के अप्रभावी निष्पादन के कारण।
    • अपेक्षित परिणाम देने में विफल क्यों?
    • सुधार के तर्कसंगत उपाय।

    भारत में ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को स्थापित करने एवं विकास की प्रक्रिया को समावेशी बनाने के दृष्टिकोण से सन् 1992 में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया किंतु निम्नस्तरीय निष्पादन के कारण ये अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाई है। इसके निम्नलिखित कारण रहेः

    • किसी भी योजना या नीति को संचालित करने के लिये संसाधन और आधारभूत संरचना की आवश्यकता होती है। राज्यों द्वारा फंड एवं कार्यों का पर्याप्त हस्तांतरण नहीं किये जाने से पंचायती राज संस्थाएँ संविधान प्रदत्त कार्य करने में सक्षम नहीं हैं।
    • भारत में बड़ी मात्रा में पंचायतों के पास अपने भवन, पूर्णकालिक सचिव, नियोजन हेतु आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। पंचायत प्रतिनिधियों का कम शिक्षित होना व जागरूकता का अभाव भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
    • किसी भी संस्था को मूर्तरूप प्रदान करने के लिये उसका आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। ऐसे में पंचायती राज संस्थाओं का सरकारी निधि पर निर्भर होना भी विफलता का कारण है।
    • पंचायती राज संस्थाओं द्वारा अपने वित्तीय अधिकारों के प्रयोग के प्रति अनिच्छा प्रदर्शित करना।
    • इसके अतिरिक्त पंचायत के प्रतिनिधियों का अपने पंचायत के विकास के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित नहीं करना भी इसके निष्प्रभावी होने के कारणों में से एक है।

    पंचायती राज संस्था को प्रभावी बनाने के लिये उसे संसाधनों, अवसंरचनात्मक सुविधाओं व डिजिटल तथा आधुनिक सूचना तकनीक से लैश करना आवश्यक है। साथ ही वित्तीय अधिकारों से युक्त कर और ग्राम पंचायत अधिनियम बनाकर इनकी जवाबदेहिता भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण व परिणाम आधारित फीडबैक एवं पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों का विशेषज्ञों द्वारा सामाजिक अंकेक्षण कराकर इनकी कार्यप्रणाली को सुदृढ़ किया जा सकता है।