• प्रश्न :

    विश्व के विभिन्न भागों में द्वितीयक क्षेत्र के उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    29 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • द्वितीयक क्षेत्र के उद्योगों के बारे में संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • किसी भी उद्योग के स्थान का निर्धारण करने के लिये ज़िम्मेदार कारकों के लाभ और हानि का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    द्वितीयक क्षेत्र के उद्योग वे उद्योग हैं, जो कच्चे माल को संसाधित करके निर्मित या अर्द्ध-निर्मित उत्पाद बनाते हैं, जैसे विनिर्माण, निर्माण और विद्युत उत्पादन। द्वितीयक क्षेत्र के उद्योगों का स्थान भौगोलिक और गैर-भौगोलिक कारकों के संयोजन से प्रभावित होता है, जो उद्योग के प्रकार, क्षेत्र एवं समयावधि के आधार पर भिन्न होता है।

    मुख्य भाग-

    • लाभ:
      • कच्चे माल की उपलब्धता: कच्चे माल की निकटता परिवहन लागत को कम करती है और एक स्थिर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करती है।
      • परिवहन: कुशल परिवहन नेटवर्क, रसद और वितरण, प्रमुख समय एवं लागत को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • श्रम उपलब्धता: श्रम प्रधान उद्योगों के लिये कुशल या कम लागत वाले श्रम तक पहुँच आवश्यक है, जिससे उत्पादकता और लागत-प्रभावशीलता बढ़ती है।
      • बाज़ार: उपभोक्ता बाज़ारों के निकट स्थित होने से परिवहन लागत कम हो जाती है और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित होती है, विशेष रूप से खराब होने वाले या नाज़ुक उत्पादों के मामले में।
      • विद्युत: ऊर्जा-गहन उद्योगों के लिये सस्ती और विश्वसनीय विद्युत स्रोतों या क्षेत्रों की निकटता आवश्यक है।
    • हानि:
      • कच्चे माल की उपलब्धता: यदि सोर्सिंग क्षेत्र की आपूर्ति में उतार-चढ़ाव या पर्यावरणीय चिंताएँ हैं तो स्थानीय कच्चे माल पर अत्यधिक निर्भरता से कमज़ोरी आ सकती है।
      • परिवहन: परिवहन केंद्रों में उद्योगों को केंद्रित करने से भीड़भाड़, पर्यावरण प्रदूषण और स्थानीय बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ सकता है।
      • श्रम उपलब्धता: कम लागत वाले श्रम पर अत्यधिक निर्भरता खराब कामकाजी परिस्थितियों और शोषण सहित नैतिक चिंताओं को जन्म दे सकती है।
      • बाज़ार: शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक सघनता भीड़भाड़, उच्च जीवन लागत और संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा में योगदान कर सकती है।
      • ऊर्जा: यदि ऊर्जा आपूर्ति में कोई व्यवधान या परिवर्तन हो तो विशिष्ट ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता असुरक्षा का कारण बन सकती है।

    ये कारक परस्पर संबंधित नहीं हैं, बल्कि परस्पर क्रिया करते हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण में परिवर्तन के आधार पर प्रत्येक कारक का सापेक्ष महत्त्व, समय और स्थान के साथ परिवर्तित हो सकती है। अत: द्वितीयक उद्योगों की स्थिति स्थिर नहीं, बल्कि गतिशील एवं जटिल होती है।