• प्रश्न :

    “आप विश्व में जो बदलाव देखना चाहते हैं, वह स्वयं में कीजिये ” - महात्मा गांधी (150 शब्द)

    a. लोक सेवा के संदर्भ में इस उद्धरण का अर्थ और महत्त्व स्पष्ट कीजिये।
    b. ऐसी स्थिति का उदाहरण दीजिये जहाँ आपने अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में इस सिद्धांत का अनुभव किया हो या इसे लागू किया हो।
    c. भविष्य में एक सिविल सेवक के रूप में आपके समक्ष उत्पन्न नैतिक दुविधाओं और चुनौतियों को हल करने के क्रम में यह उद्धरण आपको किस प्रकार प्रेरित कर सकता है?

    15 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: उपर्युक्त उद्धरण की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: सभी प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर दीजिये:
      a. लोक सेवक के लिये इस उद्धरण के महत्त्व की चर्चा कीजिये।
      b. अपने जीवन का कोई उदाहरण दीजिये जब आपने इस उद्धरण के सिद्धांतों को लागू किया हो।
      c. चर्चा कीजिये कि यदि आप भविष्य में सिविल सेवक बनते हैं तो आप इस उद्धरण का अनुप्रयोग किस प्रकार कर सकते हैं।
    • निष्कर्ष: उत्तर में चर्चित मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    महात्मा गांधी के उद्धरण "आप विश्व में जो बदलाव देखना चाहते हैं, वह स्वयं में कीजिये" का अर्थ है कि किसी को दुनिया को बेहतर बनाने के लिये दूसरों की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिये बल्कि स्वयं ऐसा करने की पहल और जिम्मेदारी लेनी चाहिये। इसका तात्पर्य यह भी है कि व्यक्ति को ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, करुणा, न्याय और शांति जैसे उन मूल्यों और सिद्धांतों को अपनाना चाहिये जिन्हें व्यक्ति समाज में बढ़ावा देना चाहता है।

    मुख्य भाग:

    • परिवर्तन को मूर्त रूप देकर, समाज में इन्हें प्रेरित करना; लोक सेवक परिवर्तनों को मूर्त रूप देकर इनको अपनाने हेतु दूसरों को प्रेरित कर सकते हैं। जब लोक सेवक इस मानसिकता को अपनाते हैं, तो वे अपने समुदायों में परिवर्तन के रोल मॉडल बन जाते हैं। उनके कार्यों में दूसरों को प्रभावित करने तथा बड़े पैमाने पर सकारात्मक परिवर्तन को प्रेरित करने की क्षमता होती है। अपने स्वयं के कार्य में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, करुणा और जवाबदेहिता के मूल्यों को शामिल करके लोक सेवक उन संस्थानों के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • ग्रामीण क्षेत्र में साक्षरता अभियान में शामिल होने के दौरान मैंने अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में "परिवर्तनकारी एजेंट" के रूप में भूमिका निभाई थी। जब मैंने महसूस किया कि गरीबी, बुनियादी ढाँचे की कमी और सामाजिक बाधाओं के कारण कई बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं तो ऐसे में मैंने सरकार या समाज को दोष देने के बजाय कुछ बच्चों को शिक्षा एवं कौशल प्रदान करने हेतु अपने खाली समय का उपयोग करने के समाधान को चुना। इसके अलावा मैंने अपने साथ इस प्रयास में भाग लेने के लिये अन्य स्वयंसेवकों और स्थानीय निवासियों को प्रोत्साहित करने की पहल की। इन कार्यों के माध्यम से मैंने शिक्षा के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ बच्चों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालने की कोशिश की।
    • एक सिविल सेवक के रूप में यह उद्धरण मुझे सार्वजनिक सेवा के उद्देश्य और मूल्यों की याद दिलाकर एक सिविल सेवक के रूप में मेरी भविष्य की भूमिका में नैतिक दुविधाओं और चुनौतियों को दूर करने के लिये प्रेरित कर सकता है। जब भी मुझे दुविधा की स्थिति का सामना करना पड़ेगा तो मैं स्वयं से मंथन कर सकता हूँ कि मैं विश्व में किस तरह का बदलाव देखना चाहता हूँ और उसके अनुसार कार्य करूँगा। मैं महात्मा गांधी के जीवन और कार्यों से भी प्रेरणा ले सकता हूँ, जो स्वयं एक लोक सेवक थे तथा जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अहिंसा, निःस्वार्थता और साहस का परिचय दिया था। उन्होंने उच्च नैतिक मानकों का पालन करने के साथ विनम्रता और भक्तिभाव के साथ लोगों की सेवा करके मिसाल कायम की थी।

    निष्कर्ष:

    महात्मा गांधी का उद्धरण एक सिविल सेवक के रूप में नैतिक दुविधाओं और चुनौतियों को हल करने के क्रम में एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करता है। यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व को प्रोत्साहित देने, नेतृत्व करने, यथास्थिति को चुनौती देने, सहानुभूतिपूर्ण समस्या-समाधान करने एवं निरंतर आत्म-सुधार पर केंद्रित है। इस उद्धरण को आत्मसात करके आप अपने मूल्यों के प्रति ईमानदार बने रहने के साथ एक सिविल सेवक के रूप में अपनी भूमिका में सकारात्मक बदलाव लाने हेतु प्रेरित हो सकते हैं।