• प्रश्न :

    देश के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे के तहत भारत के पशुधन क्षेत्र के बहुमुखी आर्थिक योगदान का परीक्षण कीजिये। इसके साथ ही भारत के पशुधन क्षेत्र से संबंधित सरकार की पहलों का भी उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)

    15 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के पशुधन क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण योगदान का परिचय लिखिये।
    • देश की गरीबी, आय आदि जैसे सामाजिक-आर्थिक ढाँचे के भीतर भारत के पशुधन क्षेत्र के बहुआयामी आर्थिक योगदान का विश्लेषण कीजिये।
    • भारत के पशुधन क्षेत्र से संबंधित सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डालिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारत का पशुधन क्षेत्र, जिसमें मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और मुर्गी जैसे पशु शामिल हैं, ग्रामीण आजीविका की रीढ़ है तथा देश के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में पशुधन की विशाल आबादी है, जिसकी मात्रा लगभग 535.78 मिलियन है, जो पशुधन जनगणना वर्ष 2012 की तुलना में 4.6% की वृद्धि को दर्शाती है।

    मुख्य भाग:

    भारत के पशुधन क्षेत्र का बहुमुखी योगदान:

    • सकल घरेलू उत्पाद और रोज़गार:
      • पशुधन क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र सकल मूल्य वर्द्धीत (GVA) में पशुधन का योगदान 24.38 प्रतिशत (2014-15) से बढ़कर 30.19 प्रतिशत (2021-22) हो गया है।
      • यह क्षेत्र लाखों छोटे और सीमांत किसानों, विशेष रूप से भूमिहीन परिवारों के लिये आजीविका सुरक्षा प्रदान करता है, जहाँ पशुधन पालन प्रायः आय का प्राथमिक स्रोत होता है।
    • पोषण सुरक्षा:
      • पशुधन आवश्यक प्रोटीन, दूध और अंडे प्रदान करके पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि वर्ष 2022 में विश्व औसत 322 ग्राम प्रतिदिन है (खाद्य आउटलुक जून 2023)।
      • यह आहार विविधता, बाल विकास और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • आय सृजन और महिला सशक्तीकरण:
      • पशुधन पालन, विशेष रूप से मुर्गी और बकरी जैसे छोटे जानवरों के पालन के लिये न्यूनतम भूमि तथा निवेश की आवश्यकता होती है, जो इसे सीमांत किसानों एवं महिलाओं के लिये आदर्श बनाता है।
      • दूध की बिक्री के माध्यम से आय सृजन महिलाओं को सशक्त बनाता है, वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है और घरेलू कल्याण में योगदान देता है।
    • मूल्यवान उपोत्पाद और स्थिरता:
      • पशुधन खाद्य जैसे मूल्यवान उपोत्पाद प्रदान करता है, जो एक प्राकृतिक उर्वरक के रूप में कार्य करता है, जो सतत् कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
      • गोबर से उत्पन्न बायोगैस का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जा सकता है।

    भारत के पशुधन क्षेत्र से संबंधित सरकारी पहल:

    • नस्ल सुधार और अवसंरचना विकास:
      • राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM):
        • यह स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण पर केंद्रित है। यह बेहतर प्रजनन प्रथाओं के लिये कृत्रिम गर्भाधान, सेक्स्ड सॉर्टेड सीमेन तकनीक तथा DNA- आधारित जीनोमिक चयन को बढ़ावा देता है।
        • इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य बेहतर जानकारी के लिये पशुधन की पहचान करने और उनका पंजीकरण करने से है।
    • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD):
      • इसका उद्देश्य कोल्ड चेन अवसंरचना का निर्माण करके और प्रसंस्करण सुविधाओं को मज़बूत करके दुग्ध की गुणवत्ता को बढ़ाना है।
      • यह अवसंरचना उन्नयन और क्षमता निर्माण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करके डेयरी सहकारी समितियों का समर्थन करता है।
    • डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF):
      • यह डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य-संवर्द्धन इकाइयों की स्थापना, दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता तथा उत्पाद वैविध्यकरण को बढ़ावा देने के लिये ऋण एवं ब्याज अनुदान प्रदान करता है।
    • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF):
      • यह डेयरी, मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्रों और मवेशियों, भैंसों, भेड़, बकरियों तथा सूअरों के लिये नस्ल सुधार अवसंरचना में निवेश को प्रोत्साहित करता है।
    • पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादकता बढ़ाना:
      • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM):
        • इसका उद्देश्य पोल्ट्री फॉर्म, भेड़ और बकरी प्रजनन इकाइयाँ, सूअर पालन तथा चारा सुविधाएँ स्थापित करने के लिये प्रत्यक्ष सब्सिडी प्रदान करना है।
        • यह उद्यमिता, रोज़गार सृजन और मांस, अंडे एवं ऊन के उत्पादन में वृद्धि को बढ़ावा देता है।
      • पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (LH&DC) कार्यक्रम:
        • यह टीकाकरण अभियानों के माध्यम से पशु रोगों की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करता है। यह पहचान के लिये पशुओं के कान पर टैग लगाता है तथा टीकाकरण कवरेज को ट्रैक करता है।
      • डेयरी किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC):
        • यह सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों से जुड़े डेयरी किसानों को खेत सुधार तथा कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं के लिये ऋण तक पहुँच प्रदान करता है।

    निष्कर्ष:

    भारत का पशुधन क्षेत्र देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुआयामी भूमिका निभाता है। मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके और प्रभावी सरकारी पहलों को लागू करके, यह क्षेत्र लाखों भारतीयों के लिये आजीविका सुरक्षा, पोषण सुरक्षा तथा आर्थिक विकास का स्रोत बना रह सकता है।