• प्रश्न :

    ब्रेन चिप इंप्लांट टेक्नोलॉजी के महत्त्व और संभावित उपयोगों के साथ-साथ इसमें आने वाली बाधाओं तथा मानव-कंप्यूटर संपर्क के विकास पर इसके संभावित प्रभाव की जाँच कीजिये। (250 शब्द)

    21 Feb, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक के महत्त्व और इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • ब्रेन चिप इंप्लांट प्रौद्योगिकी से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिये।
    • यथोचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक के तहत मस्तिष्क में माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों या तंत्रिका इंटरफेस का प्रत्यारोपण शामिल है, जो न्यूरॉन्स और कंप्यूटर के बीच द्वि-दिशीय संचार को सक्षम बनाता है। इस तकनीक से मानव मस्तिष्क और बाहरी उपकरणों के बीच प्रत्यक्ष एवं निर्बाध इंटरफेस स्थापित करके मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन (HCI) के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावना है।

    मुख्य भाग:

    ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक का महत्त्व तथा संभावित सकारात्मक प्रभाव:

    • चिकित्सकीय उपचार:
      • तंत्रिका संबंधी विकार: मस्तिष्क से प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा मिर्गी, पार्किंसंस रोग और न्यूरोडीजेनरेटिव विकारों जैसी स्थितियों की निगरानी एवं उपचार करना।
      • स्ट्रोक के बाद रिलीफ: स्ट्रोक के बाद मोटर फंक्शन रिकवरी एवं रिलीफ में सहायता करना।
    • सहायक उपकरणों का तंत्रिकीय नियंत्रण: कृत्रिम अंग या संचार सहायता जैसे सहायक उपकरणों एवं तंत्रिका तंत्र के बीच समन्वय को सक्षम करके, तंत्रिकीय विकारों में व्यक्तियों की गतिशीलता सुनिश्चित हो सकती है।
    • संवर्धित संज्ञानात्मक क्षमताएँ: ब्रेन चिप प्रत्यारोपण में बाहरी डेटाबेस या नेटवर्क में संग्रहीत कम्प्यूटेशनल संसाधनों तक प्रत्यक्ष पहुँच प्रदान करके मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने की क्षमता है।
      • यह डिजिटल प्रणाली के साथ प्रत्यक्ष तंत्रिका इंटरफेस के माध्यम से व्यक्तियों की स्मृति, सीखने की प्रक्रिया एवं समस्या-समाधान क्षमताओं को बढ़ाने में निर्णायक हो सकता है।
    • आभासी और संवर्धित वास्तविकता के बीच इंटरैक्शन: यह उपयोगकर्त्ताओं को अपने विचारों का उपयोग करके डिजिटल माध्यम के साथ समन्वय को बढ़ावा देकर आभासी एवं संवर्धित वास्तविकता अनुभवों को बढ़ाने पर केंद्रित है।

    हालाँकि ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक से कई चिंताओं के साथ संभावित नकारात्मक प्रभाव बने रहते है:

    • गोपनीयता और सुरक्षा: प्रत्यारोपित मस्तिष्क चिप्स संभावित रूप से गोपनीयता संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकती हैं, क्योंकि इससे संवेदनशील तंत्रिका डेटा एवं विचारों तक पहुँच सक्षम हो सकती है। इन प्रत्यारोपणों की अनधिकृत पहुँच या हैकिंग से गोपनीयता एवं व्यक्तिगत स्वायत्तता का उल्लंघन हो सकता है।
    • दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम: ब्रेन चिप प्रत्यारोपण की सुरक्षा के साथ इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है। इसमें सूजन, संक्रमण या ऊतक क्षति जैसी प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की संभावना के साथ-साथ दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल या मनोवैज्ञानिक प्रभावों की संभावना के बारे में चिंताएँ बनी हुई हैं।
    • प्रौद्योगिकी पर निर्भरता: जैसे-जैसे मनुष्य संचार, अनुभूति या शारीरिक नियंत्रण हेतु ब्रेन चिप प्रत्यारोपण पर निर्भर होता जा रहा है, इससे प्रौद्योगिकी पर निर्भरता से होने वाले नुकसान का खतरा है।
    • दुरुपयोग की संभावना: अनधिकृत निगरानी, हेर-फेर या जबरदस्ती के लिये ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक के दुरुपयोग की संभावना के बारे में चिंताएँ बनी हुई हैं।
    • सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ: ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक, न्यूरोटेक्नोलॉजी की पहुँच एवं सामर्थ्य में असमानताएँ पैदा करके मौजूदा सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को बढ़ा सकती है।

    निष्कर्ष:

    ब्रेन चिप इंप्लांट तकनीक के ज़िम्मेदार विकास, कार्यान्वयन एवं उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु मज़बूत नियामक निरीक्षण की आवश्यकता है। नियामक ढाँचे से संबंधित संभावित जोखिमों को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा कल्याण को सुनिश्चित करने के लिये इसकी प्रभावकारिता, गोपनीयता एवं नैतिकता से संबंधित चिंताओं के समाधान की आवश्यकता है।