• प्रश्न :

    बच्चे को दुलारने की जगह अब मोबाइल फोन ने ले ली है। बच्चों के समाजीकरण पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    04 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • उत्तर को एक ऐसे कथन के संदर्भ के साथ प्रस्तुत कीजिये जिससे संकेत मिलता हो कि बच्चों को दुलारने की जगह मोबाइल फोन ने ले ली है।
    • बच्चों को दुलारने की जगह ले रहे मोबाइल फोन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
    • उचित दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    तीव्र गति से होने वाले डिजिटलीकरण के कारण बच्चों को दुलारने की तुलना में मोबाइल फोन के प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है। देखभाल के प्रतिरूप में इस बदलाव से बच्चों के समाजीकरण में बदलाव आ रहा है, जिससे विभिन्न जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।

    नकारात्मक प्रभाव:

    • भावनात्मक जुड़ाव में कमी: शारीरिक स्पर्श तथा आँखों का संपर्क कम होने से भावनात्मक जुड़ाव में बाधा आ सकती है, जिससे संभावित रूप से भावनात्मक असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है।
    • सामाजिक कौशल में बाधा: स्क्रीन पर ज़्यादा समय व्यतीत करने से पारस्परिक सामाजिक कौशल के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे आगे चलकर प्रभावी ढंग से बातचीत करने की बच्चों की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
    • शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने तथा शारीरिक गतिविधियों में कमी आने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि होती है।
    • आवेग में वृद्धि: अत्यधिक उत्तेजित करने वाले मोबाइल एप्स आवेग को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे एकाग्रता और सार्थक बातचीत प्रभावित होती है।

    सकारात्मक प्रभाव:

    • पारिवारिक संबंधों को सुगम बनाना: मोबाइल फोन वर्चुअल विज़िट्स के साथ दूरगामी पारिवारिक संबंधों को मज़बूत करने तथा सामाजिक नेटवर्क का विस्तार करने में सक्षम बनाते हैं।
    • लैंग्वेज एक्सपोज़र: शिक्षाप्रद एप्स बच्चों को विविध भाषाओं से अवगत कराते हैं, जिससे भाषायी एवं संज्ञानात्मक विकास में वृद्धि होती है।
    • तकनीकी-जुड़ाव: इससे डिजिटल साक्षरता कौशल को बढ़ावा मिलता है, जो तकनीक-संचालित विश्व में महत्त्वपूर्ण है।
    • अभिगम्यता उपकरण: मोबाइल उपकरण विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये संचार एवं अधिगम में सहायता करते हैं।

    बच्चे को दुलारने के साथ मोबाइल उपकरण के संतुलित प्रयोग से न केवल बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होता है बल्कि बच्चे सामाजिक कौशल के साथ तकनीकी अधिगम में पारंगत होते हैं।