• प्रश्न :

    देखभाल नैतिकता (Ethics of Care) एवं न्याय नैतिकता (Ethics of Justice) के विरोधाभाषी दृष्टिकोणों का परीक्षण कीजिये। चर्चा कीजिये कि कोई सिविल सेवक उन परिस्थितियों से किस प्रकार निपट सकता है जब ये नैतिक सिद्धांत परस्पर विरोधी प्रतीत होते हैं। (150 शब्द)

    20 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • देखभाल नैतिकता एवं न्याय की नैतिकता को सिविल सेवकों के साथ जोड़ते हुए परिचय लिखिये।
    • देखभाल नैतिकता और न्याय की नैतिकता के विपरीत दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
    • ऐसी परिस्थितियों से निपटने के तरीके सुझाइये, जहाँ ये नैतिक सिद्धांत परस्पर विरोधी प्रतीत होते हैं।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    एक सिविल सेवक के लिये नैतिक परिदृश्य एक जटिल क्षेत्र है। दो प्रमुख लेकिन विपरीत रूपरेखाएँ नैतिक निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती हैं: देखभाल की नैतिकता (EoC) और न्याय की नैतिकता (EoJ)।

    • इन विपरीत दृष्टिकोणों को समझना और उनके संभावित संघर्षों को नेविगेट करना, प्रभावी तथा नैतिक शासन के लिये महत्त्वपूर्ण है।

    मुख्य भाग:

    देखभाल नैतिकता बनाम न्याय नैतिकता:

    आयाम

    देखभाल नैतिकता

    न्याय नैतिकता 

    दार्शनिक आधार

    नारीवादी दर्शन (जैसे- कैरोल गिलिगन, नेल नोडिंग्स)

    पारंपरिक नैतिक दर्शन (जैसे- जॉन रॉल्स, इमैनुअल कांट) 

    मुख्य बिंदु

    संबंध, संदर्भ, सहानुभूति

    सार्वभौमिक सिद्धांत, न्यायसंगति, निष्पक्षता

    मुख्य मूल्य

    करुणा, उत्तरदायित्व, शिष्टता

    समानता, अधिकार, कर्त्तव्य 

    वैयक्तिक दृष्टिकोण

    परस्पर संबंधित, सामाजिक संजाल का हिस्सा

    अधिकारों का स्वायत्त अभिकरण 

    नैतिक तर्क 

    विवरण-आधारित, प्रासंगिक 

    सार, सिद्धांत-आधारित 

    संघर्ष समाधान

    संबंधों को बनाए रखने, नुकसान को कम करने का प्रयास करता है

    नियमों के आधार पर निष्पक्ष परिणामों का लक्ष्य रखता है

    न्यायिक अवधारणा

    प्रासंगिक, आवश्यकताओं और संबंधों के आधार पर 

    सार्वभौमिक, समानता और अधिकारों के आधार पर 

    प्राथमिक नैतिक प्रश्न 

    "कैसे प्रतिक्रिया दें?"

    "क्या उचित है?" 

    स्वायत्तता का दृष्टिकोण 

    संबंधपरक स्वायत्तता

    व्यक्तिगत आत्मनिर्णय

    संभावित कमज़ोरियाँ 

    पक्षपात या पूर्वाग्रह को जन्म दे सकती हैं 

    व्यक्तिगत परिस्थितियों को नज़रअंदाज़ कर सकती हैं

    नीतिगत अनुप्रयोग  

    समुदाय-आधारित, उत्तरदायी

    मानकीकृत, सार्वभौमिक रूप से लागू  

    ऐसी परिस्थितियों से निपटना, जहाँ ये नैतिक सिद्धांत परस्पर विरोधी प्रतीत होते हों:

    • संदर्भ-विशिष्ट विश्लेषण:
      • हितधारकों और आवश्यकताओं की पहचान करना: शामिल व्यक्तियों या समूहों, उनकी आवश्यकताओं तथा संभावित नुकसानों सहित विशिष्ट संदर्भ का विश्लेषण करना।
        • इससे यह निर्धारित करने में सहायता मिलती है कि कौन-सा नैतिक ढाँचा (देखभाल नैतिकता का संबंधों से या न्याय नैतिकता का अधिकारों से) सबसे अधिक प्रासंगिक है।
      • उदाहरण: एक सिविल सेवक निवासियों (EoC) के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण नियमों (EoJ) को लागू करने को प्राथमिकता दे सकता है।
    • बहु-स्तरीय तर्क:
      • सिद्धांतों में सामंजस्य: यह पता लगाना कि क्या दोनों ढाँचे के लक्ष्यों को प्राप्त करने का कोई तरीका है।
        • क्या एक निष्पक्ष नीति (EoJ) को देखभाल और सहानुभूति (EoC) के साथ लागू किया जा सकता है?
      • उदाहरण: निर्माण में सख्त सुरक्षा मानकों की आवश्यकता वाली नीति (EoJ) से नौकरी छूट सकती है (EoC के विपरीत)।
        • सिविल सेवक श्रमिकों को सुरक्षित नौकरियों में सहायता करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम (EoC) की खोज कर सकता है।
    • पारदर्शिता और भागीदारी:
      • हितधारकों को शामिल करना: निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रभावित लोगों को शामिल करना। इससे विश्वास (EoC) बढ़ता है, संदर्भ से संबंधित मूल्यवान जानकारी एकत्रित करने में मदद मिलती है और संभावित रूप से ऐसे समाधान निकलते हैं, जो निष्पक्षता (EoJ) एवं विशिष्ट आवश्यकता (EoC) दोनों पर विचार करते हैं।
      • उदाहरण: भूमि अधिग्रहण परियोजना में एक सिविल सेवक अधिग्रहण करने वाली कंपनी और प्रभावित समुदाय (EoC) दोनों के साथ परामर्श कर सकता है।
        • इससे समुदाय की विशिष्ट चिंताओं (EoC) को समझते हुए उचित मुआवज़े (EoJ) की अनुमति मिलती है।
    • प्रक्रियात्मक न्याय का उपयोग करना:
      • प्रक्रिया में निष्पक्षता: जब कोई निर्णय किसी एक रूपरेखा को दूसरे पर तरजीह देता है, तो यह सुनिश्चित करना कि प्रक्रिया स्वयं निष्पक्ष और पारदर्शी (EoJ) हो।
        • यह निष्पक्ष निर्णय लेने और जवाबदेही के सिद्धांतों को कायम रखता है।
      • उदाहरण: पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाली फैक्ट्री को परमिट देने से इनकार करना पारदर्शी अपील प्रक्रिया (EoJ) के साथ किया जा सकता है, जिससे कंपनी को निष्पक्षता बनाए रखते हुए चिंताओं को दूर करने की अनुमति मिलती है।

    निष्कर्ष:

    EoC और EoJ को समझकर तथा उनके संभावित संघर्षों को कुशलता से परे, सिविल सेवक अच्छी तरह से नैतिक निर्णय ले सकते हैं। यह शासन को बढ़ावा देता है, जो न केवल न्यायपूर्ण है बल्कि मानवीय भी है, जो अंततः एक अधिक न्यायसंगत तथा सामंजस्यपूर्ण समाज की ओर ले जाता है।