• प्रश्न :

    नैतिक निर्णय लेने के संदर्भ में जब कानून, नियमों और अधिनियमों की तुलना की जाती है तो क्या अंतरात्मा की आवाज़ अधिक विश्वसनीय मार्गदर्शक है? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    07 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • निर्णय लेने में कानूनों, नियमों और अधिनियमों तथा विवेक के महत्त्व का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • विवेक तथा कानून, नियम और अधिनियम दोनों की शक्तियों एवं सीमाओं पर चर्चा कीजिये।
    • नैतिक निर्णय लेने में विवेक तथा कानूनी ढाँचे के तार्किक एकीकरण के महत्त्व पर बल देते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    कानून सामान्यतः कल्याण के लिये उचित प्रक्रिया के माध्यम से कार्रवाई निर्धारित करता है और दायित्व थोपता है, जबकि विवेक सही और गलत में अंतर स्पष्ट करने की हमारी जन्मजात क्षमता है। प्रत्येक की क्षमता एवं सीमाएँ हैं,जो श्रेष्ठ स्थिति पर निर्भर है।

    मुख्य भाग:

    • विवेक/अंतरात्मा:
      • शक्ति:
        • वैयक्तिक नैतिकता: एक आंतरिक नैतिक दिशा-निर्देश जो किसी व्यक्ति की सही और गलत की व्यक्तिगत समझ के आधार पर नैतिक निर्णय लेने का मार्गदर्शन कर सकता है।
        • नम्रता: विवेक जटिलता और विशिष्टता को महत्त्व देता है, जिससे स्थापित विधियों से परे व्यक्तिगत स्थितियों पर विचार करने की अनुमति मिलती है।
      • सीमाएँ:
        • पूर्वाग्रह का प्रभाव: पूर्वाग्रहों, संस्कृति, पालन-पोषण से प्रभावित विवेक संदिग्ध नैतिकता को जन्म दे सकता है।
        • असंगत अनुप्रयोग: विवेक के विकसित होने से नैतिक विकल्पों में असंगति आ सकती है।
    • विधि, नियम और विनियम:
      • शक्ति:
        • स्पष्टता: ये समाज और संगठनों के लिये नैतिक दिशा-निर्देश स्थापित करते हैं।
        • जवाबदेही: ये गलत कार्यों के परिणाम थोपते हैं, अनैतिक कार्यों को हतोत्साहित करते हैं।
        • अधिकारों की सुरक्षा: विधि और नियम समग्र रूप से व्यक्तियों एवं समाज के अधिकारों तथा कल्याण की रक्षा कर सकते हैं।
      • सीमाएँ:
        • कठोरता: कानून प्रायः बदलते सामाजिक मानदंडों और विकसित नैतिकता के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये संघर्ष करते हैं।
        • मोरल (नैतिक) ब्लाइंड स्पॉट: कानूनी प्रणालियाँ सभी नैतिक दुविधाओं का पूरी तरह से समाधान नहीं कर सकती हैं।
        • प्रवर्तन: कानूनों को लागू करना कठिन है और खामियों के कारण अनैतिक व्यवहार जारी रह सकता है।

    निष्कर्ष:

    विवेक और विधि/नियम/विनियम नैतिक निर्णयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विवेक सार्वभौमिक नैतिकता एवं पूर्वाग्रह नियंत्रण पर निर्भर करता है, जबकि विधि संरचना प्रदान करते हैं लेकिन निष्पक्ष बने रहने के लिये इनके नियमित अद्यतन की आवश्यकता होती है।