• प्रश्न :

    आप एक ऐसे शहर के पुलिस अधीक्षक हैं, जहाँ एक प्रमुख धार्मिक उत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस आयोजन में सीमित आधारभूत अवसंरचना वाले पवित्र स्थल पर दस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है। सावधानीपूर्वक योजना बनाने के बावजूद, मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पास तीर्थयात्रियों की अचानक वृद्धि के कारण भगदड़ मच गई। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि बहुत अधिक जनहानि तथा कुछ लोग घायल हुए हैं।

    मंदिर परिसर के आस-पास की संकरी गलियाँ भीड़भाड़ से भरी हुई हैं, जिससे आपातकालीन वाहनों का क्षेत्र तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है। सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहें तेज़ी से फैल रही हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भगदड़ की वजह आतंकवादी हमला था, जिससे लोगों में दहशत और सांप्रदायिक तनाव की संभावना बढ़ गई। अगले कुछ घंटों में आपकी कार्रवाई आगे की दुर्घटनाओं तथा स्थिति को और अधिक बढ़ने से रोकने में निर्णायक होगी।

    1. इस मामले में शामिल प्रमुख हितधारकों की पहचान कीजिये।
    2. आगे की दुर्घटनाओं को रोकने और भगदड़ के बाद की स्थिति को संभालने के लिये तत्काल क्या उपाय किये जाने चाहिये?
    3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और बड़ी सार्वजनिक सभाओं में सुरक्षा बढ़ाने के लिये लागू की जाने वाली दीर्घकालिक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।

    05 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में अचानक भीड़ के बढ़ने से होने वाली भगदड़ को संभालना महत्त्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक योजना बनाने के बावजूद, मंदिर के आस-पास की भीड़ आपातकालीन प्रतिक्रियाओं को और भी अधिक जटिल कर देती है। सोशल मीडिया पर आतंकवादी हमले की झूठी अफवाहों से लोगों में दहशत बढ़ती है, जिससे भीड़ को नियंत्रित करने, अफवाहों को दूर करने और सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावी ढंग से बनाए रखने के लिये त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जाता है।

    मुख्य बिंदु :

    1. इस मामले में शामिल प्रमुख हितधारकों की पहचान कीजिये।

    हितधारक

    भूमिका/ज़िम्मेदारी

    पुलिस अधीक्षक

    बचाव एवं राहत प्रयासों का समग्र समन्वय, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना, अफवाहों पर नियंत्रण तथा भीड़ का प्रबंधन करना।

    स्थानीय पुलिस बल 

    भीड़ को नियंत्रित करने में सहायता करना, आपातकालीन वाहनों को निर्देशित करना, कानून व्यवस्था बनाए रखना तथा भविष्य में आतंक को रोकना।

    आपातकालीन चिकित्सा संबंधी सेवाएँ

    घायलों को तत्काल चिकित्सा संबंधी सुविधा प्रदान करना, घायलों को अस्पताल पहुँचाना तथा अस्थायी चिकित्सा केंद्र स्थापित करना।

    अग्निशमन विभाग

    बचाव कार्यों में सहायता करना, आपातकालीन वाहनों के पहुँच हेतु मार्ग को साफ करना, तथा आपातकालीन सहायता प्रदान करना।

    महोत्सव आयोजक

    भीड़ प्रबंधन में सहायता प्रदान करना, अधिकारियों को सूचना और अद्यतन संबंधी जानकारी प्रदान करना तथा राहत हेतु सहयोग करना।

    स्थानीय समुदाय के नेता

    भीड़ को शांत करने, सटीक जानकारी प्रसारित करने और सांप्रदायिक तनाव को रोकने में सहायता करना।

    जनसंपर्क/मीडिया

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सटीक जानकारी प्रदान करना, झूठी अफवाहों का सामना करना तथा जनता को सुरक्षा संबधी उपायों के बारे में सूचित करना।

    स्वयंसेवक और गैर-सरकारी संगठन

    बचाव कार्यों में सहायता करना, प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करना तथा राहत सामग्री के वितरण में सहयोग करना।

    परिवहन प्राधिकरण

    यातायात प्रवाह का प्रबंधन करना, आपातकालीन वाहनों के लिये स्पष्ट मार्ग सुनिश्चित करना तथा विस्थापित व्यक्तिओं के लिये परिवहन उपलब्ध कराना।


    2. आगे और अधिक होने वाली जनहानि को रोकने तथा भगदड़ के बाद की स्थिति को संभालने के लिये तत्काल क्या उपाय किये जाने चाहिये?

    • जीवन संबंधी सुरक्षा को प्राथमिकता देना:
      • भीड़ नियंत्रण:
        • प्रभावित क्षेत्र के चारों ओर घेरा बनाकर पर्याप्त पुलिस कर्मियों को तैनात करना ताकि भीड़ को और अधिक बढ़ने से रोका जा सके।
        • स्पष्ट निर्देश देने के लिये लाउडस्पीकर का उपयोग करना, भीड़ पर नियंत्रण पाने और भगदड़ वाले क्षेत्र से दूर जाने का आग्रह करना।
        • लोगों को भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से बाहर निकालने के लिये निर्दिष्ट मार्ग की व्यवस्था करना।
      • आपातकालीन प्रतिक्रिया:
        • घटनास्थल पर पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस और चिकित्सा कर्मियों को भेजना।
        • चोटों का आकलन करने और गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के उपचार को प्राथमिकता देने के लिये ट्राइएज पॉइंट स्थापित करना।
        • यदि आवश्यक हो, तो आस-पास के अस्पतालों या पड़ोसी ज़िलों से अतिरिक्त चिकित्सा सहायता का अनुरोध करना।
      • संचार एवं सूचना नियंत्रण:
        • झूठी अफवाहों और सोशल मीडिया पर दहशत फैलने से रोकने के लिये तत्काल संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य करना तथा आस-पास के क्षेत्र में इंटरनेट एक्सेस बंद करना।
        • सत्यापित मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से आधिकारिक बयान जारी करना, स्थिति को स्पष्ट करना और घटना, हताहतों तथा चल रहे प्रतिक्रिया प्रयासों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करना।
    • घटनास्थल को सुरक्षित करें और व्यवस्था बनाए रखें:
      • दृश्य संरक्षण:
        • भगदड़ वाले क्षेत्र को सुरक्षित करना ताकि चिकित्साकर्मी घायल हुए का इलाज कर सकें और प्रारंभिक जाँच शुरू कर सकें।
        • व्यवस्था बनाए रखने और लूटपाट या आगे की गड़बड़ी को रोकने के लिये अतिरिक्त पुलिस इकाइयों को तैनात करना।
      • सार्वजनिक सुरक्षा उपाय:
        • आपातकालीन वाहनों के लिये क्षेत्र को खाली करने और घायलों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिये यातायात नियंत्रण संबंधी उपायों को लागू करना।
        • परिवारों और संबंधित व्यक्तियों के लिये स्थिति तथा लापता प्रियजनों के बारे में पूछताछ करने के लिये एक समर्पित हेल्पलाइन स्थापित करना।
    • परिणाम का प्रबंधन करना:
      • दुर्घटना प्रबंधन:
        • घायलों के इलाज के लिये पर्याप्त क्षमता और संसाधन सुनिश्चित करने हेतु अस्पतालों के साथ कार्य करना।
        • घायलों या मृतकों के निकटतम रिश्तेदारों की पहचान करने और उन्हें सूचित करने के लिये एक प्रणाली स्थापित करना।
      • जाँच और जवाबदेही:
        • भगदड़ के कारण का पता लगाने और किसी भी तरह की संभावित लापरवाही की पहचान करने के लिये घटनास्थल की गहन जाँच करना।
        • भीड़ प्रबंधन योजना या बुनियादी ढाँचे की सीमाओं में चूक हेतु संबंधित अधिकारियों से जवाबदेह ठहराना।
    • सामुदायिक व्यस्तता:
      • धार्मिक नेता और सामुदायिक प्रतिनिधि:
        • शांति बनाए रखने और प्रभावित लोगों को आध्यात्मिक सहायता प्रदान करने के लिये धार्मिक नेताओं एवं समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
        • झूठी अफवाहों का मुकाबला करने और अधिकारियों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिये उनके प्रभाव का उपयोग करना।
      • घटना के बाद सहायता:
        • पीड़ितों के परिवारों के लिये सहायता संबंधी सेवाएँ स्थापित करना, जिसमें आघात परामर्श और संभावित वित्तीय सहायता शामिल है।
        • पुनर्प्राप्ति प्रयासों में सहायता के लिये रक्तदान अभियान और अन्य सामुदायिक पहलों का आयोजन करना।

    3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और बड़े सार्वजनिक समारोहों की सुरक्षा बढ़ाने के लिये लागू की जाने वाली दीर्घकालिक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।

    • कार्यक्रम पूर्व योजना और बुनियादी ढाँचा:
      • जोखिमपूर्ण मूल्यांकन और शमन: व्यापक जोखिमपूर्ण स्थिति का मूल्यांकन करना , जिसमें अपेक्षित भीड़ का आकार, आयोजन स्थल की क्षमता, संभावित अड़चनें और आपातकालीन निकासी योजनाओं पर विचार किया जाए।
      • बुनियादी ढाँचे का उन्नयन: सुनिश्चित करना कि आयोजन स्थल की मांग के अनुसार बुनियादी ढाँचे में सुधार किये गए हैं या नहीं, जिसमें चौड़े पद मार्ग, निर्दिष्ट प्रवेश और निकास, स्पष्ट संकेत तथा पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था शामिल है।
      • भीड़ प्रबंधन विशेषज्ञता: लोगों की सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने तथा भीड़ नियंत्रण संबंधी रणनीतियों को लागू करने के लिये नियोजन चरणों में भीड़ प्रबंधन विशेषज्ञों को शामिल करना।
      • संचार संबंधी बुनियादी ढाँचा: आपात स्थिति के दौरान स्पष्ट निर्देशों और सूचनाओं के प्रसार के लिये मज़बूत संचार संबंधी बुनियादी ढाँचे जैसे- लाउडस्पीकर, डिस्प्ले बोर्ड तथा संभावित रूप से नियंत्रित इंटरनेट एक्सेस जैसी सुविधाएँ सुनिश्चित करना।
    • जन जागरूकता और स्वयंसेवक प्रशिक्षण:
      • सार्वजनिक शिक्षा अभियान: विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम से सार्वजनिक शिक्षा अभियान शुरू करना, जिसमें उपस्थित लोगों को सुरक्षित भीड़ व्यवहार और आपातकालीन प्रतिक्रिया संबंधी प्रोटोकॉल के बारे में शिक्षित किया जाए।
      • स्वयंसेवक प्रशिक्षण: भीड़ प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा और बुनियादी संचार कौशल में स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना ताकि वे भीड़ को नियंत्रित करने में सहायता कर सकें तथा आपातकालीन स्थिति के दौरान प्रारंभिक सहायता प्रदान की जा सके।
    • प्रौद्योगिकी प्रगति:
      • स्मार्ट टिकटिंग और एक्सेस कंट्रोल: संवेदनशील क्षेत्रों में भीड़ को नियंत्रित करने और भीड़भाड़ को रोकने हेतु स्मार्ट टिकटिंग सिस्टम लागू करना।
      • वास्तविक समय में भीड़ की निगरानी: भीड़ के घनत्व को ट्रैक करने और संभावित बाधाओं की पहचान करने के लिये सेंसर तथा CCTV कैमरों के साथ वास्तविक समय में भीड़ की निगरानी से संबंधित तकनीक का उपयोग करना।
      • पूर्व चेतावनी प्रणाली: ऐसी पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करना, जो अचानक भीड़ या लोगों की संख्या बढ़ने या संभावित परेशानी वाले स्थानों के बारे में अधिकारियों को जानकारी दे सके और उन्हें सचेत कर सके।
    • सहयोग और हितधारक सहभागिता:
      • अंतर-एजेंसी समन्वय: पुलिस, आपातकालीन सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, कार्यक्रम आयोजकों और धार्मिक अधिकारियों को शामिल करते हुए एक अच्छी तरह से समन्वित प्रतिक्रिया योजना स्थापित करना।
      • सामुदायिक प्रतिक्रिया: भीड़ प्रबंधन रणनीतियों और संभावित चिंताओं के बारे में स्थानीय समुदायों एवं धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना।
      • दीर्घकालिक निवेश: दीर्घकालिक सुरक्षा सुधारों के लिये बुनियादी ढाँचे के उन्नयन, भीड़ प्रबंधन प्रशिक्षण और तकनीकी प्रगति हेतु निरंतर धन का आवंटित।

    निष्कर्ष:

    हाल ही में सामूहिक समारोहों में हुई भगदड़ में सक्रिय सुरक्षा उपायों की दिशा में एक आदर्श परिवर्तन महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है। बुनियादी ढाँचे के उन्नयन, सार्वजनिक शिक्षा और अत्याधुनिक तकनीक को मिलाकर दीर्घकालिक रणनीतियों को लागू करके, हम इन आयोजनों को संभावित खतरों से बचाने हरतु सामुदायिक निर्माण के लिये सुरक्षित स्थानों में बदल सकते हैं।