• प्रश्न :

    देखभाल नैतिकता (Ethics of Care)' क्या है? पारंपरिक नैतिक सिद्धांतों के साथ इसकी तुलना करते हुए लोक प्रशासन में इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    08 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • देखभाल नैतिकता को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • पारंपरिक नैतिक सिद्धांतों के साथ इसकी तुलना कीजिये।
    • लोक प्रशासन में इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    देखभाल नैतिकता, नैतिकता के प्रति एक नारीवादी दृष्टिकोण है जिसमें प्रतिक्रिया, संबंधों और ज़िम्मेदारियों के महत्त्व पर बल दिया जाता है। 1980 के दशक में मनोवैज्ञानिक कैरोल गिलिगन द्वारा विकसित इस सिद्धांत में अमूर्त नियमों और व्यक्तिगत अधिकारों के बजाय प्रासंगिक संवेदनशीलता तथा देखभाल संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

    मुख्य भाग:

    पारंपरिक नैतिक सिद्धांतों के साथ तुलना:

    • उपयोगितावाद: इसमें अधिकतम लोगों के अधिकतम कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
      • देखभाल नैतिकता: समग्र परिणामों के बजाय संबंधों और व्यक्तिगत ज़रूरतों की गुणवत्ता पर ज़ोर दिया जाता है।
      • उदाहरण: सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में उपयोगितावाद के तहत अधिकतम लोगों का कल्याण करने के क्रम में कुछ लोगों के बलिदान को उचित ठहराया जा सकता है, जबकि देखभाल नैतिकता के तहत प्रभावित लोगों के विशिष्ट संबंधों और संदर्भों पर विचार किया जाएगा।
    • धर्मशास्त्रीय नैतिकता (Deontological Ethics): इसके तहत सार्वभौमिक नैतिक नियमों एवं कर्त्तव्यों पर बल दिया जाता है (उदाहरण के लिये, कांट की वर्गीकृत अनिवार्यता)।
      • देखभाल नैतिकता: सार्वभौमिक सिद्धांतों से ज़्यादा किसी स्थिति में शामिल विशेष संदर्भ और संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है।
      • उदाहरण: धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोण में हमेशा सच बोलने को प्राथमिकता दी जा सकती है, जबकि देखभाल नैतिकता जैसे दृष्टिकोण में किसी विशिष्ट संदर्भ में कमज़ोर व्यक्ति की रक्षा होने पर जानकारी को छुपाने पर विचार किया जा सकता है।

    लोक प्रशासन में महत्त्व:

    • व्यक्तिगत दृष्टिकोण: देखभाल नैतिकता के तहत सार्वजनिक प्रशासकों को एक ही नीति लागू करने के बजाय व्यक्तियों एवं समुदायों की विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
      • उदाहरण: सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में कठोर पात्रता मानदंड रखने के बजाय प्रशासकों को व्यक्तिगत मामलों पर अधिक समग्र रूप से विचार करने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है।
    • संबंध-निर्माण: इसमें सरकार और नागरिकों के बीच सकारात्मक संबंध निर्माण के महत्त्व पर ज़ोर दिया जाता है।
      • उदाहरण: पुलिस विभाग द्वारा ऐसी सामुदायिक पुलिसिंग रणनीतियों को अपनाना, जो स्थानीय निवासियों के साथ विश्वास एवं समझ को विकसित करने पर केंद्रित हों।
    • सहानुभूति एवं भावनात्मक बुद्धिमत्ता: देखभाल नैतिकता के तहत निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को महत्त्व दिया जाता है।
      • उदाहरण: आपदा प्रबंधन में प्रभावित आबादी की न केवल शारीरिक ज़रूरतों पर विचार करना बल्कि उनके भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक कल्याण पर भी विचार करना।
    • प्रासंगिक निर्णय लेना: इससे प्रशासक विभिन्न हितधारकों के संदर्भ में अपने निर्णयों के व्यापक संदर्भ एवं संभावित प्रभावों पर विचार करने हेतु प्रोत्साहित होते हैं।
      • उदाहरण: शहरी नियोजन में न केवल दक्षता और लागत पर विचार करना बल्कि यह भी देखना कि होने वाले परिवर्तन सामुदायिक रीतियों एवं स्थानीय परंपराओं को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं।
    • हाशिये पर स्थित समूहों पर ध्यान देना: देखभाल नैतिकता के तहत अक्सर पारंपरिक रूप से हाशिये पर स्थित या कमज़ोर समूहों की ज़रूरतों पर प्रकाश डाला जाता है।
      • उदाहरण: सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को बुज़ुर्गों एवं विकलांग उपयोगकर्त्ताओं की सुलभता पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिज़ाइन करना, भले ही यह सबसे किफायती विकल्प न हो।
    • दीर्घकालिक संबंध प्रबंधन: इससे सामाजिक संबंधों एवं सामुदायिक संरचनाओं पर नीतियों के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में विमर्श को प्रोत्साहन मिलता है।
      • उदाहरण: शिक्षा नीति में न केवल परीक्षा के अंकों पर विचार करना बल्कि यह भी ध्यान देना कि स्कूल कार्यक्रम परिवार की गतिशीलता एवं सामुदायिक भागीदारी को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।

    निष्कर्ष:

    देखभाल नैतिकता लोक प्रशासन में पारंपरिक नैतिक ढाँचों की पूरक है। संबंधों, विविध संदर्भों और जवाबदेहिता पर बल देने से अधिक प्रभावी शासन का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। हालाँकि सार्वजनिक सेवा वितरण में निष्पक्षता तथा दक्षता सुनिश्चित करने के लिये इस दृष्टिकोण को अन्य नैतिक विचारों के साथ संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है।