• प्रश्न :

    चक्रवात, तटीय क्षेत्रों के लिये जोखिम उत्पन्न करने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार हैं। चक्रवातों के निर्माण, विशेषताओं और प्रभावों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    15 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • चक्रवात को संक्षिप्त रूप से परिभाषित करते हुए और यह बताते हुए कि वे तटीय क्षेत्रों के लिये किस प्रकार जोखिम उत्पन्न करते हैं, अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • तटीय क्षेत्रों में चक्रवातों के निर्माण, विशेषताओं और प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

    परिचय:

    चक्रवात, शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय मौसम प्रणालियों से संबंधित हैं जो व्यापक विनाश का कारण बन सकते हैं तथा इनसे तटीय क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। समुद्र से निकटता के कारण विशेष रूप से तटीय क्षेत्र चक्रवातों के प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं। तेज हवाएँ, भारी वर्षा, तूफानी लहरें इन प्राकृतिक आपदाओं की विशेषताएँ हैं।

    मुख्य भाग:

    चक्रवातों का निर्माण:

    • जब गर्म, नम पवनें समुद्र से ऊपर की ओर उठती हैं तब चक्रवात बनता है। पवनों के ऊपर उठने से उसके नीचे एक कम दाब का क्षेत्र बन जाता है।
    • इसके बाद इस कम दाब वाले क्षेत्र की ओर आसपास के उच्च दाब वाले क्षेत्रों की ओर से पवनों का प्रवाह होता है। समुद्र के ऊपर ठंडी पवनों का यह समूह गर्म और नम हो जाता है तथा ऊपर की ओर इसका प्रवाह होता है जिससे एक और कम दाब का क्षेत्र विकसित होता है।
    • यह चक्र चलता रहता है और समुद्र से जल वाष्पित होने के परिणामस्वरूप पवन क्षेत्र में बादल बनते हैं जिससे एक तूफान प्रणाली का विकास होता है।
    • इस तूफान प्रणाली के घूर्णित होने से चक्रवात के केंद्र में आँख का विकास होता है। चक्रवात की आँख निम्न वायुदाब का क्षेत्र होता है।

    विशेषताएँ:

    1. वे बड़ी वायुराशियाँ कम दबाव वाले केंद्र के चारों ओर घूमती हैं।
    2. इन्हें विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे कि अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय, उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय आदि।
    3. इनसे खराब मौसम की परिस्थितियाँ पैदा हो सकती हैं जैसे बादल, भारी वर्षा और तूफान।
    4. उत्तरी गोलार्ध में इनका प्रवाह वामावर्त और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त होता है।
    5. इनका विकास भूमध्य रेखा के आसपास समुद्र के गर्म जल (27 oC) पर होता है।

    तटीय क्षेत्रों पर प्रभाव:

    • तेज हवाएँ इमारतों, बुनियादी ढाँचे और वनस्पतियों के व्यापक विनाश का कारण बन सकती हैं।
    • भारी वर्षा से बाढ़ आती है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन की हानि, संपत्ति को नुकसान और आवश्यक सेवाओं में व्यवधान हो सकता है।
    • तूफान से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आने के साथ निचले इलाके जलमग्न हो जाते हैं और तटरेखा का क्षरण होता है।
    • परिवहन और संचार प्रणालियों में व्यवधान से आपातकालीन प्रतिक्रिया और होने वाली क्षति के पुनर्बहाली प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।
    • क्षतिग्रस्त विद्युत बुनियादी ढाँचे के कारण विद्युत् आपूर्ति वाधित होती है।
    • बाढ़ के कारण जल स्रोतों के दूषित होने से जलजनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
    • लोगों का उनके घरों से होने वाला विस्थापन, अस्थायी या दीर्घकालिक विस्थापन के साथ संसाधनों पर अधिक दबाव का कारण बनता है।

    निष्कर्ष:

    चक्रवात, तटीय क्षेत्रों के लिये जोखिम उत्पन्न करने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार हैं। चक्रवातों के प्रभाव को कम करने और तटीय समुदायों की सुरक्षा हेतु प्रभावी आपदा तैयारी, पूर्व चेतावनी प्रणाली और शमन उपाय करना आवश्यक है।