• प्रश्न :

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) की अवधारणा का परिचय दीजिये। ए.आई. क्लिनिकल निदान में कैसे मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में ए.आई. के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (150 शब्द, यू.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा 2023)

    15 Nov, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) इस समय विश्व में सूचना प्रौद्योगिकी की उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह कंप्यूटर में मानव जैसी बुद्धि विकसित करने के साथ व्यापक स्तर पर डेटा प्रसंस्करण पर आधारित है।

    नैदानिक निदान में ए.आई:

    • व्यापक विश्लेषण: ए.आई. व्यापक मात्रा में डेटा को संसाधित करने में मदद करने के साथ पूर्व के चिकित्सा इतिहास के आधार पर रोगी के स्वास्थ्य का व्यापक विश्लेषण प्रदान कर सकता है।
    • अर्ली डिटेक्शन: ए.आई. द्वारा डेटा प्रतिरूप का आसानी से पता लगाया जा सकता है। विभिन्न लोगों के डेटा के माध्यम से ए.आई. द्वारा ऐसी बीमारी की भविष्यवाणी की जा सकती है जो विशेष लक्षणों वाले विशेष व्यक्तियों में होना संभव है।
      • उदाहरण के लिये ए.आई. द्वारा हृदय रोग के इतिहास को पहचानते हुए संबंधित जोखिम को पहचाना जाता है।
    • हेल्पिंग हैंड: डॉक्टरों की जगह लेने के बजाय, ए.आई. उनके प्रयासों को पूरक बनाने के साथ निर्णय प्रक्रिया को सुलभ कर सकते हैं।
    • निगरानी: ए.आई. आधारित उपकरण किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के विभिन्न मापदंडों की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये स्मार्ट घड़ियों द्वारा रक्तचाप की निगरानी होना।

    निजता का खतरा:

    • बिग डेटा: ए.आई. हेतु व्यापक स्तर पर डेटा संग्रह एवं संसाधित होने से इसका दुरुपयोग हो सकता है। डेटा संग्रह हेतु लोगों की सहमति ज़रूरी हो जाती है लेकिन आमतौर पर इसका पालन नहीं होता है।
    • डेटा उल्लंघन: व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड एवं अन्य डेटाबेस की सुरक्षा का खतरा बना रहता है क्योंकि डेटा उल्लंघन के कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आगमन से विश्व भर में सभी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर बदलाव होना जारी है। इसके द्वारा डिजिटल, तकनीकी तथा स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति आई है लेकिन इसके बेहतर उपयोग हेतु इससे संबंधित समस्याओं के उचित निवारण की आवश्यकता है।