• प्रश्न :

    प्रश्न. गरीबी, निरक्षरता और शोषण जैसे मुद्दों के संबंध में भारतीय समाज की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन कीजिये। क्या वास्तविक अर्थों में हम विकसित देश बनने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं? (250 शब्द)

    30 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गरीबी, निरक्षरता और शोषण जैसे मुद्दों पर भारतीय समाज की वर्तमान स्थिति पर संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि क्या इसे विकसित देश माना जा सकता है और इसकी स्थिति में सुधार के कुछ उपाय सुझाइए।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय:

    • भारतीय समाज पारंपरिक और आधुनिक तत्वों के मिश्रण एवं समय के साथ विकसित एक जटिल संरचना है। देश के तीव्र आर्थिक विकास के बावजूद, गरीबी, अशिक्षा और शोषण जैसे मुद्दे अभी भी समाज में बने हुए हैं। 

    मुख्य भाग:

    • भारतीय समाज के समक्ष मौजूद मुद्दे: 
      • गरीबी:  
        • हाल के आर्थिक विकास के बावजूद गरीबी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। यहाँ 16.4% आबादी गरीबी में रहती है और 4.2% को अत्यंत गरीब माना जाता है।
        • वर्ष 2021 में प्रतिदिन $1.90 क्रय शक्ति समता से नीचे नियोजित जनसंख्या का अनुपात 7.6% था।
        • वर्ष 2016 में 49.3% आबादी को बहुआयामी रूप से गरीब माना गया था जिसमें से 23.6% लोग बहुआयामी गरीब और वंचित श्रेणी में थे। 
      • निरक्षरता: 
        • देश में साक्षरता दर में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन अभी भी विभिन्न क्षेत्रों और जनसांख्यिकीय समूहों के बीच असमानताएँ मौजूद हैं। 
          • उदाहरण के लिये कुछ राज्यों में साक्षरता दर 90% से अधिक है, जबकि झारखंड और बिहार जैसे अन्य राज्यों में अभी भी साक्षरता दर काफी कम है।  
      • शोषण: 
        • यह भारतीय समाज में एक और बड़ी समस्या है (विशेष रूप से महिलाओं, दलितों और आदिवासियों जैसे कुछ समूहों के साथ भेदभाव और उनके हाशिए पर जाने के रूप में)। 
      • सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे: 
        • भारतीय समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है जैसे लोगों की सुरक्षा (विशेष रूप से कमजोर वर्गों) के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक सुधारों पर बल देना।  
    • संबंधित सरकारी पहल: 
      • भारत में गरीबी, निरक्षरता और शोषण को दूर करने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किये गए हैं। 
        • गरीबी उन्मूलन: सरकार ने गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) जैसी विभिन्न पहलों को शरू किया है। जिसका उद्देश्य गरीबों को रोज़गार के अवसर और खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है।
        • साक्षरता में सुधार: सरकार ने साक्षरता दर में सुधार के लिये कई पहल की हैं जैसे कि राष्ट्रीय साक्षरता मिशन और सर्व शिक्षा अभियान। जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों को सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है।
        • शोषण का मुकाबला करना: सरकार ने शोषण का मुकाबला करने के उद्देश्य से विभिन्न कानूनों और नीतियों को लागू किया है। जैसे बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम और बंधुआ श्रम प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम। जिनका उद्देश्य क्रमशः बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम को प्रतिबंधित और विनियमित करना है
    • विकसित देश की स्थिति:
      • एक विकसित देश माने जाने के रूप में यह तर्क दिया जा सकता है कि भारत अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और विकसित देश बनने में अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। हालांकि अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी जैसे कुछ क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन गरीबी, निरक्षरता और शोषण अभी भी प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
      • इस स्थिति में सुधार के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश, प्रभावी गरीबी-निवारक कार्यक्रमों को लागू करने तथा बाल श्रम एवं शोषण से निपटने के उपायों को मजबूत करने जैसे उपाय करना महत्त्वपूर्ण हैं।
      • इसके अलावा जाति व्यवस्था, लैंगिक हिंसा और सांप्रदायिकता जैसे सामाजिक मुद्दों को हल करना भी अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज की दिशा में महत्त्वपूर्ण होगा।
      • गरीबी, निरक्षरता और शोषण जैसे मुद्दों को हल करने के सुझाव: 
        • लैंगिक वेतन अंतराल को समाप्त करने के साथ महिलाओं की आर्थिक संसाधनों और अवसरों तक पहुँच बढ़ाना। क्योंकि कृषि कार्यबल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होने के बाद भी यह काफी कम कृषि भूमि की मालिक हैं।
        • भोजन, स्वच्छ जल और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुँच में सुधार करना।
        • कमजोर समुदायों के बीच छोटे व्यवसाय के विकास और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना। 
      • भारतीय समाज में निरक्षरता को समाप्त करना: 
        • सभी व्यक्तियों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच प्रदान करना (चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो)।
        • जिन लोगों को स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला है उनके लिये प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रम लागू करना।
        • सीखने की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के साथ लोगों के बीच शिक्षा को प्राथमिकता देना। 
      • भारतीय समाज में शोषण को समाप्त करना: 
        • मानव तस्करी एवं जबरन श्रम जैसी शोषणकारी प्रथाओं के खिलाफ कानूनों और इनके प्रवर्तन को मजबूत करना।
        • नीतियों और विनियमों के माध्यम से श्रम मानकों तथा कार्य स्थितियों में सुधार करना।
        • शोषण की पहचान करने और उसे हल करने के लिये समुदाय एवं सरकार के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना

    निष्कर्ष: 

    भारत अभी भी गरीबी, निरक्षरता और शोषण जैसी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है लेकिन सरकारी पहल और प्रस्तावित उपाय इन मुद्दों को हल करने में मदद कर सकते हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करके, गरीबी-निवारक कार्यक्रमों को लागू करके तथा शोषण का मुकाबला करके, भारत अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज की दिशा में आगे बढ़ सकता है।