• प्रश्न :

    किसी देश की आर्थिक स्थिति तथा नीति निर्माण के लिये इसके निहितार्थ का आकलन करने में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) के अधिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    20 Mar, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत GNP और GDP के परिचय के साथ कीजिये।
    • किसी देश के आर्थिक हित का आकलन करने में GDP से अधिक GNP के महत्त्व का वर्णन कीजिये।
    • नीति निर्माण के लिये इसके निहितार्थों पर प्रकाश डालिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    सकल घरेलू उत्पाद (GDP) एक विशिष्ट अवधि के दौरान देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापता है, भले ही वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने वालों की राष्ट्रीयता कुछ भी हो, जबकि सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) सभी वस्तुओं के कुल मूल्य को मापता है। जिसमें वे सभी, जो किसी देश के निवासियों द्वारा एक विशिष्ट समय-सीमा के भीतर उत्पादित सेवाएँ, चाहे वे घरेलू या विदेश में स्थित हों, आते हैं।

    मुख्य भाग:

    GDP पर GNP का महत्त्व:

    • प्रेषण का समावेश:
      • GNP विदेश में काम करने वाले नागरिकों द्वारा भेजे गए प्रेषण के लिये खाता है। यह महत्त्वपूर्ण प्रवासी आबादी वाले देशों के लिये, प्रेषण राष्ट्रीय आय का एक बड़ा हिस्सा हो सकता है।
      • उदाहरण के लिये, भारत और फिलिपींस जैसे देशों में प्रेषण घरेलू आय बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा इस प्रकार समग्र आर्थिक कल्याण में योगदान देता है।
    • विदेशी निवेश आय:
      • GNP में विदेशों में निवासियों द्वारा किये गए निवेश से होने वाली आय शामिल है। ये कमाई किसी देश की आय का एक महत्त्वपूर्ण घटक दर्शाती है।
      • उदाहरण के लिये बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों वाले देश प्रायः महत्त्वपूर्ण विदेशी निवेश आय से लाभान्वित होते हैं, जो उनके GNP में योगदान करते हैं।
    • राष्ट्रीय आय परिप्रेक्ष्य:
      • GNP किसी देश की समग्र आय का अधिक सटीक प्रतिबिंब प्रदान करता है क्योंकि यह उसके नागरिकों द्वारा घरेलू और विदेश दोनों तरह से अर्जित आय पर विचार करता है।
      • देश के निवासियों के वास्तविक आर्थिक हित को समझने के लिये नीति निर्माताओं हेतु यह परिप्रेक्ष्य महत्त्वपूर्ण है।
    • तुलनात्मक विश्लेषण:
      • GNP आर्थिक प्रदर्शन की बेहतर अंतर्राष्ट्रीय तुलना की अनुमति देता है क्योंकि इसमें नागरिकों की आय शामिल होती है, भले ही उनका स्थान कुछ भी हो।
      • यह बड़ी प्रवासी आबादी वाले देशों के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि एकमात्र सकल घरेलू उत्पाद उनके आर्थिक योगदान को पूर्ण रूप से शामिल नहीं कर सकता है।

    नीति निर्माण के निहितार्थ:

    • प्रेषण उपयोग:
      • सरकारें बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और उद्यमिता में निवेश जैसे विकास उद्देश्यों के लिये प्रेषण के प्रभावी उपयोग की सुविधा हेतु नीतियाँ निर्माण कर सकती हैं।
      • बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रेषण को उत्पादक क्षेत्रों में लगाने के लिये कार्यक्रम लागू किये हैं।
    • बाह्य निवेश को प्रोत्साहित करना:
      • निवासियों द्वारा बाह्य निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियाँ विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि और देश की GNP को बढ़ाने में योगदान कर सकती हैं।
      • सरकारें घरेलू कंपनियों को विदेश में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु टैक्स छूट या सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं, जिससे देश की आर्थिक नीतियों का विस्तार हो सके।
    • व्यापार घाटे को संतुलित करना:
      • GNP पर ध्यान व्यापार घाटे की आपूर्ति हेतु विदेश से आय अर्जित करने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है। नीति निर्माता निर्यात को बढ़ावा देने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिये रणनीतियों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
      • यह भुगतान के सकारात्मक संतुलन को सुनिश्चित करने और GNP में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को भी बढ़ाता है।
    • आय स्रोतों का विविधीकरण:
      • GNP के महत्त्व को पहचानना घरेलू उत्पादन से परे आय स्रोतों में विविधता लाने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
      • सरकारें विदेशी आय बढ़ाने और राजस्व के किसी एक स्रोत पर निर्भरता को कम करने के लिये पर्यटन, आउटसोर्सिंग सेवाओं एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिये नीतियाँ अपना सकती हैं।

    निष्कर्ष:

    जबकि GDP और GNP दोनों आर्थिक प्रदर्शन के आवश्यक संकेतक हैं, GNP में विदेश में अर्जित आय को शामिल करने से देश के आर्थिक हित की अधिक व्यापक समझ मिलती है। GNP विचारों द्वारा निर्देशित नीति निर्माण से ऐसी रणनीतियाँ बन सकती हैं, जो समग्र समृद्धि और सतत् विकास को बढ़ाने के लिये प्रेषण, विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लाभ उठाती हैं।