• प्रश्न :

    भारत में शीत लहर की उत्पत्ति में पश्चिमी विक्षोभ की भूमिका पर चर्चा करते हुए बताइये कि ला नीना से शीत लहर की गंभीरता किस प्रकार प्रभावित हो सकती है। (150 शब्द)

    23 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • शीत लहर के कारण के रूप में पश्चिमी विक्षोभ की भूमिका पर चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि ला नीना से शीत लहर की गंभीरता किस प्रकार प्रभावित होती है।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • शीत लहर का तात्पर्य 24 घंटे के अंदर तापमान में एक ऐसे स्तर तक तेजी से गिरावट होना है जिसमें कृषि, उद्योग, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों के लिये पर्याप्त रूप से बढ़ी हुई सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
    • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार भारत में शीत लहर के विकास के लिये आवश्यक मानदंड हैं:
      • मैदानी इलाकों में रिकॉर्ड किया गया न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होना चाहिये।
      • अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों के लिये, न्यूनतम तापमान 0 डिग्री या कम होना चाहिये।
      • उच्चतम तापमान सामान्य तापमान की तुलना में 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस तक कम होना चाहिये।

    मुख्य भाग:

    • भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले पश्चिमी विक्षोभ का भारत सहित हिमालयी क्षेत्र के मौसम पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
      • यह फसल के नुकसान, भूस्खलन, बाढ़, हिमस्खलन के साथ शीत लहर की स्थिति एवं घने कोहरे जैसी कई चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन सकते हैं।
    • भारत में शीत लहर के विकास में पश्चिमी विक्षोभ की भूमिका:
      • जैसे ही पश्चिमी विक्षोभ भारत की ओर बढ़ता है, यह अपने साथ नमीयुक्त हवाएँ लाता है जो सर्द और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं को गर्म और नम पूर्वी हवाओं से बदल देता है।
      • हवा की दिशा में इस बदलाव से तापमान में गिरावट के साथ शीत लहरों का विकास हो सकता है।
      • इसके अतिरिक्त पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली अत्यधिक वर्षा से घना कोहरा और दृश्यता में कमी आने के साथ शीत लहर की स्थिति की गंभीरता में वृद्धि हो सकती है।
    • ला नीना और शीत लहर:
      • ला नीना एक ऐसी मौसमी घटना है जो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के औसत से कम तापमान को दर्शाती है।
        • ला नीना के दौरान भारतीय मानसून आमतौर पर कमजोर हो जाता है, जिससे कम वर्षा होने के साथ भारत में सूखे की संभावना बढ़ सकती है।
        • इससे तापमान में गिरावट और शीत लहर का विकास हो सकता है।
        • इसके अलावा कमजोर मानसून भी पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति में वृद्धि कर सकता है, जो शीत लहर की स्थिति की संभावना और गंभीरता को और बढ़ा सकता है।

    निष्कर्ष:

    • पश्चिमी विक्षोभ, भारत में शीत लहर के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आर्द्र हवाएँ और इन मौसम प्रणालियों के कारण होने वाली अत्यधिक वर्षा से तापमान में गिरावट के साथ शीत लहर का विकास हो सकता है।
      • इसके अतिरिक्त ला नीना की स्थिति भारतीय मानसून को कमजोर करके और सूखे की संभावना को बढ़ाकर शीत लहर की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है।